जोधपुर भारत के राज्य राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा नगर या ज़िला है। इसकी जनसंख्या १० लाख के पार हो जाने के बाद इसे राजस्थान का दूसरा "महानगर " घोषित कर दिया गया था। यह यहां के ऐतिहासिक रजवाड़े मारवाड़ की इसी नाम की राजधानी भी हुआ करता था। जोधपुर थार के रेगिस्तान के बीच अपने ढेरों शानदार महलों, दुर्गों और मन्दिरों वाला प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। जोधपुर को सूर्यनगरी (Suncity) तथा नीला शहर (Blue City) भी कहा जाता है।
गर्मियों का मौसम
मौसम में यहाँ गर्मियों के दिनों में काफी गर्मी रहती है साथ ही पूर्ण रूप से रेतीली भूमि के कारण गर्मियों के दिनों में दिन एवं रात में आँधियाँ चलती रहती है और धूल भी उड़ती रहती है। जून - जुलाई के महीने में काफी गर्मी एवं लू चलती है। यहाँ सबसे ज्यादा गर्मी फलोदी तहसील में पड़ती है।
बरसात का सीजन
गर्मियों के ततपश्चात जुलाई - अगस्त माह में बरसात का मौसम शुरू हो जाता है और सितम्बर महीने तक बरसात होती रहती है।
सर्दियों का मौसम
सर्दियों में भी काफी ठण्ड पड़ती है ,ठण्ड की शुरुआत यहाँ नवम्बर माह में हो जाती है और होली तक थोड़ी - थोड़ी ठण्ड रहती है।
जोधपुर में ग्रामीण क्षेत्र में लगभग शत प्रतिशत मारवाड़ी भाषा ही बोली जाती है जबकि शहरी क्षेत्र में हिन्दी और मारवाड़ी भाषा बोली जाती है तथा कुछ-कुछ अंग्रेजी भाषा का भी प्रभाव रहता है।
जोधपुर खाने के मामले में भी काफी प्रसिद्ध है जिसमें दाल - बाटी ,चूरमा ,दाल - करी और बाटी ,बाजरे की रोटी (सोगरा) ,गेहूँ की रोटी तथा बेसन के गट्टों की सब्जी काफी प्रसिद्ध है। यहाँ पर सूखी सब्जियां काफी होती है जैसे - सांगरी ,कुमटिया ,कैर इत्यादि ,लोग ज्यादातर ऐसी सूखी सब्जियां बनाते रहते है। मिर्ची बड़ा जो कि पूरे भारत जोधपुर का सबसे प्रसिद्ध है।
2lमेहरानगढ़ दुर्ग का एक दृश्य
जोधपुर दर्शनीय स्थलों के लिए काफी प्रसिद्ध है यहाँ मुख्य शहर में मेहरानगढ़ दुर्ग ,जसवंत थड़ा और उम्मैद पैलेस काफी लोकप्रिय है। मेहरानगढ़ दुर्ग पर कई बार फ़िल्मों की शूटिंग भी होती रहती है।
- मेहरानगढ़ दुर्ग
मेहरानगढ़ दुर्ग पहाड़ी के बिल्कुल ऊपर बसे होने के कारण राजस्थान के सबसे खूबसूरत किलों में से एक है। इस किले के सौंदर्य को श्रृंखलाबद्ध रूप से बने द्वार और भी बढ़ाते हैं। इन्हीं द्वारों में से एक है जयपोल इसका निर्माण राजा मानसिंह ने १८०६ ईस्वी में किया था। दूसरे द्वार का नाम है-विजयद्वार इसका निर्माण राजा अजीत सिंह ने मुगलों पर विजय के उपलक्ष्य में किया था। किले के अंदर में भी पर्यटकों को देखने हेतु कई महत्वपूर्ण इमारतें हैं। जैसे मोती महल, सुख महल, फूलमहल आदि-आदि।
- जसवंत थड़ा
जसवंत थड़ा जो पूरी तरह से संगमरमर से निर्मित है। इसका निर्माण १८९९ में महाराज सरदार सिंह ने अपने पिता राजा जसवंत सिंह (द्वितीय) और उनके सैनिकों की याद में किया गया था।
- उम्मैद भवन पैलेस
महाराजा उम्मैद सिंह ने इस महल का निर्माण सन १९४३ में करवाया था। संगमरमर और बालूका पत्थर से बने इस महल का दृश्य पर्यटकों को खासतौर पर लुभाता है। इस महल के संग्रहालय में पुरातन युग की घड़ियाँ और चित्र भी संरक्षित हैं। यही एक ऐसा बीसवीं सदी का महल है जो बाढ़ राहत परियोजना के अंतर्गत निर्मित हुआ।
- गिरडीकोट और सरदार मार्केट
छोटी छोटी दुकानों वाली, संकरी गलियों में छितरा रंगीन बाजार शहर के बीचों बीच है और हस्तशिल्प की विस्तृत किस्मों की वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध है तथा खरीददारों का मनपस्द स्थल है।
