एक आदमी जब भी नहा कर आता उनके बाल पंखुड़ियों की तरह खड़े हो जाते। किसी ने इसका कारण पूछा तो उसने कहा कि मैं ok से नहाता हूँ इसलिए कमल सा खिल जाता हूँ।
90s का यह चुटकुला उस समय के साबुन की याद दिलाता है जैसे सिन्थोल, मार्गो, नीम, मेडिमिक्स, रेकसोना, हमाम, सन्तूर, पीयर्स,ब्रीज, मोती, केश निखार आदि। आजकल एक ही साबुन कई-कई वैरायटी में आता है। पहले बिल्कुल घिसे हुए साबुन को देखकर ही पता चल जाता था कि ये कौन सा साबुन है जैसे सफेद रंग का लक्स, हरे रंग का लिरिक्स। उस समय हर साबुन की अपनी अलग खुश्बू होती थी। लक्स की अपनी अलग खुश्बू थी। कई बार लोग खुश्बू से ही बता देते थे कि तुम सिन्थोल से नहाये हो या फिर लक्स, लाइफबॉय या लिरिल से।
92 के आसपास नीमा रोज (रोज रोज नीमा रोज-इसके विज्ञापन में तीन मॉडल एक साथ आती थीं ) फिर ब्रीज पहले गुलाब के साबुन आये थे। एक अण्डे के आकार का साबुन भी बाजार में आया था जो ज्यादा साल तक नहीं चला। ये पहला साबुन था जो तीन या चार रंगों में आया था। इस साबुन का विज्ञापन ' राहुल मैंने कहा था न पानी चला जायेगा' लोगों को गुदगुदाता था। इसके बाद निरमा ने भी अपना नहाने का साबुन निकाला। सन 2000 के आसपास पहली बार साबुन में खाने पीने के आईटम आये जिसे देखकर लोग खूब मजाक बनाते थे कि साबुन से नहायेगे या उसे खाएंगे। इससे पहले गुलाब, चन्दन जैसी चीजो के साबुन तो आते थे लेकिन दूध, क्रीम, शहद, जैसे साबुन तब नहीं आते थे, केवल लिरिल में नींबू होता था।