असंभव से सोचो आज तक,
बहुत कुछ होता आया संभव,
सोच का ही तो फरक होता,
संभव और असंभव के बीच!
सबकुछ हासिल भी है हमें,
बस मेहनत की हो तीव्र धार,
लडखडाये जिस मोड कदम,
हो फिर अपनों का आधार!
पैरों पे खडा होना असंभव,
बोलना लगता हमें असंभव,
मिलके रहना था असंभव,
खाना पकाना था असंभव!
असंभव था समुंदर को लांघना
असंभव चांद तारों को था नापना,
असंभव लगती हर एक तरक्की,
असंभव था गगन तक पहूंचना!
जितना दिखता था असंभव,
आज सोच से है वहीं संभव,
जो आज आपको लगे असंभव,
आप ही कल में करेेगें वो संभव!
पर कल की इंतजार में ना बैठना,
कोशिश आज ही पूरी पूरी करना,
फिर कामयाबी का हर एक रास्ते,
ठहर जायेगें सिर्फ आपके वास्ते!