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सरकार और सेलिब्रिटी टाइप लोग कह रहे हैं की "योग का कोई मजहब नहीं होता"...इसी प्रकार ये अक्सर कहते हैं की "आतंक का मजहब नहीं होता"...पूरी दुनिया जानती है की दोनों बाते "सफ़ेद झूठ" हैं..आतंकवाद पर बात नहीं करना चाहता क्योंकि पूरा विश्व देख रहा है मगर योग का मजहब है और वो कौन सा मजहब है उसके कुछ साक्ष्य

योग भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण  वीध्या है. योग से हमारा सर्वांगीण, शरीरिक, मानसिक, बौद्धिक, व्यवहारिक विकास होता है. योग जीवन जीने की कला है, जिसे सीखकर व्यक्ति स्वस्थ रहता है, जीवन में सफल होता है. जीवन दिव्य बनाता है और अपना भाग्य बदलने में सक्षम होता है. योग सर्वांगीण विकास करने वाली कला ह

मिलावटी खाद्यान्न खाते-खाते इन्सान भी दिन-प्रतिदिन मिलावटी होते जा रहे हैं। यह पढ़-सुनकर तो एकबार हम सबको शाक लगना स्वाभाविक है। यदि इस विषय पर गहराई से मनन किया जाए तो हम हैरान रह जाएँगे कि धरातलीय वास्तविकता यही है। हम मिलावटी हो रहे हैं यह कहने के पीछे तात्पर्य है कि हम सभी मुखौटानुमा जिन

लेखक - जीशान जैदी बेरोज़गारी के धक्कों ने उसे बेहाल कर दिया था. दो दिन से उसके पेट में एक दाना भी नहीं गया था. मीठे पानी को तो वह बहुत दिन से तरस रहा था, क्योंकि पानी अब बहुराष्ट्रीय कंपनियों की संपत्ति हो चुका था. समुन्द्र का खारा पानी वह किसी तरह पी रहा था. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुन्द्र में न

😂झूठ बोलना …बच्चों के लिए … पाप ,,कुंवारों के लिए …. अनिवार्य ,,प्रेमियों के लिए ….. कला ,,और …शादीशुदा लोगों के लिए … शान्ति से जीने का मार्ग होता है....!!""✋ये है इस हफ्ते का साप्ताहिक ज्ञान।बड़ी मुश्किल से ढूंढ़ कर निकाला है।गीता में लिखना रह गया था।

वास्तविकता यही है कि आज हम मिलावट के युग में जी रहे हैं। जिस भी चीज में देखो कुछ-न-कुछ मिला होता है। हम लोगों को कोई भी खाद्य पदार्थ अपने शुद्ध रूप में नहीं मिल पाता जिनको पाना हम सबका अधिकार है। हमारा दुर्भाग्य है कि हमारे जीवन के साथ यह मिलावट का खेल चल रहा है। प्रायः टीवी और समाचार पत्रो

आज सवेरे ही से गाँव में हलचल मची हुई थी। कच्ची झोंपड़ियाँ हँसती हुई जान पड़ती थीं। आज सत्याग्रहियों का जत्था गाँव में आयेगा। कोदई चौधरी के द्वार पर चँदोवा तना हुआ है। आटा, घी, तरकारी, दूध और दही जमा किया जा रहा है। सबके चेहरों पर उमंग है, हौसला है, आनन्द है। वही बिंदा अहीर, जो दौरे के हाकिमों के पड़ाव

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मेंरे भाइयों और दोस्तों सपा की साईकिल यात्रा कहाँ तक चलेगी क्या यहीं पर समाप्त हो जाएगी या और आगे जाएगी |लेपटाप वितरण क्या साईकिल को और आगे ले जाएगी या नहीं अभी तक तो साईकिल गांव-गांव तक चली अब और कहाँ तक चलने की बारी है क्या साईकिल की गुण्डागर्दी और चलेगी इस समय साईकिल काफी तेज चल रही है सड़क बनवान

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चाहे भोजन करने के लिए कुर्सियों का जंग हो या नेताओं के बीच सत्ता का लेकिन कुर्सी का खेल बड़ा ही निराला है कोई मेज के लिए झगड़ा क्यों नहीं करते क्या खास बात है कुर्सी में इसे तो ऐसे ही समझ लेना चाहिए कि आज से ही मोदी क्यों इलाहाबाद जाकर अपनी कुर्सी पक्का करने में जुट गयें हैं |ये दूसरो को बेकार और अप

वाजिदअली शाह का समय था। लखनऊ विलासिता के रंग में डूबा हुआ था। छोटे-बड़े, अमीर-गरीब, सभी विलासिता में डूबे हुए थे। कोई नृत्य और गान की मजलिस सजाता था , तो कोई अफीम की पीनक ही के मजे लेता था। जीवन के प्रत्येक विभाग में आमोद-प्रमोद को प्राधान्य था। शासन विभाग में, साहित्य क्षेत्र में, सामाजिक व्यवस्था

