*हमारे देश की संस्कृति इतनी महान रही है कि समस्त विश्व ने हमारी संस्कृति को आत्मसात किया | सनातन ने सदैव नारी को शक्ति के रूप में प्रतिपादित / स्थापित करते हुए सम्माननीय एवं पूज्यनीय माना है | इस मान्यता के विपरीत जाकर जिसने भी नारियों के सम्मान के विपरीत जाकर उनसे व्यवहार करने का प्रयास किया है उसका समूल विनाश ही हुआ है | त्रेतायुग में उच्चकुल में जन्म लेकर महान विद्वान बने रावण का विनाश उसकी कुचेष्टा के कारण ही हुआ | भरी सभा में महारानी द्रौपदी को नग्न करके अपनी जंधा पर बैठाने का आदेश देने वाला दुर्योधन हो या द्रौपदी का चीरहरण करने वाला दु:शासन हो उसका भी समूल विनाश हो गया है | जितना दोषी किसी नारी का अपमान करने वाला होता है उससे कहीं अधिक दोषी वह समाज होता है जो किसी नारी के अपमान को देख व सुनकर विरोध नहीं करता है इसका ज्वलंत उदाहरण उसी दुर्योधन की राजसभा में देखने को मिलता है जहाँ भीष्म , द्रोण जैसे धुरंधर वीरों ने इस कुकृत्य का विरोध तक नहीं किया और उनका भी वध ही हुआ है | धीरे-धीरे समय परिवर्तित हुआ त्रेता , द्वापर के बाद कलियुग में इस प्रकार के कृत्यों का चारों और बोलबाला हो गया | इसका कारण मात्र कोई एक बलात्कारी नहीं अपितु पूरे समाज को कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी | अपनी सनातन सभ्यता के लिए जाना जाने वाला देश आज इतना पतित हो गया है कि हमारे देश में बेटियां सुरक्षित नहीं है | इसका कारण कोई एक ना हो करके समाज के सभी प्राणी है | बलात्कार किसी एक बेटी का होता है परंतु उसका विरोध करने वाले बहुत कम मात्रा में देखे जाते हैं | इसका एक कारण और भी है कि आज टेलीविजन के माध्यम से घर-घर में बलात्कार दिखाया जा रहा है और लोगों मजे लेकर उसे देखते - देखते इसे देखने के अभ्यस्त हो गये हैं | ये मूर्ख लोग यह विचार नहीं कर पाते कि हमारे द्वारा देखे गए इस दृश्य को हमारा पुत्र , हमारा परिवार जिसमें हमारी पुत्री एवं बहू भी है सब देख रहे हैं | यदि इस प्रकार के कुकृत्य आज बढ़े हैं तो इसमें अश्लील साहित्य एवं घर-घर में पनपा टेलीविजन एवं उनमें दिखाए जाने वाले आपत्तिजनक दृश्यों के अतिरिक्त सबसे ज्यादा यदि कोई बेशर्मी का दृश्य होता है तो वह भोजपुरी फिल्मों में होता है | जब हम इसको देखने से स्वयं को नहीं रोक पा रहे हैं तो समाज में आए दिन हो रहे बलात्कार से बेटियों को कैसे बचा पाएंगे ? यह विचारणीय एवं यक्ष प्रश्न है |*
*आज हमारा देश भारत विदेशी सभ्यता को स्वयं में आत्मसात करने के लिए दिन रात अंधी दौड़ में सम्मिलित तो हो गया है परंतु बलात्कार पर मौन हो जाता है | बलात्कारी का कोई धर्म नहीं होता उसे निशाचर एवं राक्षस की श्रेणी में गिना जाना चाहिए | जहां विदेशों में बलात्कारियों के लिए विभिन्न तरीकों से मौत के घाट उतारने का प्रावधान है वही हमारे देश भारत नें विदेशों से सब कुछ तो सीखा परंतु यह नहीं सीख पाया क्योंकि हमारे राजनेता अपनी राजनीति के चलते कोई कठोर निर्णय नहीं ले पा रहे हैं | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" देश के उच्च पदों पर बैठे हुए सभी आदरणीयों से इतना ही कहना चाहूंगा कि बलात्कार जैसे कुकृत्य पर राजनीत से ऊपर उठकर एक कठोर कानून बनाने की आवश्यकता अब आ गई है | मोमबत्ती जलाकर किसी पीड़िता के प्रति संवेदना प्रकट करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेने मात्र से यह अपराध नहीं रुकने वाला है , इसके लिए देश में एक ऐसा कानून होना चाहिए जिसने बलात्कारी के लिए मात्र एक दंड हो और वह प्राणदंड होना चाहिए | ऐसे अपराधियों को ऐसी मृत्यु दी जानी चाहिए जिसे पूरा समाज देख सके एवं ऐसा करने वाले इस कुकृत्य को करने के पहले हजारों बार विचार करने पर विवश हो जायं अन्यथा आए दिन निर्भया , दिशा एवं प्रियंका रेड्डी जैसे शर्मसार कर देने वाली को कृत्यों को देखना विवशता हो जाएगी | सर्वप्रथम तो अश्लील साहित्य एवं टीवी चैनल पर दिखाई जाने वाली फिल्म से ऐसे दृश्य को सेंसर द्वारा अलग करने की आवश्यकता है और साथ ही अपनी संतानों को संस्कारवान बनाने की भी आवश्यकता है और यह तभी संभव होगा जब हम स्वयं संस्कारवान बनते हुए ऐसी फिल्मों एवं चैनलों का बहिष्कार करेंगे |*
*आज पूरे देश में हैदराबाद की घटना पर उबाल देखने को मिल रहा है चार दिन बीत जाने पर यह उबाल पानी के बुलबुले की तरह बैठ जाएगा और फिर कोई प्रियंका रेड्डी इन बलात्कारियों का शिकार हो जाएगी | ऐसा ना होने पाए इसके लिए मात्र सरकार को ही नहीं वरन समाज के एक-एक व्यक्ति को सोचना होगा एवं इसके लिए आर-पार की लड़ाई लड़नी होगी |*