*इस सृष्टि में वैसे तो अनेकों लोक हैं , परंतु मुख्य रूप से तीन लोकों का वर्णन मिलता है | स्वर्गलोक , मृत्युलोक एवं पाताललोक | इन्हीं तीनों लोकों के अंतर्गत अनेक लोक स्थित हैं | हम लोग जहां रहते हैं उसे मृत्युलोक या पृथ्वी लोक कहा जाता है | इस सम्पूर्ण पृथ्वी पर कई छोटे -:बड़े
देश स्थित हैं | और इन्हीं देशों में हमारा देश
भारत स्थित है | जहां विश्व के अनेक देशों में विभिन्नतायें , अनेकतायें देखने को मिलती है , काले - गोरे का भेद देखने को मिलता है वहीं हमारे देश भारत में भिन्नता में अभिन्नता एवं अनेकता में एकता देख करके संपूर्ण विश्व आश्चर्य करता है | हमारा देश भारत जहां अनेक
धर्म अनेक पंथ एवं संप्रदाय गतिमान है उसी देश में अनेकता एवं विभिन्नता होते हुए भी कुछ विशेष अवसरों पर एकता देखने को मिलती है जो अपने आप में गौरवपूर्ण एवं एक उदाहरण प्रस्तुत करता है | सनातन हिंदू धर्म से आज अनेकों धर्म एवं पंथ बने परंतु विशेष पर्व पर सभी सनातन धर्मी एक होते देखे जाते हैं | यही सनातन धर्म की दिव्यता है | हमारे पर्व / त्यौहार लोगों को एक करने का कार्य को करते ही हैं साथ ही जहां दूसरे धर्मों के त्योहारों में जीव हत्या होती है वही हमारे पर्व एवं त्यौहार जीवन देने का कार्य करते हैं | कोई किसी भी पंथ का हो परंतु होली , दीवाली , दशहरा साथ - साथ मनाते हैं , जो कि सनातन धर्म की एकता का परिचायक है | हमारे यहां पर प्रत्येक राज्य में हर दिन कोई ना कोई त्योहार जरूर होता है जिसको सभी धर्म और जातियों के लोग खूब धूमधाम से मनाते है | हमारे देश के प्रत्येक प्रांत में लोग अलग-अलग वेशभूषा पहनते है जैसे पंजाब में पगड़ी, राजस्थान में रुमाल बांधते हैं कहीं पर धोती पहनी जाती है तो कहीं पर सूट पहना जाता है फिर भी लोगों में एक दूसरे के प्रति इच्छा का भाव उत्पन्न नहीं होता है |* *आज भौतिकवादी युग में जहां मनुष्य - मनुष्य से दूर होता चला जा रहा है , यहां तक कि परिवार के लोग एक दूसरे से बात करना नहीं पसंद कर रहे हैं ऐसे युग में भी सनातन धर्म के त्यौहार इनको मिलाने का एवं आपस में बात करने का अवसर प्रदान करते हैं | जिस प्रकार आज
समाज में जातिवाद का जहर घुल गया है , लोग एक दूसरे जाति के लोगों की भर्त्सना करते हुए नहीं थक रहे हैं , ऐसे में भी हमारे त्योहारों को सभी जाति एवं धर्म के लोग एक साथ मनाते हैं | जहां होली में स्वयं को हिंदू मानते ह्ए सभी जातियों उप जातियों के लोग एक दूसरे को ऊंच नीच का भेदभाव भुलाकर के रंग एवं अबीर लगाते हैं वहीं भगवान की पावन नगरियों में सभी जाति के लोग एक साथ दर्शन पूजन करके अपनी एकता का प्रदर्शन करते हैं | आज अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के प्रति श्रद्धा भाव अर्पित करते हुए "पंचकोसी परिक्रमा" भक्तों के द्वारा की जा रही है | यह परिक्रमा करते हुए साथ - साथ चलते हुए अनेक जाने - अनजाने लोग एक दूसरे से यह नहीं पूछते हैं कि आप किस जाति के हो ?? यहां सिर्फ भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा का प्रदर्शन करते हुए सभी सनातन धर्मी है | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" सभी धर्मावलंबियों से यह पूछना चाहूंगा कि जिस प्रकार किसी पर्व विशेष पर हम जातिवादिता को भूल कर के एक दूसरे के कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं वैसे ही वर्ष पर्यंत या जीवन भर क्यों नहीं चल सकते हैं ?? यही विचार यदि कर लिया जाए और जीवन में उतार लिया जाए तो आज भी ना तो सनातन धर्म की बराबर कोई धर्म है और ना ही सनातन धर्मावलम्बियों के बराबर कोई जन समुदाय | आज जिस प्रकार जातिवाद के चक्कर में हम एक दूसरे को नीचा दिखाने पर लगे हैं यह बंद करना होगा |* *जिस दिन सभी जातियों उप जातियों के लोग यह समझ जाएंगे कि हम पहले सनातन धर्मी है ! पहले हिंदू हैं , बाद में अन्य जाति उस दिन सनातन धर्म पुनः अपनी पताका फहराने में सफल होगा |*