स्कूल के बच्चों की पर्यावरण रैली निकल रही थी। सबके हाथों में पट्टीयां थी, पेड़ बचाओ, ये करो, वो करो। पर इन रैलियों से होता क्या है। न तो बच्चों पर कोई फर्क पड़ता है, न देखने वालों पर। हाँ सड़कों पर कुछ देर के लिए जाम जरूर लग जाता है। कई बार रैलियों में पीछे छूटा कूड़ा जरूर दिखता है। मैंने भी बचपन में स्कूल की कई रैलियों में भाग लिया है पर इनसे कुछ नहीं होता।
बजाय इन रैलियों के स्कूल में बच्चों को यह सिखाना चाहिए पेड़ की देखभाल कैसे करें। बच्चों से पौधे लगवाये। वो कागज बचाना सीखें जिससे पेड़ बचें।
भरे पेट रोटी का महत्व समझ नहीं आता। उन गरीब लोगों से पूछो जो फुटपाथ पर सामान बेचने, पंचर जोड़ने को मजबूर हैं। मई-जून की गर्मी में वो धूप में काम करते हैं क्योंकि शहरों में पेड़ लगाने से कीमती जमीन बेकार होती है। इतनी जमीन में तो कोई दुकान खुल जाए। इन रैलियों से अच्छा तो बच्चों को इन लोगों की तकलीफ दिखाई जाये।