किसान, कर्ज और खुदकुशी.
ये वो कीवर्ड्स हैं, जिनका इस्तेमाल कर आप किसी भी सरकार की कितनी भी निर्मम आलोचना कर सकते हैं. लेकिन जैसे ही बात सोशल मीडिया पर पहुंचती है, सारी प्रामाणिकता संदिग्ध हो जाती है. यहां दिखने वाली चीज़ें अक्सर वैसी नहीं होतीं, जैसी दिखाई जाती हैं. ताज़ा मामला महाराष्ट्र के वर्धा का है.
क्या शेयर किया जा रहा है?
सोशल मीडिया पर ढेर सारे लोग एक परिवार की तस्वीर शेयर कर रहे हैं. परिवार, जिसके तीन सदस्यों ने एक साथ फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. तस्वीर में पति-पत्नी और उनकी ढाई साल की बच्ची फांसी से लटके दिख रहे हैं. तस्वीर शेयर करने वालों का दावा है कि खुदकुशी करने वाला किसान है, जिसके सिर पर कर्ज का बोझ था. कर्ज न चुका पाने की हालत में उसने परिवार के साथ खुदकुशी कर ली.
शेयर करने वाले लोग किसे कोस रहे हैं?
तस्वीर के आधार पर लोग सरकार की आलोचना कर रहे हैं. मौजूदा सरकार के चुनाव-पूर्व दिए नारे को निशाने पर लिया जा रहा है कि ‘हां, हमारा देश वाकई बदल रहा है. एक पिता के कर्ज की वजह से उसकी डेढ़ साल की बच्ची की मौत हो रही है’. आलोचना करने वाले कह रहे हैं कि सरकार और बैंक छोटे कर्जों से दबे किसानों से कर्ज-वसूली के हथकंडे तो जानते हैं, लेकिन नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे कानून की नाक के नीचे से निकल जाते हैं. किसान के मसले पर सरकार की विफलता को कोसा जा रहा है.
पर सवाल ये है कि क्या इस तस्वीर की असल कहानी वही है, जो सोशल मीडिया पर बताया जा रही है. नहीं. इसकी सच्चाई कुछ और है.
क्या है तस्वीर की सच्चाई?
ये सच है कि ये मामला महाराष्ट्र के वर्धा जिले का है, लेकिन खुदकुशी करने वाला शख्स किसान नहीं है और न ही उसने कर्ज के बोझ तले ऐसा कदम उठाया. इस शख्स ने घरवालों के तानों से तंग आकर अपनी पत्नी और बच्ची के साथ खुदकुशी की. ये जून के दूसरे सप्ताह की घटना है और जिस इलाके में इस परिवार ने फांसी लगाई, वो आष्टी पुलिस थाने के तहत आता है.
आष्टी थाने के पुलिसकर्मी विष्णु करहाले ने इस केस की जानकारी देते हुए बताया कि 37 साल के अनिल नारायण वानखेड़े मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में किसी कंपनी में इलेक्ट्रीशियन का काम करते थे. करीब तीन महीने पहले वो कंपनी बंद हो गई, तो अनिल की नौकरी चली गई. ऐसे में वो अपनी पत्नी स्वाति (32) और ढाई साल की बच्ची आस्था के साथ वर्धा के आर्वी गांव में अपने घर वापस आ गए. घर में उनके पिता नारायण वानखेड़े, मां रत्नाबाई और एक बहन रहती थी, जो खेती पर निर्भर थे.
घरवाले अनिल को हमेशा नौकरी की वजह से कोसते रहते थे और ताने देते थे. दो-ढाई महीने से घर में ऐसा ही माहौल चल रहा था. पड़ोसियों ने भी बताया कि अनिल के घर में आए दिन झगड़ा होता रहता था और हमेशा तनाव का माहौल बना रहता था. फिर एक दिन पिता ने अनिल को उसकी पत्नी और बच्ची समेत घर से निकाल दिया. अनिल अपनी ससुराल में भी नहीं रहना चाहते थे और घर उनके पास था नहीं. तो उन्होंने पत्नी-बच्ची समेत खुदकुशी का फैसला कर लिया.
उन्होंने पहले पत्नी और बच्ची को खेत में इस्तेमाल होने वाला कीटनाशक पिलाया और फिर दोनों के साथ फांसी लगाकर जान दे दी. लोगों ने जब उनकी लाश पेड़ से लटकते देखी, तो पुलिस को बताया.
ससुराल में फोन करके बताया था कि सुसाइड करने जा रहे हैं
अनिल के खुदकुशी करने के बाद पता चला कि जब वो घर छोड़कर निकले थे, तो उन्होंने ससुराल में फोन किया था. वहां उनकी बात अपने साले नितिन राउत से हुई थी. अनिल ने नितिन को बताया कि उन्हें घर से निकाल दिया गया है और अब वो स्वाति के साथ सुसाइड करने जा रहे है. नितिन ने बताया कि इस फोन के बाद उन्होंने अनिल के घर फोन करके बताया कि वो खुदकुशी करने जा रहे हैं, लेकिन उनके मां-बाप ने ये मानने से इनकार कर दिया. नितिन के मुताबिक फोन पर अनिल की बहन ने उसे गालियां भी दीं और कोई उनकी बात मानने को तैयार नहीं था. नितिन और उसका परिवार मानता है कि मां-बाप-बहन की हरकतों की वजह से ही अनिल ने खुदकुशी की.
फिर पुलिस ने अनिल के परिवार को गिरफ्तार कर लिया
सारी बातें साफ होने पर आष्टी पुलिस ने अनिल के पिता नारायण, मां रत्नाबाई और बहन को गिरफ्तार कर लिया. उन पर धारा 306 लगाई गई है, जो आत्महत्या के लिए उकसाने पर लगाई जाती है.
तो पुलिस के इस पूरे ऐक्शन से साफ होता है कि ये कर्ज की वजह से किसान के खुदकुशी करने का मामला नहीं है, बल्कि परिवार के तानों से तंग आकर एक बेरोजगार शख्स के खुदकुशी करने का मामला है. अगर आपको सोशल मीडिया पर ये अफवाह दिखती है, तो आप उसे हमारी इस पड़ताल का लिंक दे सकते हैं. साथ ही, अगर आपको सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा कोई कॉन्टेंट संदिग्ध लगता है या आप जानते हैं कि अफवाह फैलाई जा रही है, तो आप उसे हमें lallantopmail@gmail.com पर भेज सकते हैं. हम उसकी सच्चाई सबके सामने लाएंगे.