- राजकीय संग्राहलय
इस संग्राहलय में चित्रों, मूर्तियों व प्राचीन हथियारों का उत्कृष्ट समावेश है।
- अरना झरना मरु संग्रहालय
अरना झरना मरु संग्रहालय एक मरु संग्रहालय है जो जोधपुर के मोकलावास गाँव के निकट स्थित है।
- सच्चीयाय माता मन्दिर
जिले के ओसियां तहसील में सच्चीयाय माता का मन्दिर ,जैन मन्दिर तथा महावीर मन्दिर काफी पुराने मन्दिर है।
मेहरानगढ़ दुर्ग
घण्टा घर
मण्डोर गार्डन में छतरियाँ
मण्डोर गार्डन में छतरियाँ
जसवंत थड़ा
जसवंत थड़ा
मेहरानगढ़ दुर्ग
मेहरानगढ दुर्ग
चामुंडा माता मन्दिर
सरदार मार्केट
उम्मैद भवन पैलेस
जोधपुर में सभी पर्वों को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, यहाँ का बेतमार मेला और कागा का शीतला माता मेला बहुत प्रसिद्ध है लोग दूर - दूर से ये मेला देखने आते है। राजस्थान के लोक देवता रामदेव पीर का मसुरिया मेला भी काफी प्रसिद्ध है।
- मारवाड़ उत्सव
मारवाड़ उत्सव, नागौर का प्रसिद्ध पशु मेला और पीपाड़ का गंगुआर मेला। यह कुछ महत्वपूर्ण उत्सव है जो जोधपुर में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाते है। यहाँ पर सावन माह की बड़ी तीज और बेतमार मेला विश्व प्रसिद्ध है।
- गणगौर पूजन
जोधपुर में गणगौर पूजन का भी विशेष महत्व है और इसी उत्सव पर पुराने शहर में गणगौर की झांकियां भी निकाली जाती हैं। धिंगा गवर इसके बाद आने वाला एक आयोजन है इस दिन महिलाऐं शहर के परकोटे में तरह तरह के स्वांग रच कर रात को बाहर निकलती हैं और पुरुषों को बैंत से मारती हैं अपने प्रकार का एक अनोखा त्योहार है।
जोधपुर पहुँचने के लिए परिवहन की अच्छी सुविधाएँ उपलब्ध है। यहाँ से लगभग सभी बड़े शहरों के लिए रेलगाड़ियाँ मिलती है। जोधपुर में कई रेलवे-स्टेशन है। इसका जोधपुर रेलवे स्टेशन उत्तर पश्चिम रेलवे (एनडब्ल्यूआर) का संभागीय मुख्यालय है। यह अलवर, अहमदाबाद, इंदौर, कानपुर, कोटा, कोलकाता, गुवाहाटी, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, दिल्ली, धनबाद, नागपुर, पटना, पुणे, बरेली, बैंगलोर, भोपाल, मुंबई, लखनऊ तथा हैदराबाद जैसे प्रमुख भारतीय शहरों से रेल के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
जोधपुर विमानक्षेत्र राजस्थान के प्रमुख विमानक्षेत्रों में से एक है। यह मुख्य रूप से नागरिक हवाई यातायात के लिए अनुमति देने के लिए एक नागरिक बाड़े के साथ एक सैन्य एयरबेस है। जोधपुर की राजनीतिक स्थिति के कारण, इस विमानक्षेत्र को भारतीय वायु सेना के लिए सबसे महत्वपूर्ण विमानक्षेत्र में से एक के रूप में माना जाता है।
वर्तमान में यहाँ एयर इंडिया और जेट एयरवेज और स्पाइसजेट द्वारा संचालित करने के लिए दिल्ली, मुंबई, उदयपुर, जयपुर, बैंगलोर और पुणे के लिए दैनिक उड़ानें भरती हैं।
जोधपुर राज्य के सड़क परिवहन में भी प्रमुख माना जाता है। यहाँ से दिल्ली, अहमदाबाद, सूरत, उज्जैन, आगरा ,मुम्बई ,पुणे तथा बैंगलोर आदि के अलावा डीलक्स और एक्सप्रेस बस सेवा से जैसे पड़ोसी राज्यों के लिए सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम दिल्ली के लिए वोल्वो और मर्सिडीज बेंज बस सेवा प्रदान करता है। जबकि अहमदाबाद, जयपुर, उदयपुर और जैसलमेर हाल ही में बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) लो फ्लोर और सेमी लो फ्लोर प्रमुख मार्गों पर चलने वाली बसों के साथ शहर में शुरू की है।