13 दिसम्बर 2021
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D
Sundar
<div>✍️ मन की भाषा तू ही जाने</div><div> और न जाने कोई दाता<
<div><br></div><div> ✍️ *किसी रिश्ते में जुड़ना या बिछड़ना,*</div><div><br></
<div> हुआ समर्पण </div><div> मिटी चाह सब</div><div>
<div> *धन* आते ही *सुख* मिलेगा इसकी कोई *गारंटी* नहीँ,</div><div> किन्तु *
<div><br></div><div> *क्षमा* उन फूलों के समान है जो *कुचले* जाने के बाद भी *खुशबू* देना बन्द
*"""""इस दुनिया में कुछ भी"""""*<div><br></div><div> *""स्थाई नहीं
अपने अन्दर का बचपना हमेशा जिन्दा रखें , क्योंकि ज्यादा समझदारी जिन्दगी को नीरस बना देती है,,,! जितनी जरुरत है उतना ही बोलिए क्यो कि जैसे, नमक खाने में ज्यादा या क
<div><br></div><div> *धैर्य* रखना बहुत आवश्यक है,</div><div> माली च
<div> &nbs
<div>*सुनरी यशोदा मैया*</div><div>*तेरा कन्हैया... *</div><div><br></div><div>मटकीया फोड़ गया</div><d
कई जन्मों से बुला रहा हूँ.....<div><br></div><div>कई जन्मों से बुला रहा हूँ,</div><div>कोई तो रिश्ता
*जिंदगी में धोखा मिले तो*<div> *उदास न हुआ करो,*</div><div> *बल्कि शुक्र मन
<div><br></div><div>*अपमान के विष को हँस कर पीनेवाला*</div><div>*एक दिन सम्मान के शिखर पर होता है*</
<br><div><br></div><div>♦️ *सुबह की मुख्य सुंदरता*</div><div> *सिर्फ हवा औ
<br><div><br></div><div>💧 *समय पर सब होता है*</div><div> *समय पर जन्म*</d
*एक सुंदर प्रार्थना प्रभु से-*<div><br></div><div><br></div><div>*प्रभु बुढ़ापा ऐसा देना।*</div><div>
चिट्ठी के जमाने में कितना सब्र होता था, आजकल तो रिप्लाई जरा देर से हो तो रिश्ते टूट ज
<div> तू परमात्मा</div><div> मै तेरा रंगर
<div> हमारी ही मुट्ठी </div><div> मे आकाश सारा</div><di
<div> झरनों से संगीत है झरता</div><div> पत्थर के
<div><br></div><div>*जीवन रहस्य का अमर कुंड*</div><div>*जीवन रहस्य का अमर कुंड*</div><div><br></div>
मन का कौन उपायकेवल निज हित सोचनाबहुत बड़ा अपराध,मानव का तन है धराकरे आचरण व्याध।धोता है तन नित्य हीपर मन की नहि थाह,बिन प्रभु कृपा कहां मिलेइस जीवन की राह ।तन गंगा जल धो रहामन का कौन उपायजब मन बदलेगा स
<div> वो मंज्ञिल नही</div><div> जिधर जा रहे हो</
<div> रही मन या संसार</div><div> सब से मिलिऐ धाए</div><div>&
<div> कि पल दा भरोसा यार </div><div> पल आवे न आवे &
<div> चल मुसाफिर चल </div><div> यहा कोई नही
उड़ जायेगा उड़ जायेगा,<div>उड़ जायेगा हंस अकेला,</div><div>जग दर्शन का मेला।</div><div><br></div
*एक सुंदर कविता, ख्वाहिश नहीं मुझेमशहूर होने की," आप मुझे पहचानते हो_ बस इतना ही काफी है।__अच्छे ने अच्छा और__बुरे ने बुरा जाना मुझे,_
*मानवता की सच्ची मिसाल*<div><br></div><div> *"मधुर कहानी*</div><div><br></div><di
स्वर्ण रथ पर सवार सूर्य देव <div> </div><div>स्वर्ण रथ पर सवार सूर्य देव, </div><div>सारी दुनिया की
<div>हिन्दी वर्णमाला का क्रम से कवितामय प्रयोग</div><div><br></div><div>*अ* चानक</div><div>*आ* कर मु
*मस्त रहो व्यस्त रहो* <div><br></div><div>*(1) जन्म से पहले सभी समानरूप से माँ के गर्भ मे
भक्ति गीत <div><br><div>* जागो रे मन *<div> </div><div>जागो रे मन, जाग रहा संसार, </div><div>भा
*सुखी बसे संसार सब,,, दुखिया रहे न कोय..!!!*<div>*यह अभिलाषा हम सब की,,, भगवन पूरी होय..!!!*</div><d
*ना प्रेम पाते,*<div>*ना प्रेम समझ पाते...*</div><div><br></div><div>ज़िन्दगी भर हम भटकते</div><div>र
<div><br></div><div><br></div><div>*इतनी रंग बिरंगी दुनिया,*</div><div> &
यह शरीर भी क्या है , ..<div>अभी मरा , </div><div>जलाया फिर उसकी राख रखने में</div><div>भी डर लग