प्रिय, तुम भूले,  मैं क्या गाऊँ बस तुमको ही, मैं दोहराऊं .सदियाँ बीती, तुम न आए. क्या कोई पत्थर बन जाए. मना -मना कर हार गई मैं, कैसे आखिर तुम्हे मनाऊं ?प्रिय तुम भूले, मैं क्या गाऊँ तप्त धरा औ नीलगगन है.मन में भी तो नित्य अगन है .तुम आओ तो पड़े फुहारें प्रेम-नीर में डूब नहाऊँ.प्रिय तुम भूले, मैं क्या

 अपुन के यहाँ भाई लोग कुछ इस तरह से पर्यावरण दिवस मनाते हैं,पहले सौ पेड़ काटते हैं और उस पर दस पेड़ लगाते हैं. और हर दस पेड़ों में सोचिए तो ज़रा कितने बच पाते हैं ? जब-जब अपने देश में, पर्यावरण दिवस सम्पन्न होता है, और उसी दिन से पर्यावरण और ज्यादा विपन्न होता है। परसोंं एक पर्यावरण प्रेमी मिल गए।

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पिछले हफ्ते भारत दर्शन के लिए पहुंचे ऐप्पल के सीईओ टिम कुक ने मोबाइल और लैपटॉप से इतर उससे भी कहीं बड़ा बाजार तलाश लिया है। उम्मीद है कि बहुत जल्द वह इस बाजार पर भी वर्चस्व बनाने की योजना तैयार कर नए प्रतिस्पर्धी बनाएंगे। यह बाजार है ज्योतिष, क्रिकेट और बॉलीवुड फिल्मों का।नई दिल्ली : पिछले हफ्ते भारत

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ग्लोबल वार्मिग को चलते हिमांचल प्रदेश और उत्तराखंड़ के ग्लेशियरों पर पिघलनें का खतरा बढ़ता जा रहा है, लेकिन इसी बीच कश्मीर के ग्लेशियरों को लेकर एक खुश खबरी आई है। यहां पिछले कई समय से ग्लेशियरों का आकार बढा है। भारत, पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान तक फैली काराकोरम पर्वत श्रृंखला के करीब 10 ग्लेशियर

भारत में हर माैसम अपनी रवानी में उतरता है अाैर कुछ उलाहने, कुछ प्रेम, कुछ पहेलियां बुझाते हुए निकल जाता है। इसीलिए हम भारतीय हर माैसम का बेइंतहा इंतजार करते हैं। गर्मियां भले ही ऊब-डूब करती सांसें अाैर पहलु बदलने का माैसम है, लेकिन अपनी रवायत अाैर रसीले अामाें की अामद की वजह से सभी काे इसका इंतजार र

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एक गांव में एक किसान अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता था। किसान गरीब था, नौकरी नहीं थी, कुछ जमीन थी, जिसमें अनाज उगाकर अपना गुजारा करता था। इस बार भी किसान और उसकी पत्नी ने पूरी महेनत और लगन से अपने खेतों में काम किया, और उसमें अनाज उगाया। फसल काफी अच्छी हुई, किसान अपनी फसल को देखकर काफी खुश था,

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हरियाणा (रोहतक) : वर्तमान में बन रहे मकान गर्मी में तपते हैं तो सर्दी में सिकुड़ने को मजबूर कर देते हैं। इसके पीछे कारण है कि मकान निर्माण में प्रयोग होने वाला लोहा, सीमेंट और पक्की ईंट ऊष्मा को अंदर आने से नहीं रोक पाते। इस समस्या से निजात पाने के लिए डॉ. शिव दर्शन मलिक ने गाय के गोबर एवं जिप्सम को

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यात्रा वृतांत: एक बारात की मजेदार यात्रा - Ignored Post | Top Interesting Post---जब लगन चरम पर हो और ठाला भी चरम पर हो तो पुरे सीजन में एक बारात भी करने को मिल जाए तो नरक कट जाता है और ये मलाल भी नहीं रहता की, इस सीजन में एक बारात तक नहीं मिली | कल बिल्कुल यही परिस्थिति थी | कल इस जानलेवा ठाले के दौ

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योगगुरु और प्रतिद्वंद्वी व्यवसायियों को शीर्षासन करने को मजबूर कर देने वाले स्वामी रामदेव ने आज राजधानी दिल्ली में कहा कि खेलों को प्रमोट करने के लिए सलमान जैसी हस्तियों का आगे आना खेलों के भविष्य के लिए फायदेमंद होगा। हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इस तरह के फैसलों से खिलाडि़यों का

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