देर रात को मेरे घर में,
आई है किसीकी अर्जी,
दूर देश से मेरे घर को,
लौट आई आज वर्दी!
बचपन से जवानी तक,
वो यादों का मेरा सफर,
वो लाड प्यार और दुलार,
ना सुनने पर डांट फटकार!
जिद पर तेरे हर बार झूकना,
तेरी हर नादानी को छिपाना,
आंसू तेरे गिरता देखके यूंही,
खुद ही आंसूओं में बह जाना!
हर मजहब को बांधे जो,
एकता की अनोखी है डोर,
बरसो से बैठी इंतजार में,
खिंचे मुझे बस तेरी ओर!
आया वर्दी पहन मेरा लाडला,
दिल ना जाने अब संभालना,
जच रहा है वो ऐसे जैसे की,
निळे गगन में चमके सितारा!