हेनरी फोर्ड का नाम सदी के महानायकों में लिया जाता है। पर वास्तव में इन्होंने किया क्या ? इन्होंने असेम्बली लाइन को अपनाया जिससे कारे बड़ी संख्या में बनने लगी। दूसरे उघोगों ने भी इनकी नकल शुरू कर दी। जिससे कोई प्रोडक्ट अब डिमांड से ज्यादा बनने लगा। अब सप्लाई या डिमांड बढ़ाने के लिए कम्पनियों को नये-नये प्रयत्न करने पड़े।
पहले गाँव में ही सब कुछ पास-पास होता था पर बड़े-बड़े शहर बनने से कारों की माँग तो बढ़ गयी पर समय कम पड़ने लगा। कोई सामान लेना हो तो कार से पहले एक जगह जाओ फिर दूसरी जगह। मन्दिर जाना हो तो भी कई घण्टे लगते हैं। कारों की संख्या बढ़ने पर जाम की समस्या पैदा हुई जिस कारण चौड़ी-चौड़ी सड़के या नई जगह सड़के बनानी पड़ी। इससे जमीन की किल्लत बढ़ गई। पर्यावरण को बचाने के लिए पेट्रोल की जगह बिजली व अन्य तरह की कारें आ रही हैं। पर उनको खड़ा करने ( पार्किंग ) या रखने ( गैराज आदि ) के लिए जमीन कम पड़ रही है। दुनियाँ में जितनी जमीन ( पार्किंग, गैराज, वर्क शॉप व बड़ी-बड़ी सड़कें ) इन कारों की वजह से घिर रही है उतने में जंगल या लोगों के लिए घर बन सकते हैं। इन कारों से बचने का उपाय यही है कि लोग गाँवों में रहे या टाऊन सिटी जैसी सोसाइटी में यहाँ सारी सुविधाएं (दुकान, स्कूल, सिनेमा,हॉस्पिटल आदि) आसपास ही मिल जाती हैं।