*हे परमात्मा*,
*अगर आप का कुछ तोड़ने का मन करे*,
तो मेरा ग़रूर तोड़ देना..
*अगर आप का कुछ जलाने का मन करे*,
तो मेरा क्रोध जला देना..
*अगर आप का कुछ बुझाने का मन करे*,
तो मेरी घृणा बुझा देना..
*अगर आप का मारने का मन करे*,
तो मेरी इच्छा को मार देना..
*अगर आप का प्यार करने का मन करे*,
तो मेरी ओर देख लेना..
*"मैं शब्द, तुम अर्थ, तुम बिन मैं व्यर्थ"*