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डायरी

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सखि, तुम्हें तो पता ही है कि मेरा पौत्र शिवांश 29 मई को 6 माह का हो गया है । अब उसकी काली काली जुल्फें हवा में उड़ने लगी हैं । मुझे तो डर लगने लगा था कि कहीं उसकी उड़ती जुल्फों पर किसी हसीन गुड़ि

मानवता खो गई!!!!!03-06-2022शुक्रवारआज मन बहुत व्यथित है, उदास है।हमारे आसपास होने वाली कुछ घटनाएं हमारी आत्मा को झकझोर देती हैं, मन मस्तिष्क कार्य करना बंद कर देता है। इंसानियत,मानवता, दया, प्रेम, सद्

02/06/2022 गुरुवार बस कुछ यूं ही। ......................................... ऐ वक़्त ऐसे तो रुसवा न करता । आँखों की गलियों को तन्हा न करता । शख्सियत का हमारी तू हो जाता कायल । दो पल को गर, गुफ्तगू हमसे

सखि, मन बहुत उदास है । 1988 से 1990 का काश्मीर का माहौल याद आने लगा है । उस समय हिन्दुओं को चुन चुन कर मारा गया था । उनकी बहन बेटियों से दुष्कर्म,  सामूहिक बलात्कार और उनके साथ सरेआम बदसलूकी

प्रतिलपि सखि, पूरे देश में कोहराम मचा हुआ है । चारों ओर चीख पुकार हो रही है । दरबारी "रूदाली" बनकर जार जार रोये जा रहे हैं ।  चापलूस और चाटुकार आंखों में ग्लिसरीन डाल डालकर नौ नौ आंसू बहाकर

31/ मई/2022, मास,ज्येष्ठ,, दिन मंगलवार , समय अपराह्न, 12:15, सखी राधे, राधे राधे बोल मना, राधे राधे राधे बोल जरा। जय श्रीकृष्ण। सखी आज तो देखो कितना भेदभाव  हो रहा है ।लिपी पर ही देख लो जो है सब

सखि, आज ये मैं क्या सुन रहा हूं ? कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा है । वो जो ढोल नगाड़े बजा बजाकर , चीख चीखकर कहते थे कि इस देश में इकलौते ईमानदार केवल वही हैं । बाकी सब बेईमान हैं । इस देश में द

डायरी दिनांक ३०/०५/२०२२   शाम के चार बजकर पचास मिनट हो रहे हैं ।   मनुष्य जिन बातों को भूलने का प्रयास करता है, वे ही बातें अलग अलग तरीकों से मनुष्य को ज्यादा व्यथित करती हैं। वैसे जीवन संघर

डायरी दिनांक २९/०५/२०२२   शाम के पांच बज रहे हैं।   एटा में मैडीकल अस्पताल की बहुमंजिला इमारत का निर्माण चल रहा है। नवीन इमारत हमारे घर से सीधे दृष्टिगत होती है। कल शाम इमारत की पांचवी मंजिल

डायरी दिनांक २८/०५/२०२२   शाम के पांच बजकर पंद्रह मिनट हो रहे हैं ।   आज सुबह सुबह मेरे एक हितैषी ने एक चकित कर देने बाली सूचना दी। हालांकि घटना लगभग आठ से दस महीने पुरानी है। फिर भी इस घटना

डायरी दिनांक २७/०५/२०२२शाम के छह बजकर चालीस मिनट हो रहे हैं ।  आखिरकार आज धारावाहिक गीता का आखरी भाग लिख दिया। इस बार की रणनीति के अनुसार सारे भाग छोटे छोटे हैं। फिर भी शव्द सीमा दस हजार के पार ह

सखि, मुकद्दर भी बड़ी गजब की चीज है । सबका मुकद्दर एक सा नहीं होता बल्कि हर आदमी का अलग अलग मुकद्दर होता है । आदमी तो आदमी , कुत्तों का भी अलग अलग मुकद्दर होता है । कुछ कुत्ते तो सड़कों पर ही पैदा

डायरी दिनांक २६/०५/२०२२ शाम के पांच बजकर पैंतालीस मिनट हो रहे हैं ।   आजकल लिखना कुछ और चाहता हूं और लिखने कुछ और लगता हूँ। खासकर डायरी के विषय में तो ऐसा ही हो रहा है। जिन बातों को लिखना चाहता

डायरी दिनांक २५/०५/२०२२  शाम के छह बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । बच्चों के आने से आज काफी चहल पहल है। दूसरा बच्चों के साथ बड़ों की भी मौज बन रही है। वैसे भी दादा और नाना के घर का प्रेम अलग भी अ

डायरी दिनांक २२/०५/२०२२ रात के आठ बजकर बीस मिनट हो रहे हैं ।   आज का दिन अति व्यस्तता भरा रहा ।आज बाबूजी की पुण्य तिथि है। फिर छोटी बहन का आगमन भी आज हुआ। सुबह का समय अति व्यस्तता भरा रहा ।छोटी ब

सखि, महान नेता सुभाष चंद्र बोस का नारा तो तुमने सुना ही होगा ना कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा । दरअसल नेताजी तब देश से गुहार कर रहे थे कि देश ऐसे लोग उन्हें दे जो इस देश की खातिर बलि

डायरी दिनांक २०/०५/२०२२   शाम के छह बजकर तीस मिनट हो रहे हैं ।    एक कथा आज पढी। भगवान बुद्ध एक सरोवर के निकट बैठे थे। सरोवर में बहुत से कमल पुष्प खिले थे जिनकी सुगंध वातावरण में फैली ह

डायरी दिनांक १९/०५/२०२२ - प्रातःकालीन चर्चा   सुबह के आठ बजकर दस मिनट हो रहे हैं ।   आज रात में पथरी का दर्द उठने लगा। फिर लगभग पूरी रात परेशान रहा। पेनकिलर मम्मी के कमरे में थी। यदि रात को

डायरी दिनांक १८/०५/२०२२   शाम के छह बजकर पच्चीस मिनट हो रहे हैं।   धारावाहिक गीता में बकरी के लिये वार्तालाप के दौरान छिरिया शव्द का प्रयोग किया गया है। चूंकि यह प्रयोग मात्र वार्तालाप में ह

डायरी दिनांक १७/०५/२०२२ - सायंकालीन चर्चा   शाम के पांच बजकर पचपन मिनट हो रहे हैं ।   विगत दो दिनों से मिक्की (मकान-मालिक की कुतिया) के व्यवहार में बहुत ज्यादा बदलाव अनुभव कर रहा हूँ। पहले व

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