संविधान दिवस(Constitution day ) हर साल 26 नवंबर को भारत मनाया जाता है।26 नवंबर 1949 को पूरे दो साल,11 महीने ,18 दिन में भारतीय संविधान (Constitution Of India) तैयार किया गया। डॉ. भीमराव आंबेडकर ने इस संविधान को बनाया और देश को समर्पित किया। भारतीय संविधान विश्व में सबसे बड़ा संविधान माना जाता है।
भारत का संविधान (Indian Constitution) 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया था। भारत सरकार द्वारा पहली बार 2015 में "संविधान दिवस" मनाया गया। डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान को याद करने और संविधान के महत्व का प्रसार करने के लिए "संविधान दिवस" (Constitution Day of India) मनाया जाता है।
बता दें कि बाबा साहब अंबेडकर भारत में एक शिल्पकार , संविधान निर्माता, दलितों के मसीहा जैसे कई नामों से जाने जाते हैं। आज हम आपको बाबा साहेब आंबेडकर के ज़िंदगी से जुड़े एक ऐसे तथ्य के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे बहुत काम लोग जानते हैं।बता दें दलितों के महीसा कहलाने वाले डॉ अम्बेडकर ने दूसरी शादी एक ब्राम्हण महिला से की थी। 27 मई 1935 को बाबा साहब की पहली पत्नी रमाईबाई का निधन हो गया।
इसके बाद बाबा साहब ने कई आन्दोलन चलाये और कई लड़ाइयाँ भी लड़ीं। 1947 में अंबेडकर को डायबटीज़ ने अपनी गिरफ्त में ले लिया। बाबा साहब काम में इतना व्यस्त रहते थे कि उनकी ये समस्याएं बढ़तीं गईं। जिसकी वजह थी उनका समय पर खानपान न हो पाना और परहेज भी नहीं कर पा रहे थे। उनकी समस्याएं इतनी ज्यादा बढ़ गईं कि बाबा साहब को इलाज की सलाह दी गई। इसके बाद मुम्बई की डॉक्टर शारदा कबीर द्वारा उनका इलाज शुरू किया गया। वह पुणे के सभ्रांत मराठी ब्राह्मण से ताल्लुक रखतीं थीं। इस तरह के ब्राह्मण को चितपावन अर्थात सबसे कुलीन ब्राह्मण कहा जाता था। उन्होंने मुम्बई से एमबीबीएस किया था। बाबा साहब के इलाज के दौरान ही दोनों लोगों में नजदीकियां आ गईं।
15 अप्रैल 1948 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने डॉ. शारदा कबीर से दूसरी शादी की थी। उस समय डॉ. अम्बेडकर की उमर 57 साल की थी तो डॉ. शारदा की उमर 45 साल थी। यानी डॉ. अम्बेडकर अपनी दूसरी पत्नी से 12 साल बड़े थे।डॉ. भीमराव अम्बेडकर की इस शादी से ब्राह्मण ही नहीं बल्कि दलितों का भी एक बड़ा वर्ग कुपित हो गया था। डॉ. शारदा की देखभाल से अम्बेडकर की सेहत में सुधार हुआ और जिससे वे संविधान लेखन के लिए समय दे सके।इसके बाद डॉ. शारदा का नाम सविता अम्बेडकर हो गया।
बता दें कि 6 दिसम्बर 1956 को डॉ. अम्बेडकर की मौत हो गयी।और इस घटना के बाद बवाल शुरू हो गया। अम्बेडकर के परिजनों और समर्थकों ने सविता अम्बेडकर पर तरह- तरह के लांछन लगाने शुरू कर दिये। यहां तक आरोप लगाया गया कि सविता अम्बेडकर ने ही उन्हें मार दिया।
डॉ. अम्बेडकर और रमाबाई (पहली पत्नी ) के पुत्र यशवंत राव भी सविता अम्बेडकर से खफा रहते थे। उन्होंने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को एक आवेदन देकर इस मौत की जांच की मांग कर दी। इस बीच डॉ. अम्बेडकर के समर्थकों ने 19 सांसदों को इस बात के लिए तैयार कर लिया कि वे इस मौत की जांच के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को एक पत्र लिखें। सांसदों ने ये पत्र लिखा। जवाहर लाल नेहरू ने जांच कमेटी बनायी। इस समिति ने जांच में पाया कि डॉ. अम्बेडकर की मौत स्वभाविक रूप से हुई है और सविता अम्बेडकर पर लगाये गये आरोप बेबुनियाद हैं।