गूगले (गूगल) पर कुछ सर्च करो तो वह अपने यहाँ के परिणाम दिखाता है। भालू सर्च करो तो भूरे रंग के भालू, पुलिस सर्च करो तो चौकीदार (मुझे तो यही लगते हैं) , फुटबॉल सर्च करो तो कुछ। कई बार नाम बदल-बदल कर सर्च करने पर भी वो परिणाम नहीं आता जो हमें चाहिए होता है जैसे- ग्रामीण खिलौने, ग्रामीण खेल। यह चीज हमें भले ही छोटी लगें पर इसके परिणाम बहुत गम्भीर है। अब टेक्नोसेवी बच्चे भालू की फोटो देखकर पूछते हैं 'ये कौन सा जानवर है?' क्योंकि उनके लिए भालू भूरे रंग का होता है। ऐसे ही कई भारतीय चीजें हैं जिनसे हमारी नई पीढ़ी केवल इंटरनेट या टीवी कार्टून चैनलों के कारण दूर होती जा रही है।
हमारे बुद्धिजीवीयों व विशेषज्ञयों (मेरा की बोर्ड सही शब्द नहीं लिख पा रहा) को तुरंत इस पर सोचना चाहिए और ऐसा सर्च इंजन लाना चाहिए जो हमारे अनुकूल सर्च के परिणाम दिखाए ताकि हमारी अगली पीढ़ीयां अपने देश व आसपास के पर्यावरण से जुड़ सकें।