डायरी दिनांक ०५/०२/२०२२ दोपहर के तीन बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । आज का दिन आराम से गुजरा। छोटे मोटे व्यवधान के बाद आराम करने को मिला। दूसरी तरफ कल से आज तक बुखार नहीं आया है। हालांक
दिनांक :4.2.2022समय : शाम 7:30 बजेप्रिय डायरी जीये सप्ताह इतना बिजी रहा कि क्या बताऊँ! तुमसे भी अच्छे से बात नहीं हो पाई। आफिस में यह एक एक्ट के रूल्स बनाने में निकल गया। सारा दिन मीटिंग होती है।
दिनांक : 04.02.2022समय : 7 बजे प्रात:प्रिय सखी,सुप्रभात!आपका दिन मंगलमय हो। ईर्ष्या ऐसी चीज़ है वो उन लोंगों से ज्यादा होती है जो लोग आपके बेहद करीब होते है। अनजान लोगों से ईर्ष्या कौ
डायरी दिनांक ०४/०२/२०२२ - आयुर्वेद की शरण सुबह के दस बजकर पचास मिनट हो रहे हैं । हमारे बुजुर्गों और ऋषि मुनियों द्वारा इजाद पद्धतियां आज भी उस समय याद आती हैं जबकि सारे आधुनिक तरी
3 फरवरी 2022 गुरुवार मेरी प्रिय सखी, समय की आंधी के साथ हम सभी आगे से आगे बढ़ते जा रहे हैं। क्यों सही कह रही हूॅं
डायरी दिनांक ०३/०२/२०२२ - भांति भांति के लोग शाम के पांच बजकर चालीस मिनट हो रहे हैं । संसार में कितने प्रकार के जीव हैं। अधिकांश का तथा मेरा भी व्यक्तिगत विश्वास यही है कि यह सारी
3 फरवरी 2022.......गुरुवार.....समय सुबह के 5:30 बजे........ मेरे घर का सबसे प्यारा हिस्सा बालकनी.... यहाँ आतें ही एक अजीब सा सुकून मिलता हैं...। ठंडी ठंडी हवा जैसे कानों में आकर कुछ कह रहीं हो..
दिनाँक : 02.2.2022समय : रात 8:35 बजेप्रिय डायरी जी,कुछ दिनों से में झाड़ू ढूंढ रहीं हूँ। नहीं! नहीं! 'आप' की झाड़ू की बात नहीं कर रहीं हूँ। मैं बात कर रही हूँ, आप की झाड़ू की। 7 सा
2 फरवरी 2022 बुधवारमाघ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा द्वितीय संवत 2075 मेरी प्यारी सखी, इस भवसागर रुपी संसार में आकर हम उस परमपिता परमेश्वर को ही
आज की तारीख.... 2 / 2 / 22माँ..... हर बच्चे की चाहत... हर उम्र में जरूरत...। हम छोटे से बड़े क्यूँ ना हो जाए.... माँ की चाहत हमेशा ही रहतीं हैं...। माँ ही वो शख्स हैं जिसकी गोद में सिर रखकर
1 फरवरी 2022 मंगलवार समय 10:20 मेरी प्यारी सखी, मौसम में अभी भी सर्दी का शुमार बरकरार है। लेकिन सूरज के निकलने से गर्मी भी महसूस हो
1 फरवरी 2022......पहली बार डायरी लेखन लिख रहीं हूँ..। कोशिश करूंगी बेहतर और अच्छा लिख सकूँ...। कुछ भी लिखने से पहले अपना एक संक्षिप्त परिचय दे रहीं हूँ...। दिया जेठवानी.... एक गृहणी..... दो बच्चि
मै जब यह लिखने बैठा तो एक एक कर अतीत के पन्ने खुलते चले गए। मै आखिर एक सरकारी मुलाजिम रहा,मुझे सीमित आय में घर को व्यवस्थित चलाना पड़ता।उसके