*हमारा देश भारत विविध पर्वों एवं त्यौहारों का देश है | विभिन्न संस्कृतियों को अपने आप में समेटे हुए भारत देश में समय समय पर अनेकों त्यौहार आम जनमानस को अपार खुशियाँ प्रदान कर जाते हैं | सनातन संस्कृति के प्रत्येक त्यौहारों (पर्वों) में वै
ज्ञान िकता एवं पौराणिक इतिहास छुपा हुआ है | वैसे ही एक पर्व है ---------"मकर - संक्रान्ति" !!!! मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है जो विभिन्न नामों से लगभग पूरे भारत देश में मनाया जाता है | इसे मनाने के पीछे पौराणिक मान्यता है कि ----- जिस प्रकार मनुष्य के लिए प्रकृति ने दिन एवं रात्रि की व्यवस्था की है उसी प्रकार यह व्यवस्था देवताओं के लिए भी है | दिन सदैव से सकारात्मक एवं रात्रि को नकारात्मकता के रूप माना गया है | रात्रि को आलस्य , थकान एवं निद्रा के लिए जाना जाता है तो दिन को ऊर्जा स्वरूप कहा गया है | उसी प्रकार देवताओं की रात्रि एवं दिन छ: - छ: महीनों की होती है | देवताओं की रात्रि को "दक्षिणायन एवं दिन को "उत्तरायण" कहा गया है | चूंकि दक्षिणायन देवताओं की रात्रि है तो देवता सुप्तावस्था में होते हैं और शुभकर्मों का वह फल नहीं मिल पाता जो कि मिलना चाहिए | इसीलिए हमारे मनीषियों ने शुभकर्मों के लिए "उत्तरायण" (देवताओं के दिन) को अधिक शुभ फलदायी कहा है | जब सूर्य धनु राशि से निकलकर "मकर राशि" में प्रवेश करता है तो "उत्तरायण" का प्रारम्भ होता है अर्थात यह देवताओं के जगने का दिन होता है | वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी के दो भाग हैं दक्षिणी गोलार्ध एवं उत्तरी गोलार्ध | जब सूर्य दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश करता है तो उत्तरायण कहा जाता है | इसे सूर्योपासना के लिए विशेष माना गया है |**मकर संक्रान्ति का यह महापर्व सम्पूर्ण भारत देश में विभिन्न रूपों एवं विभिन्न नामों से अपने - अपने रीति - रिवाजों के अनुसार मनाया जाता है | पंजाब, हिमाचल-प्रदेश, हरियाणा एवं दिल्ली में इसे "लोहड़ी" के नाम से जाना जाता है | तमिलनाडु में "पोंगल" एवं आन्ध्र प्रदेश , केरल, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में "संक्रान्ति तो बिहार एवं उत्तर-प्रदेश में "खिचड़ी पर्व" के रूप में विशेष रूप से मनाया जाता है | खिचड़ी का अर्थ है जहाँ विभिन्न संस्कृतियां एकरूपता को प्राप्त हो जायं | खिचड़ी पर्व का शुभारम्भ भारत के उत्तर - प्रदेश के गोरखपुर से प्रारम्भ हुआ | गोरखपुर के योगी बाबा गोरखनाथ जी को भगवान शिव का अंशावतार माना गया है | जब भारत पर अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया तो योगी गोरखनाथ जी योगियों की विशाल सेना के साथ उसका मुकाबला करने लगे | लड़ते - लड़ते भोजन बनाने का समय न मिलता | बिना भोजन के योगीजन दुर्बल होने लगे , तब योगी गोरखनाथ जी ने एक नयी युक्ति निकाली और रसोईये को आदेश दिया कि एक ही बर्तन में दाल, चावल, सब्जी आदि डालकर भोजन सिद्ध कर लें | इस प्रकार मकर संक्रान्ति के दिन एक नया
व्यंजन बनकर तैयार हुआ और गोरखनाथ जी ने उसे "खिचड़ी" नाम दिया | उस खिचड़ी को खाकर योगियों को एक नई ऊर्जा प्राप्त हुई एवं समय की बचत भी हुई | तब से उत्तर- प्रदेश एवं बिहार में मकर संक्रान्ति के दिन खिचड़ी बनाने की परम्परा प्रारम्भ हुई | उत्तर - प्रदेश के गोरखपुर में महायोगी बाबा गोरखनाथ का सिद्ध स्थान एवं तपोस्थली विद्यमान है | जहाँ आज भी "मकर - संक्रान्ति" के दिन विशाल मेला लगता है और भक्तजनों के द्वारा बाबा गोरखनाथ जी को खिचड़ी चढाने की एवं खिचड़ी बनाकर खाने की परम्परा चली आ रही है |* *जहाँ विभिन्न खाद्यपदार्थ एक ही बर्तन में मिलकर एक स्वादिष्ट भोजन परोसे वही है खिचड़ी | अर्थात जहाँ विभिन्न संस्कृतियाँ एक में मिलकर बाहर निकलें वही है महान देश भारत |*