किस्साः
मेरी पढ़ाई हुई है जामिया से. वहां की कैंटीन में एक वक्त 18 रुपए में थाली मिलती थी. कायदा था कि उसमें 2 रोटियां मिलें. लेकिन मिलती थीं 2 पूरियां. वो भी तब तक, जब तक होती थीं. एक बार खत्म तो खत्म. फिर एक दिन हम कैंटीन पहुंचे तो देखा कि थाली में रोटी भी है और सलाद भी. (मर्म ये कि सलाद का कॉन्सेप्ट सरकारी कॉलेज कैंटीन में नहीं होता है; वो एक भ्रम होता है जो रेट-कार्ड से फैलता है.) बाद में हमने रेटकार्ड देखा. थाली का दाम – 25 रुपए. मेरी कॉलेज लाइफ का ‘कैंटीन मोमेंट.’
खबरः
जो लोग भारतीय रेल के गरीब रथ से चलते हैं, उनकी ज़िंदगी में बहुत जल्द ऐसा ही ‘कैंटीन मोमेंट’ आने वाला है. वो चाहें तो उसे ‘गरीब रथ मोमेंट’ कह सकते हैं. खबर ये है कि भारतीय रेल 2005 से शुरू हुईं गरीब रथ गाड़ियां बंद करने जा रहा है. वो गरीब रथ, जिन्हें लॉन्च करते हुए कहा गया था कि इससे गरीब लोग कम दाम में लंबी दूरी का सफर एसी डब्बों में करेंगे. आराम से, ठंडी-ठंडी हवा खाते हुए. कुल 29 गरीब रथ गाड़ियां शुरू की गई थीं. लेकिन अब ये सब बंद होंगी और उनकी जगह चलेंगी हमसफर एक्सप्रेस.
‘किराया मॉमेंट’
‘हमसफर’ गाड़ियां नाम के हिसाब से ‘गरीब रथ’ जितनी प्रॉमिसिंग लग सकती हैं. यात्रियों का दिल बस इस बात से दुखेगा उन्हें बढ़ा हुआ किराया देना पड़ेगा. और वो भी थोड़ा-बहुत नहीं. ‘हमसफर’ भारतीय रेल की प्रीमियम सेवा है. तो इसका किराया आम एसी 3 टीयर के टिकट से 1.15 फीसद ज़्यादा होता है. माने जो टिकट आम ट्रेन में 100 का था, वो हमसफर में 115 रुपए का मिलता है. फिर हमसफर गाड़ियों में फ्लेक्सी फेयर सिस्टम होता है. माने सामान्य दाम पर हमसफर के सिर्फ 50 फीसदी सीट मिलती हैं. 50 फीसदी सीट बुक होने के बाद हर 10 फीसदी बुकिंग पर टिकट 10 फीसदी महंगा हो जाता है. गरीब रथ का टिकट आम एसी 3 टीयर किराए से कम रहता था. तो गरीब रथ की तुलना में हमसफर का टिकट बहुत महंगा होगा.
लॉजिक के मामले में ‘हमसफर’, ‘गरीब रथ’ से ठीक उलट हैं. हां, ये ज़रूर है कि सुविधाएं भी ज़्यादा मिलेंगी. हमसफर के हर डब्बे में कॉफी और सूप वेंडिंग मशीन होती हैं. खाना गर्म-ठंडा रखने के लिए भी सुविधा होत है. एलईडी डिस्पले और पब्लिक अनाउंसमेंट का सिस्टम भी होता है.
कितना बढ़ेगा किराया?
सबसे पहले चेन्नई-हज़रत निज़ामुद्दीन गरीब रथ बंद की जाएगी. 29 सितंबर, 2018 से. इस रूट पर आम गाड़ियों में पूरे सफर का एसी 3 टीयर किराया 2050 रुपए से शुरू होता है. गरीब रथ का टिकट महज़ 1380 रुपए का होता था. तब भी ये ट्रेन इस रूट पर राजधानी के बाद सबसे तेज़ गाड़ी थी. गरीब रथ की जगह आने वाली चेन्नई-हज़रत निज़ामुद्दीन हमसफर का किराया गरीब रथ की तुलना में 1000 से 2000 तक ज़्यादा होगा.
जिन्होंने पहले से गरीब रथ का टिकट लिया है, उनका क्या होगा?
भारतीय रेल में 120 दिन बाद तक के टिकट बुक होते हैं. तो ऐसे कई लोग हो सकते हैं, जिन्होंने दिसंबर तक की बुकिंग गरीब रथ के किराए पर की हो. इन लोगों का ध्यान रखते हुए रेलवे ने फैसला किया है कि 29 सिंतबर से हमसफर शुरू ज़रूर हो जाएगी, लेकिन 29 दिसंबर तक किराया गरीब रथ वाला ही लगेगा. 29 दिसंबर के बाद से हमसफर कैटेगरी का किराया लगेगा.
उलटे लॉजिक वाली ट्रेन चलाने पर रेलवे का क्या कहना है?
रेलवे के अफसर कह रहे हैं गरीब रथ गाड़ियों के कोच पुराने हो चुके हैं. इसलिए इन्हें बदलना ज़रूरी है. इसीलिए हमसफर गाड़ियां लाई जा रही हैं जिनमें नए और आधुनिक कोच लगे होते हैं.