नई दिल्ली : तेल की ऊंची कीमतों के बीच केंद्र सरकार ने सख्त निर्णय लिया है. उसने जैव-ईंधनों के आयात पर शर्तें लगाने के कुछ ही दिनों के भीतर इनके निर्यात पर भी अंकुश लगा दिया. माना जा रहा है कि पेट्रोल में एथेनॉल या मेथनॉल का मिश्रण बढ़ाने की सरकार की योजना से तेल की कीमतों में कमी आए. जैव-ईंधन के आयात-निर्यात दोनों के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है. जैव ईंधनों में इथाइल अल्कोहल, पेट्रोलियम तेल और बिटुमिनस खनिजों, जैव-डीजल तथा मिश्रणों से प्राप्त तेल शामिल हैं. इससे पहले इनके निर्यात पर कोई शर्तें नहीं थीं.
ईंधन के निर्यात पर लगाई शर्त
विदेश व्यापार महानिदेशालय ने एक अधिसूचना में कहा, 'जैव ईंधनों की निर्यात नीति जैव-ईंधनों की राष्ट्रीय नीति 2018 के अनुसार शर्तमुक्त की जगह संशोधित कर शर्तों के तहत कर दी गई है.' महानिदेशालय ने इथाइल अल्कोहल एवं अन्य गैर-प्राकृतिक स्पिरिट, जैव-डीजल, पेट्रोलियम तेल तथा बिटुमिनस खनिजों से प्राप्त तेलों समेत जैव-ईंधनों के आयात पर पिछले सप्ताह शर्तें लगा दी थीं.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अगस्त को राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति का अनावरण किया था. उन्होंने कहा था कि पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने के कार्यक्रम को पिछली सरकारों ने गंभीरता से नहीं लिया जबकि इससे पेट्रोलियम आयात में बड़ी बचत हो सकती है. देश में 10,000 करोड़ रुपये का निवेश कर जैवईंधन की 12 रिफाइनरी स्थापित करने की योजना बनाई गई है. उन्होंने कहा कि सरकार 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल करेगी और इसे बढ़ाकर 2030 तक 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य है. मोदी ने कहा कि इसमें से प्रत्येक रिफाइनरी 1000-1500 लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करेगी. प्रधानमंत्री ने कहा था कि जैवईंधन का इस्तेमाल बढ़ने से किसानों की आय बढ़ेगी और देश में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.
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