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बाल-विमर्श

hindi articles, stories and books related to Bal-vimarsh


भैया छोटू चले शहर रहने नए किराए घरवहाँ करेंगे खूब पढ़ाई गांव से होगी शहर चढ़ाईभैया अब ना घर आएंगे वहीं बनाएंगे खाएंगे मम्मी का है गजब तमाशा सुबह शाम बस आशा झांसाचावल दाल वही तरकारी छोड़ेंगे शाला स

वाह रे वाह, शिक्षा प्रणाली भारत की शिक्षा प्रणाली किताबों के बोझ ने जान बच्चों की ले ली स्लेबस की दरों दीवारों मे कैद हो गया बचपन होम वर्क मे सिमटे रह गये बालपन ये नटखट आँख खुले स्कूल मे शाम कटे कि

शिक्षा हो गई है बिकाऊ,  गली-गली में बिकती है। चंद पैसों के खातिर अब, मारी मारी फिरती है। स्कूल खोलने का उद्देश्य, बस पैसा कमाना रह गया है। पढ़ाई हो या ना हो, बस बिजनेस जमाना रह गया है। बड़े स्कूल

        कॉलेज में आज उत्सव का माहौल था। छात्र- छात्राएं, शिक्षक- शिक्षिकाएं सभी अपने- अपने कामों में व्यस्त थे। पूरे हॉल में सजावट की गई थी। जगह-जगह गुब्बारे और रिबिन से पूरा हाॅल

आजकल हम सभी एक मुखौटा लगाकर घुम रहें हैं.... सच्ची खुशी और अच्छी मुस्कुराहट लगभग भुल ही चुके हैं...। आज से सालों पहले लोग जब एक दूसरे के घर जातें थें... मिलने के लिए... त्यौहारों पर... खैरियत पुछ

ऑनलाइन हुई बंद पढ़ाई, बच्चों की अब शामत आई। ऑफलाइन एग्जाम की खबर ने, बच्चों की है नींद उड़ाई। ऑनलाइन क्लास में करके बंद कैमरा, म्यूट दबा के मौज मनाई। पढ़ा नहीं कुछ भी साल भर, स्क्रीनशॉट लेकर गैलरी भर

नारियल के पेड़ बड़े ही ऊँचे होते हैं और देखने में बहुत सुंदर होते हैं | एक बार एक नदी के किनारे नारियल का पेड़ लगा हुआ था | उस पर लगे नारियल को अपने पेड़ के सुंदर होने पर बहुत गर्व था | सबसे ऊँचाई पर बैठन

ऑनलाइन हो गई पढ़ाई,बच्चों ने अब रट लगाई।पापा मुझे मोबाइल दिला दो,देखो मेरी क्लास आई।चार चार कैमरे वाला हो,कनेक्ट हो उसमें वाईफाई।क्लियर उसमें वीडियो दिखे, मोबाइल चाहिए हाई फाई।पापा चलाएं कीपेड&nb

मत पूछो ओ लाल मेरेक्या है आंगन के पारएक अलग ही दुनियाजहाँ सबकुछ है व्यापारस्वार्थ धर्म है जीवन कादोष मानते प्यारएक अलग ही दुनियाबस्ती इस आंगन के पारइस आंगन के पार मिलेगीरिश्तों की इक रेलडिब्बे जिसके झ

अन्नप्राशन के समय जब मेरा नामकरण हुआ था तब मैं ठीक मैं नहीं बन सका था या फिर बाबा का ज्योतिषशास्त्र में विशेष दख़ल न था। किसी भी कारण से हो, मेरा नाम 'सुकुमार' रखा गया। बहुत दिन न लगे, दो ही चार साल मे

[ जंगल से प्यार ]   [ पांचवीं  [अंतिम किश्त] ] [उधर उपरी डाली पर बैठे चिड़िया गण आपस में चर्चा कर रहे थे कि अब हमें यहां से उड़ जाना चाहिए वरना सांप अगर उपर आ जाएं तो हमारी ज़िन्दगी म

काशी तुम जीवन का प्रयाण होप्रातः अरु सायं  वंदन तुम्हें स्वीकार होतुम तरनी हो मम नश्वर आकार कीबनी हो संज्ञा मम जीवन व्यवहार कीकाल भी आपका नित वंदन करतेमहाकाल ॐ नमः शिवाय हैं भजतेअभिलाषा ..... (शू

काशी तुम जीवन का प्रयाण होप्रातः अरु सायं  वंदन तुम्हें स्वीकार होतुम तरनी हो मम नश्वर आकार कीबनी हो संज्ञा मम जीवन व्यवहार कीकाल भी आपका नित वंदन करतेमहाकाल ॐ नमः शिवाय हैं भजतेअभिलाषा ..... (शू

एक जंगल में शेर राजा ने सभी जानवरों को अलग-अलग पदों पर नियुक्त किया। चीते को उसके तेज दौड़ने की

मीकू एक आलसी खरगोश था। वह मेहनत करना नहीं चाहता था। वह धीरे-धीरे कुलांचे भरते हुए चलता। अपने आल

 एक बार एक नाई जंगल से होकर गुजर रहा था। जंगल में जंगली जानवरों का बड़ा भय था। उसे बहुत डर लग र

एक नव सुख जीवन में आया
एक नन्हा जीवन मुस्काया
कुछ नादानी कुछ शैतानी

हा में नेता हूं 

 बरसाती मेंढक की तरह 
चुनावी सीजन में ही

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