पर आज से 20 साल पहले इन्ही दुकानदारों ने यही किया था। 1999 की बात है जब उद्योग सघ के लोग दुकानदारों से निवेदन कर रहे थे कि वो चीनी सामान आपनी दुकानों पर न बेचें। इससे हम छोटे उघोग वाले सड़क पर आ जायेंगे। इन्ही चीनी सामान की वजह से हमारे मौसा जी की प्लास्टिक के खिलौने बनाने की फैक्ट्री बन्द हो गई।
2004 की बात है मैंने एक गिफ्ट एम्पोरियम वाले से कहा था कि वह चीनी खिलौने न बेचे। उसने कहा मैं नहीं बेचूँगा तो दूसरा कोई और बेचेगा। ये तो बिजनिस है। मुझे जिस चीज में फायदा होगा मैं वो चीज बेचूँगा। अब वे लोग (बड़े ब्राण्ड आदि) बिजनिस कर रहे हैं तो इन्हें बुरा लग रहा है। पहले वो लोग जो चीजे इन दुकानदारों से बिकवा रहे थे वो अब खुद ही अपने शोरूम आदि से बेच रहे हैं।