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डायरी

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डायरी दिनांक ११/०८/२०२२ शाम के सात बजकर पैंतालीस मिनट हो रहे हैं ।   भारत में बहुत लोगों ने आज रक्षाबंधन का त्योहार मनाया तो बहुत से लोग कल रक्षाबंधन का पर्व मनायेंगें। सरकारी अवकाश कल दिनांक १२

डायरी दिनांक ०७/०८/२०२२सुबह के नौ बजकर तीस मिनट हो रहे हैं ।  आज सुबह से ही तेज बारिश होने लगी। कुछ देर बहुत तेज बारिश हुई। फिर कुछ धीमी दर से भी बारिश होती रही। अभी बरसात बंद हुई है। मौसम में ठं

डायरी दिनांक ०२/०८/२०२२ रात के आठ बजकर पचास मिनट हो रहे हैं । कल की डायरी तो किसी ने पढी ही नहीं। अभी तक पाठक संख्या शून्य दिखाई दे रही है। आज की डायरी देखते हैं कि कितने लोग पढते हैं। वैसे

डायरी दिनांक २२/०७/२०२२   सुबह के आठ बजकर पच्चीस मिनट हो रहे हैं ।   कल डायरी लेखन नहीं किया था। परसों शाम को गुर्दे की पथरी का दर्द बढा। घंटों परेशानी के बाद भी पथरी निकली नहीं। जौ के पानी

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डायरी दिनांक १९/०७/२०२२   रात के आठ बजकर दस मिनट हो रहे हैं ।   कभी कभी एक समस्या समाप्त नहीं होती, उससे पहले ही दूसरी समस्या आरंभ हो जाती है। अब गुर्दे की पथरी का दर्द बंद है तो दाड़ में दर

डायरी दिनांक १६/०७/२०२२   शाम के छह बजकर बीस मिनट हो रहे हैं ।      एक मेले में एक शो लगा। घोषणा की गयी कि ऐसा शो आपने कभी नहीं देखा होगा। और क्या देखा, यह कोई मुख से बता ही नहीं

डायरी दिनांक १५/०७/२०२२  शाम के छह बजकर बीस मिनट हो रहे हैं ।  उपन्यास पुनर्मिलन में इस समय श्री कृष्ण जी और राधा जी के विवाह के प्रसंग के साथ साथ भगवान जगन्नाथ रूप धारण करने की पृष्ठभूमि पर

डायरी दिनांक १४/०७/२०२२ शाम के छह बजकर बीस मिनट हो रहे हैं ।   एक बार स्वामी रामसुखदास जी महाराज ने कहा कि महाराज। यह मन बड़ा चंचल है। पूजा करने में, साधना करने में, मन लगता नहीं है।   स्वाम

डायरी दिनांक १०/०७/२०२२   शाम के छह बजकर चालीस मिनट हो रहे हैं ।   कल बहुत ज्यादा लेखन किया पर आज रविवार के अवसर कुछ भी लेखन नहीं हो पाया। एक साहित्यिक काम लगभग पूर्ण होने को है, पर उस

डायरी दिनांक ०८/०७/२०२२रात के आठ बजकर पैंतीस मिनट हो रहे हैं ।  आज नवीन अधिकारी ने बहुत देर तक मुझसे वार्तालाप किया। जिसमें मेरे हिस्से के कार्यों के साथ साथ सहभागिता के कार्यों पर भी चर्चा हुई।

डायरी सखि, आजकल सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की टिप्पणियां बहुत  अधिक सुर्खियां बटोर रही हैं । जिस दिन उन्होंने ये टिप्पणियां की थी , वहां पर मौजूद मीडिया ने उन्हें लपक लिया और तुरंत ब्रेकिंग न्

डायरी सखि, क्या तुम्हें पता है कि ये सिल्वर जुबली फंक्शन क्यों मनाते हैं ? नहीं ना ? पता होगा भी कैसे ? शादी की हो तो पता चलता ? बिना शादी के सिल्वर जुबली जैसे कार्यक्रमों के बारे में तुम क्या जा

डायरी सखि,  कभी सोचा नहीं था कि ऐसा भी होगा । राजस्थान में दिनांक 28.6.2022 को उदयपुर में एक बहुत ही नृशंस,  बर्बर, क्रूर, तालिबानी, पैशाचिक , अमानवीय कार्य हुआ । एक गरीब दर्जी का कुछ जेहादि

सखि, इस तरह हम लोग माउंट आबू की सैर कर रहे थे । रास्ते में बहुत से सैलानी विभिन्न मुद्राओं में फोटोशूट कर रहे थे और वीडियो भी बना रहे थे । आजकल फोटोशूट करने और वीडियो बनाने का प्रचलन बहुत ज्यादा

डायरी सखि, कोरोना के बाद कहीं आना जाना नहीं हुआ था । बच्चों का मन था कि कहीं घूमकर आयें । तो अचानक प्रोग्राम बन गया और शनिवार की शाम को हम लोग यहां माउंट आबू आ गये । सोचा था कि यहां गर्मी से

सखि, जब आदमी का गुरूर सातवें आसमान पर पहुंच जाता है तो आम आदमी ही इस गुरूर को तोड़कर ऐसे आदमी को सबक सिखाता है । लोकसभा उपचुनाव के परिणाम यही बता रहे हैं सखि । अभी हाल ही में तीन लोकसभा क्षे

डायरी सखि, "ये क्या हो रहा है देश में ? 2002 के दंगों का फैसला 20 साल बाद 2022 में आ रहा है । क्या यह महज एक संयोग है या कोई साजिश" ? जिन्होंने "साहेब" को फंसाने की साजिश रची थी , पुलिस उन्हें क्

डायरी सखि, क्या कभी तुमने यह कहावत सुनी है कि "तू कौन ? मैं खामख्वाह" ? बहुत प्रचलित कहावत है ये सखि । अब तुम ये पूछोगी कि आज अचानक इस कहावत की याद कैसे आ गई ? तो अचानक कुछ नहीं होता है सखि , कोई

डायरी सखि, देश में इस समय बड़ी उथल पुथल मच रही है । ऐसा लग रहा जैसे एक बार फिर से समुद्र मंथन हो रहा है । सत्ता रूपी अमृत पाने के लिए फिर से "देवता" और "दानवों" में युद्ध हो रहा है । अब मुझसे यह

सखि, एक कहावत तो सुनी होगी कि जो जैसा बोता है वह वैसा ही काटता है । यह बात सब लोग जानते हैं मगर मानते नहीं हैं । लोग इतने मतलबी हैं कि जब मौका मिलता है तो गधे की तरह दुलत्ती झाड़कर वे अपने ही माल

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