*सनातन
धर्म इस धरती का सबसे प्राचीन धर्म होने के साथ ही इतना दिव्य एवं विस्तृत है कि इसकी व्याख्या करना संभव नहीं हो सकता | सनातन धर्म के किसी भी ग्रंथ या शास्त्र में मानव मात्र में भेदभाव करने का कहीं कोई वर्णन नहीं मिलता है | आदिकाल से यहाँ मनुष्य कर्मों के अनुसार वर्ण भेद में बंट गया | ब्राम्हण , क्षत्रिय , वैश्य एवं शूद्र इन चार वर्णों का वर्णन अवश्य प्राप्त होता है | आज
समाज में एक शब्द बहुत ज्यादा प्रचलित हो रहा है हरिजन | इस शब्द के विषय में जान लेना बहुत आवश्यक है | कि हरिजन किसे कहा जाता है | हरि अर्थात भगवान जन का अर्थ हुआ लोग | पूरे शब्द का अर्थ होता है जो भगवान के लोग हैं उन्हें हरिजन कहा गया है | इस बात की पुष्टि करते हुए मानस में परम पूज्यपाद गोस्वामी तुलसीदास जी अशोक वाटिका प्रसंग में लिखते हैं :-- " हरिजन जान प्रीति अति गाढ़ी ! सजल नयन पुलकावलि बाढ़ी !!" जब पवन पुत्र हनुमान जी अशोक वाटिका में जगत जननी मैया जानकी के समक्ष पहुंचते हैं और अपना परिचय राम दूत के रूप में देते हैं तब मैया सीता उनको भगवान का जन अर्थात हरिजन जानकरके अजर अमर होने का आशीर्वाद देती हैं | हमारे पुराणों में हरिजन शब्द मात्र भगवान के के अतिप्रिय भक्तों के लिए लिखा गया है | परंतु आज हरिजन का अर्थ ही बदल कर रह गया है कुछ लोगों ने इस शब्द के अर्थ का अनर्थ कर डाला है |* *आज
भारत का परिदृश्य देखा जाए तो इतना विकृत हो गया है कि पूरा समाज दो भगवान विभक्त नजर आता है | हरिजन शब्द का अर्थ ही बदल कर रह गया है | आज हरिजन शब्द का नाम बदलकर अनुसूचित जाति एवं दलित रख दिया गया है जो भारत की
राजनीति का वह बीभत्स से चेहरा है जो हमारे
देश भारत को बिभक्त करने पर लगा हुआ है | आजाद भारत में इसका सबसे बड़ा कारण भारतीय इतिहास के दो महापुरुष कहे जा सकते हैं | उनके विषय में बताना कोई आवश्यक नहीं है क्योंकि लगभग सभी जानते हैं कि हमारे देश में संविधान के जनक कहे जाने वाले बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर एवं राष्ट्रपिता की उपाधि प्राप्त करने वाले महात्मा गांधी जी इस के सबसे बड़े कारण बने | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" ज्यादा कुछ ना करते हुए इतना ही कहूंगा सनातन धर्म में सदैव से मानव मात्र एक समान मानते हुए कर्मों के आधार पर वर्ण व्यवस्था बनायी गयी थी , जिसे आज की राजनीति ने जाति व्यवस्था में बदल दिया | यह भारत का दुर्भाग्य कहा जाएगा और आने वाले दिनों में यह और भी वीभत्स होता चला जाएगा | अभी समय है कि लोग चेत जायं अन्यथा देश कहां जाएगा भगवान ही जाने | आज अपना हित साधने के लिए सभी राजनीतिज्ञ समाज को बाँटने का कार्य कर रहे हैं , जिसे लोग जानकर भी अनदेखा कर रहे हैं ! क्योंकि सभी अपना ही हित साधने में लगे हैं |* *मनुष्य सबसे पहले मनुष्य है उसके बाद कुछ और परंतु समय इतना विपरीत चल रहा है कि इसे समझा पाना भी असम्भव ही लग रहा है |*