वाराणसी: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संत कबीर की समाधि स्थल पर टोपी पहनने से इनकार कर दिया. दरअसल, गुरुवार (28 जून) को वाराणसी के नजदीक मगहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाले हैं. उनके इस दौरे से पहले सीएम योगी तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे थे. सीएम योगी इस दौरान संत कबीर की समाधि स्थल के पास भी पहुंचे. यहां एक खादिम ने उन्हें टोपी पहनाने की कोशिश की, जिसे उन्होंने इनकार कर दिया. सीएम ने हाथा बढ़ाते हुए खादिम को ऐसा करने से रोक दिया.
मुख्यमंत्री योगी को टोपी की पेशकश करने वाले खादिम ने बताया कि सीएम ने उनसे कहा कि वह टोपी नहीं पहनते हैं. इसके बाद उन्होंने टोपी हटा ली. मालूम हो कि इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टोपी पहनने से इनकार कर चुके हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के मगहर दौरे का पूरा शेड्यूल
- उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में स्थित सूफी संत कबीर साहब के 620वें प्राकट्य उत्सव पर 28 जून को पीएम नरेंद्र मोदी मगहर में कबीर की निर्वाण स्थली पहुंचेंगे.
- पीएम मोदी गुरुवार को 24 करोड़ की लागत से बनने वाले कबीर दास मगहर एकेडमी की आधारशिला रखेंगे. इसकी स्थापना से देश दुनिया से आने वाले कबीर प्रेमियों और शोधार्थियों के लिये कबीर के जीवन दर्शन को जानने और समझने में काफी मदद मिलेगी.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मगहर में कबीर की समाधि और मजार के दर्शन करेंगे.
- आमी नदी के तट पर स्थित हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक विश्व प्रसिद्ध सूफी संत कबीर के परिनिर्वाण स्थली मगहर में एक साथ स्थित उनकी समाधि और मजार कौमी एकता के प्रतीक के रूप में जानी जाती है. समाधि पर जहां हिन्दू माथा टेकते हैं तो वहीं मजार पर मुस्लिम समुदाय नमाज अता करता है.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले पर्यटन मंत्रालय मगहर के विकास के लिए करोड़ों रुपये की लागत से 20 परियोजनाओं पर काम कर रहा है.
- पीएम की मगहर जनसभा को मिशन 2019 के आगाज के तौर पर भी देखा जा रहा है.
- पीएम नरेंद्र मोदी के आगमन को लेकर कबीर पन्थियों से लेकर मगहर वासियो में खासा उत्साह है. लोगों का मानना है कि पीएम के आने के बाद सालों से बंद पड़ी मगहर की कताई मिल और गांधी आश्रम के दोबारा चालू होने की संभावना बढ़ गई है.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संत कबीर नगर दौरा 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर प्रचार की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है. ऐसे में इस कार्यक्रम में कोई कमी न रह जाए, उसे लेकर बीजेपी और सरकार दोनों ने कमर कस ली है.
मालूम हो कि कबीर दास 15वीं सदी के प्रसिद्ध कवि और संत थे. महात्मा कबीर का जन्म बनारस के लहरतारा में 1456 ई. में हुआ था. सूफी कबीर ने जीवन के अंतिम तीन वर्ष मगहर में बिताए. 1575 ई में मगहर में कबीर दास की मृत्यु हुई.