हाल ही में पांच राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव सम्पन्न हुए। इन विधानसभा चुनावों में जनता को लुभाने के लिए चुनावी पार्टियों ने खूब वादे किए। किसी ने किसानों का कर्ज माफ करने की बात कही तो किसी ने पानी की समस्या दूर करने की बात की तो किसी राजनीतिक पार्टी ने राम के नाम पर वोट मांगे। वहीं कांग्रेस ने किसानों से कर्ज माफी का वादा कर बीजेपी का तीन राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से सूपड़ा साफ कर दिया। चलिए ये बात तो रही हाल ही हुए विधानसभा चुनावों की। वहीं, इन विधानसभा चुनावों में सोशल मीडिया पर राम के नोट वाली खबर तेजी से वायरल हुई। कुछ लोग ने इस खबर को सच माना तो कुछ ने झूठ। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस राम नाम के नोट वाली बात में कितनी सच्चाई है? दरअसल बात ये है कि चुनावों के समय सोशल मीडिया पर ‘राम मुद्रा’ यानी राम नाम के नोट की फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही थी। आपको बता दें कि उस नोट पर एक तरफ राम की फोटो छपी हुई है, वहीं दूसरी तरफ 18 भाषाओं में उसपर राम भी लिखा हुआ है। इस फोटो को अब तक कई लाख हिट्स मिल चुके हैं। कई लोगों ने इसे अपने पर्सनल प्रोफाइल पर भी शेयर किया। क्या है राम मुद्रा की सच्चाई? इन दिनों सोशल मीडिया पर पर राम मुद्रा की फोटो काफी तेजी से वायरल हो रही है। आपको बता दें कि एक पोस्ट के मुताबिक ये कहा गया है कि राम मुद्रा अमेरिका और निथरलैंड में कथित तौर पर चलाया जाता है और इसकी कीमत यूरो और डॉलर से भी ज्यादा है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक राम मुद्रा की कीमत 10 यूरो है। ये मुद्रा अमेरिका और निथरलैंड में चलती जरूर है, लेकिन इसके वहां पूरी तरह अधिकारिक तौर पर चलने के कई दावे झूठे साबित हुए है। दोनों ही देशों के सेंट्रल बैंकों ने कभी इस राम मुद्रा को लीगल टेंडर (आधिकारिक मुद्रा) नहीं माना। @SpokenTwilight ने बताया मुद्रा का असल सच राम मुद्रा और इस तरह की अफवाहों को सोशल मीडिया पर पहले भी काफी शेयर किया गया है। हाल के दिनों में राम मंदिर को लेकर आये सियासी उबाल के बाद ऐसे पोस्टों को सोशल मीडिया पर व्यापक स्तर पर फैलाया जा रहा है। आपको बता दें कि ऐसा दावा करने वाले एक ट्विटर यूज़र को अमेरिका के @SpokenTwilight नाम के एक यूज़र ने करारा जवाब दिया है। @SpokenTwilight लिखा, “मेरे मनी बॉक्स में राम नाम वाले कुछ नोट हैं। इन्हें अमरीका के कई शहरों और राज्यों में डॉलर की तरह स्वीकार किया जाता है।” आपको बता दें कि @SpokenTwilight ने ट्विटर पर जो जानकारी दी है उसके मुताबिक ये किसी ‘अमरीकी हिंदू नवचेतना’ से जुड़ा पेज है जिसे फरवरी 2018 में ही बनाया गया है। राम मुद्रा का चलन हमारी पड़ताल के तहत ये पता चला है कि साल 2002 फरवरी में इस मुद्रा का चलन शुरू हुआ था, जो सिर्फ ‘मरीका के मध्य-पश्चिमी भाग में स्थित आयोवा राज्य की ‘महर्षि वेदिक सिटी’ में ‘द ग्लोबल कंट्री ऑफ़ वर्ल्ड पीस’ नाम की एक संस्था में ही था। दरअसल बात ये है कि उस संस्था में डॉलर या अन्य कोई नोटों का इस्तेमाल नहीं होता था। वहां सिर्फ राम मुद्रा ही चलती थी। संस्था में एक राम मुद्रा कीमत 10 डॉलर के बराबर है।