*सनातनकाल से इस धराधाम पर देवताओं के साथ दैत्यों का भी प्रादुर्भाव होता रहा है | और समय समय पर दानवों का वध देव पुरुषों / अवतारी पुरुषों के द्वारा होता रहा है | चाहे सतयुग रहा हो या त्रेता या फिर द्वापर इन सभी युगों में दैत्यों का तांडव हुआ है और इन तांडवों का केन्द्र रही है नारी | जिसने भी प्रकृतिस्वरूपा नारी को त्रास देने का प्रयास किया है उसका वध होता आया है | कंस ने बहन देवकी के बाल खींचे तो बालकृष्ण ने उसे सिंहासन से खींचकर मारा | रावण ने वेदवती का शीलभंग करना चाहा एवं सीताहरण जैसा जघन्य कृत्य किया तो उसका वध भगवान राम ने कर दिया | महिषासुर , भस्मासुर , कौरव आदिक दानव प्रवृत्ति वाली आत्माओं के वध का कारण भी नारी ही बनी | यह कहा जा सकता है कि दैत्य संस्कृति का विनाश करने में भगवान की बराबर की सहयोगी रही है नारी | बिना प्रकृति के पुरुष कुछ भी नहीं कर सकता | सदैव से सृष्टि के सृजन , पालन एवं संहार में सहयोग करने वाली नारी समय समय पर प्रताड़ित ही होती रही है इन राक्षसों के द्वारा ! जी हाँ ! वे राक्षस ही कहे जा सकते हैं जो
नारीशक्ति का सम्मान नहीं कर पाते | नारी शोषण की वस्तु मात्र न होकर पोषण की वस्तु है , बिना नारी के इस सम्पूर्ण सृष्टि की परिकल्पना ही व्यर्थ है | ब्रह्मा जी ने कई बार मानवी सृष्टि की परंतु उनकी बनाई सृष्टि तब तक नहीं गतिमान हुई जब तक उन्होंने नारी की सृष्टि नहीं की | नर नारी की सृष्टि करने के बाद ही ब्रह्मा जी का सृष्टि सृजन का स्वप्न साकार हो सका |* *आज कलियुग में पहले से ज्यादा राक्षस हो गये हैं ! जिनमें से सबसे बलशाली है "दहेज रूपी" दानव | किसी ने कहा भी है :--- "कंस गया रावण गया , चले गये अंग्रेज ! किंतु न
भारत भूमि से अब तक गया दहेज !! आज इस दहेज रूपी दानव के केन्द्र में भी नारियां ही हैं | दहेज रूपी दानव ने पता नहीं कितनी नारियों को भोजन बना लिया और पता नहीं कितनी इनसे बचकर अपने मायके में बैठी हैं | आज
समाज की मानसिकता इतनी विकृत हो गयी है कि लोग लालच में आकर चंद पैसों के लिए विवाह के पवित्र बंधन को भूलकर अपनी उस पत्नी का जिसके रक्षा का वचन लिया होता है स्वयं अपने हाथों या तो हत्या कर डालते हैं या फिर बहिष्कार / त्याग कर देते हैं | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" समाज को देखते हुए यह कह सकता हूँ कि आज उच्चवर्गीय लोग (नेता , अभिनेता , पत्रकार , एवं अधिकारी ) जो समाज का दर्पण कहे जाते हैं उनके द्वारा यह कृत्य किया जा रहा है | नारी को मात्र भोग्या मानने वाले इन लोगों की बहन - बेटियों के साथ यदि यही कृत्य किया जाय तो शायद इनकी समझ में आये कि यह करना सही है या गलत | विश्वास की डोर पर विवाह का पवित्र बंधन बाँधा जाता है , परंतु आज के आधुनिक युग में यदि पत्नी के मोबाईल पर गल्ती से भी नये नं० से कोई फोन आ जाता है तो यह पत्नी का त्याग कर देने का कारण बन रहा है | क्या हमारा विश्वास इतना कमजोर हो गया है ?? ऐसा कुछ हो जाने पर वह अबला पति द्वारा प्रताड़ित करके मायके भेज दी जाती है और उसका त्याग करने की घोषणा पुरुषों द्वारा की जाती है | इस दहेज रूपी दानव का वध करने कोई अवतारीपुरुष नहीं आयेगा बल्कि इसका वध हमारे आपके हाथों ही हो सकता है | आवश्यकता है जागरूक होने एवं नारी को सम्मान की दृष्टि से देखने की |* *आज यदि दहेज रूपी दानव अपना मुंह फैलाये खड़ा है तो उसका कारण हम और आप ही हैं क्योंकि यह हमारे द्वारा ही पैदा किया गया है | अब समय आ गया बै कि इसका वध कर दिया जाय |*