आज जिधर देखो एक ही चर्चा सुनाई पड़ती है --- बाबाओं ने यह किया , बाबाओं ने वह किया | आज इन तथाकथित साधुओं/संतों के कारण अनेक सिद्ध महात्मा भी संदेह के घेरे में आ गये हैं | आज इनकी दुर्दशा या आत्मसम्मान/साधुता को कुछ गिने-चुने ढोंगी बाबाओं के कारण ठेस पहुंच रही है | जो वास्तव में सिद्ध संत होता है , वह चमत्कार न दिख दिखलाकर चमक-दमक से दूर एकान्त में भगवान का भजन एवं प्राणिमात्र की सेना तक ही सीमित रहता है | वह हर प्राणी में परमात्मा को देखता है | और हमारे पुराणों में इसी भाव को समाधि कहा गया है | सम+धि= समाधि | सम रा का अर्थ हुआ बराबर एवं धि का अर्थ बुद्धि अर्थात जो अपनी बुद्धिनुसार सबको समान रूप से देखे वही समाधिस्थ कहा जा सकता है | परंतु आज के परिवेश में संतों की परिभाषा ही बदल गयी है बड़ी-बड़ी जटायें , चमक-दमक के साथ करोड़ों अनुयायियों के साथ दिखे वही संत है | जो टेलीविजन पर भाषण दे, जो सोशल मीडिया पर छाया रहे वही आज के युग में सिद्ध व पहुँचा हुआ बाबा माना जाता हा | आज यदि इनइनत द्वारा हमारा समाज ठगा जा रहा है तो दोषी कौन है ???? यहाँ एक कहावत याद आ गयी है कि ----+ "जब तक इस धरती मूर्ख लोग हैं बुद्धिमान कभी भूखों नहीं मरेगा " | आज वही हो रहा है----- जरा सा चमत्कार देखकर हम इनके अनुयायी बनकर अपना सब कुछ गंवा रहे हैं | विशेषकर मैं उन महिलाओं को दोषी मानता हूँ जिन्होंने शायद कभी अुने पति के चरण न दबाये होंगे , वे इन बाबाओं के टक्कर में पड़कर उनका चरण दबा रही है और अपना धन, धरम सब कुछ गंवा रही हैं | आज ऐसे संतों के दरबार में अधिकतर अमीर घरानों की महिलायें (क्योंकि गरीबों के लिए वहाँ प्रवेश वर्जित है) ही देखने को मिलती हैं | जो शायद अपनी आदर्श सीता, सावित्री, अनुसुइया को भूल गयी हैं जिन्होंने मात्र पति को परमेश्वर मानकर उनकी ही सेवा करके यमराज तक को पराजित किया है | त्र्देवों को बालक बनने पर विवश कर दिया है | ु परंतु आज की महिलायें पति परमेश्वर की अवहेलना करके इन बाबाओं के चक्कर सिर्फ इसलिए लगाती हैं कि बाबा जी यह बता दें कि कृपा कब आयेगी | आज कोई भगवान का साक्षात्कार करवा रहै रहा है तो कोई कृपा बरसा रहा है | विचारणीय यह है क् यदि हम इनके पास कृपा प्राप्त करने जायॉ ही न तो ये तथाकथित सिद्ध लोग कृपा देंगे किसको और कैसे ????? इसका अर्थ यह हुआ कि दोषी हम स्वयं है | यथा ----- बुराजो देखन मैं चला , बि बुरा न मिल मिलिया कोय | जौ दिल देख्यों आपना , हमसा बुरा न कोय || अत: दूसरों पर दोषारोपण करने से अच्छा है कि हम स्वयं को देख लें | क्योंकि हम सुधरेंगे , द जग सुधरेगा