'एक पत्थर तो तबीयत से उछालों यारों, कौन कहता है कि आसमां नें सुराख नहीं होता...' वाली बात इस शख्स के जिंदगी की जैसी टैग लाइन सी बन गई है। हाथ एक है, लेकिन जज्बा हजारों हाथों का। हिम्मत की तो पूछिए मत, जनाब 14 लेन का हाईवे बना रहे हैं। हमें लगा कि इनकी झलक बहुत से मायूसों की जिंदगी में शायद रोचकता भर और साहस भर दे, इसलिए ये रही एक खास मजदूर दिनेश कुमार की साहस भरी स्टोरी, जो मुर्दों में भी जान फूंक दें....
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक 6 साल पहले दिनेश ने अपने गांव सुल्तानपुर में करंट लगने से एक हाथ खो दिया। हाथ पूरा खराब हो गया था, इसलिए डॉक्टरों से उसे उनके बदन से हटा ही दिया। दिनेश के 6 बच्चे हैं जिनमें पांच बेटियां है। सरकार ने उनके दिव्यांग वाली सुविधाओं के कागज और बस पास बनाए हैं, लेकिन इतने भर से जिंदगी कहां कटती है। एक भरे-पूरे परिवार की जिम्मेदारी का बोझ एक हाथ पर लिए दिनेश ने मेहनत मजदूरी करना शुरू किया। आजकल दिनेश14 लेन के राष्ट्रीय राजमार्ग पर मजदूरी कर रहे हैं। दिल्ली के मयूर विहार इलाके में काम करते मजदूरों को जब सूर्य देवता अपने प्रकोप से झुलसा देते हैं, तब वे सब दिनेश को देख फिर फिर से तरोताजा हो उठते हैं और गर्मी को मात देकर काम पर जुट जाते हैं।
वास्तव में दिनेश उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत हो सकते हैं जो छोटी-छोटी ख्वाहिशों-बातों के पूरा न होने पर मायूसियों का जैसे मजमा लगा देते हैं और जिंदगी को कोसने लगते हैं। सरकार को तो वाकायदा दिनेश और उनके जैसे लोगों के जरिए अवसाद ग्रस्त लोगों के मानसिक इलाज का कोई हल जुगाड़ लेना चाहिए, जरूर सफलता मिलेगी। आपको यह कहानी कैसी लगी, हमें हमारे कमेंट्स बॉक्स में जरूर बताएं और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।