जब से सृष्टि का प्रादुर्भाव हुआ तब से ही सकारात्मक एवं नकारात्मक शक्तियों का अभ्युदय एक साथ ही हुआ | आदिकाल से ही अच्छी संस्कृति , सभ्यता एवं आदिधर्म सनातन का विरोध करने वाले भी इसी सृष्टि में रहे हैं | किसी भी विषय पर कोई संशय होने पर उस विषय का गहनता से अवलोकन करके ही उस संशय से बाहर निकला जा सकता है ! यदि उस विषय को सूक्ष्मता से न देखा जाय तो मस्तिष्क में एक व्यर्थ की भ्रांति बन जाती है जो कि आजीवन नहीं मिटती | आजकल सनातन धर्म पर टिप्पणी करने वालों की कमी नहीं है दुखद एवं आश्चर्य करने वाला विषय यह है कि इसमें वे भी शामिल हैं जो स्वयं को सनातन का पुरोधा मानते हैं | सनातन धर्म में देवता ३३ कोटि के हैं या ३३ करोड़ ??? अक्सर यह विषय चर्चा एवं विवाद का विषय बनते देखा गया है | लोग खूब बढ चढ कर ऐसी चर्चाओं में सम्मिलित होते हैं | कुछ विद्वान तो प्रमाण भी देते हैं कि ऋग्वेद में तो ३३ देवताओं का नाम ही लिखा है | यह सत्य भी है | परंतु इन वेदपाठियों को यह भी देखना चाहिए कि उसी ऋग्वेद में एक स्थान पर ४० एवं एक स्थान पर असंख्य देवताओं का भी वर्णन है | अर्थात जहाँ पर जिसकी जैसी जरूरत पड़ी वहाँ पर उसका वर्णन किया गया | उदाहरण स्वरूप आपके परिवार में १० लोग हैं , और आपने अपने दो बच्चों का प्रवेश किसी विद्यालय में दिलवाया | तो विद्यालय में नामांकन आपके उन्हीं दोनों बच्चों का होगा न कि सभी १० सदस्यों का | ठीक उसी प्रकार वेदों में भी जब जहाँ जिसकी जैसी आवश्यकता पड़ी वैसा ही वर्णन किया गया है | अब अगर विद्यालय प्रशासन द्वारा अभिभावक से यह कहा जाय कि आपके परिवार में तो यही दो बच्चे हैं बस | तो परिवार का अभिभावक क्या यह बात स्वीकार कर सकता है ?? भारतीय ग्रंथ वेदों में वर्णित देवताओं को वैदिक देवता कहते हैं - ये आधुनिक हिन्दू धर्म में प्रचलित देवताओं से थोड़े अलग हैं। वेदों के प्रत्येक मंत्र का एक देवता होता है, देवता का अर्थ - दाता, प्रेरक या
ज्ञान -प्रदाता होता है | जिन देवताओं का मुख्य रूप से वर्णन हुआ है वे हैं - अग्नि, इंद्र, सोम, मित्रा-वरुण, सूर्य, अशिवनौ, ईश्वर, द्यावा-पृथ्वी आदि हैं | ये वैदिक देवता आज भारतीय हिन्दू धर्म में व्यक्ति आधारित देवता जैसे - राम, कृष्ण, हनुमान, शिव, लक्ष्मी, गणेश, बालाजी, विष्णु, पेरुमल, गणेश, शक्ति आदि से अलग हैं | वेदों में शाश्वत वस्तुओं और भावनाओं को देवता माना गया है, जबकि पुराणों में दिव्य व्यक्तियों और प्राणियों को - जिन्होने अनेक व्यक्तियों को सन्मार्ग दिखाया है | आधुनिक हिन्दू धर्म में पुराण और अन्य स्मृति ग्रंथों के देवताओं का अधिक प्रयोग है | अन्य वैदिक देवताओं में रूद्र, आदित्य, दम्पत्ति, बृहस्पति आदि आते हैं | वेदों में विश्वेदेवा करके अखिल-देवताओं का भी ज़िक्र है जो इन सबको एक साथ संबोधित करता है | इस प्रकार यदि अनेक पौराणिक एवं वैदिक उपाख्यानों को दृष्टिगत किया जाय तो ३३ कोटि देवताओं से आगे बढकर ३३ करोड़ देवी - देवताओं का अस्तित्व अवश्य मिलेगा | आज मनुष्य इन देवताओं के चक्कर में उलझकर अपने मुख्य दवीे-देवता (माता-पिता) की अवहेलना कर रहा है | जिनके संसर्ग से पृथ्वी पर आया और देवताओं को जानने के लायक हुआ | आईये हम घर में उपस्थित अपने माता-पिता की सेवा करें , जिससे सभी देवताओं के पूजन का फल मिलना है |