राज्यपाल लाल जी टंडन ने दीक्षांत समारोहों में पहने जाने वाले गाउन की जगह भारतीय पारंपरिक ड्रेसकोड अपनाने का आदेश दिया है। अब दीक्षांत समारोहों में गाउन नहीं, लड़कियों को सलवार-कुर्ता, साड़ी और मालवीय पगड़ी जबकि लड़कों को कुर्ता-पायजामा, सफेद धोती-कुर्ता और मालवीय पगड़ी पहनना होगा।
राज्यपाल के इस आदेश के बाद बिहार के विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोहों में इन परिधानों का इस्तेमाल अनिवार्य हो जाएगा। उत्तर प्रदेश में पहले भी इससे मिलता जुलता ड्रेस कोड राज्यपाल के आदेश के बाद प्रचलन में आया था। अभी कुछ दिनों पहले ही झाऱखंड में भी इसी तरह का आदेश जारी किया गया था। झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने निर्देश दिया था कि झारखंड राज्य में अवस्थित सभी विश्वविद्यालयों में आयोजित होनेवाले दीक्षांत समारोह में केवल पारंपरिक भारतीय परिधान का ही इस्तेमाल किया जायेगा। उनके द्वारा निर्देशित किया गया कि सभी विश्वविद्यालयों द्वारा अगामी दीक्षांत समारोहों में पूर्व से प्रचलित परिधान (गाउन) के स्थान पर अब पारंपरिक भारतीय परिधान का इस्तेमाल किया जायेगा। राज्यपाल के निर्देश के बाद से विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह के दौरान विद्यार्थियों द्वारा पहने जानेवाले गाउन पर पाबंदी लग गयी है। झारखंड का कोई भी विश्वविद्यालय अब गाउन के माध्यम से विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह में डिग्री नहीं प्रदान कर सकता है।
अभी दो दिनों पहले ही भागलपुर टीएमबीयू से खबर आयी थी कि नवंबर माह में होने वाले दीक्षांत समारोह में नए नियम के तहत अब दीक्षांत समारोह में अतिथियों और अधिकारियों को गाउन की जगह जैकेट, छात्र-छात्राओं को कुरता-पायजामा, कुरता-धोती, सलवार-कुरता या साड़ी पहननी होगी। कैप की जगह अब मालवीय पगड़ी पहननी होगी। अब राज्यपाल के आदेश के बाद सभी यूनिवर्सिटी में इसे लागू कर दिया जाएगा।