बाजार में कई लोग एक आदमी को पीट रहे थे पता चला कि वो आदमी किसी का पर्स चुरा के भाग रहा था। कई लोग हैं जो एक प्लेटफार्म से लेख चुरा कर उसे दूसरे प्लेटफॉर्म पर अपने नाम से प्रकाशित कर देते हैं। कई तो ऐसे जिगरबाज हैं जो उसी प्लेटफार्म पर ही आ जाते हैं। ऐसे चोरों का सरकार या पुलिस भी कुछ नहीं बिगाड़ पाती। ये लोग अपने को चोर नहीं मानते बल्कि ये अपने को उस रचना का प्रसारक कहते हैं और आप पर ऐहसान करते हैं।
पहले कई दुकानदार कैसेट पर गाने भरा करते थे जिससे गायकों व संगीत उघोग को बहुत नुकसान होता था। CD आने के बाद तो घर-घर में लोग नकली CD बनाने लगे थे जिससे असली रचनाकारों (फिल्म, गेम, साफ्टवेयर आदि बनाने वाले ) को बहुत नुकसान होने लगा। अब इंटरनेट पर तो इतने चोर आ गये हैं कि असली को भी लोग चोर समझ बैठते हैं क्योंकि असली रचना पर 10 व्यू आयेंगे तो चोरों पर हजारों या लाखों व्यू आ जाते हैं।