समाज की उन नादान लड़कियो को मेरा संदेश <div>थोड़ा_समय_लगेगा_लेकिन_समय_निकालकर_जरूर_पढ़ें_और_अपने #
<div>*नफरत* खुलकर और *मुहब्बत* छिपकर करते हैं,</div><div> हम अपनी ही बनाई
*सुंदर पंक्ती* <div><br></div><div>*कहीं ना कहीं कर्मों का डर है !*</div><div>*नहीं तो गं
<div><br></div><div>*वक्त की धारा में,,,,*</div><div>*अच्छे-अच्छों को मजबूर होता देखा है*</div><div>
<div>*प्रार्थना *</div><div><br></div><div>हे रसराज</div><div>मेरे नवल किशोर,</div><div>आप मेरे हृदय
*पाने को कुछ नहीं,*<div> *ले जाने को कुछ नहीं;...*</div><div><br></div><div>*उड़ जाएंगे
<div><br></div><div>*साँचा नाम तेरा, तू श्याम मेरा,*</div><div>*साँचा नाम तेरा, तू श्याम मेरा,*</div
<div><br></div><div>हो तिमिर कितना भी गहरा</div><div>हो रोशनी पर लाख पहरा</div><div>सूर्य को उगना पड
*स्वरचित...* <div><br></div><div> *तेरी यादों में खोकर....* </div><div><br></div><div
<div><br></div><div> *कभी हँसते हुए छोड़ देती है ये जिंदगी*</div><div>*कभी रोते हुए छोड़ देती है
<br><div> *लाजवाब पंक्तियाँ* </div><div><br></div><div>*तन्हा बैठा था एक दिन मैं अप
<div><br></div><div>सर्व शक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नमः।</div><div><br></div><div>रे मन! मूरख जनम
<div><br></div><div>*ओ भगवान को भजने वाले धर ले मन में ध्यान*</div><div>*भाव बिनु मिले नहीं भगवान*</
<div><span style="font-size: 1em;">हे जीव भज ले</span> *</div><div><br></div><div>भावना से भज ल
एक डाल दो पंछी बैठा,कौन गुरु कौन चेला,<div> </div><div>गुरु की करनी गुरु भरेगा,चेला की करनी चेला रे
<div><br></div><div>*भगवान भगत की लाज,*</div><div>*अब तेरै हाथां मं ।।*</div><div>*घेर लियो है रै, च
*हे प्रभु,,,*<div><br></div><div> *कुछ और दे या ना दे*</div><div> &n
भक्ति गीत : दयावान सूर्य भगवान <div> </div><div> </div><div>“सूर्यदेव की महिमा ह
<div>*हे नाथ,* </div><div>*मुझमें शबरी जैसा धैर्य नहीं,*</div><div>*कि मैं सालों साल आपकी प्रती
<div>*यह ना सोच तेरे बगैर कुछ नहीं होगा यहाँ,* </div><div>*रोज़ यहाँ किसी को 'आना' तो किसी को '
<div><br></div><div>*हे गोबिंद.....*</div><div><br></div><div>काहे तू मनवा</div><div>भजन करे ना।</di
*ना चांद चाहिए ना पलक चाहिए*<div>*मुझे तो बस तेरी एक झलक चाहिए*</div><div> * मेर
<div>*हे जीव.... *</div><div><br></div><div>कृष्ण कहने से तर जायेगा, </div><div>पार भव से उतर ज
<div>हे मनमोहना....</div><div><br></div><div>माखन की </div><div>मटकी फोडी </div><div>गोपीन
<div><br></div><div>*उजाले में हर असलियत कहां नज़र आती है,* </div><div> *अंधेरा ही बता सकत
<div>*जय यशोदा मैया.... *</div><div><br></div><div>तेरो लाल यशोदा</div><div>छल गयो री</div><div>मेरो
*अमृत वेले जाग के बन्दे ,*<div> *ध्यान प्रभु का लगाया कर ।*</div><div>*किय
* चिंतन*<div><br></div><div>*शब्दों में धार नहीं बल्कि आधार होना चाहिए। क्योंकि, जिन शब्दों में धार
बस इतनी तमन्ना है...<div>श्याम तुम्हे देखूँ... घनश्याम तुम्हे देखूँ...</div><div><br></div><div>सर म
<div><br></div><div>*हथेली पर रखकर नसीब*</div><div>*तु क्यों अपना मुकद्दर ढूँढता है*</div><div>*सीख
चूहा अगर पत्थर का हो तो<div> </div><div>सब उसे पूजते हैं </div><div> मगर जिन्दा हो तो
<div>*सुनरी यशोदा मैया*</div><div>*तेरा काला कन्हैया... *</div><div><br></div><div>मटकीया फोड़ गया</d
<div><br></div><div>*कान्हा....*</div><div><br></div><div>मेरे मन की सी</div><div>मत करियो।</div><di
<div>*तेरे गिरने में, तेरी हार नहीं ।*</div><div>*तू आदमी है, अवतार नहीं ।।*</div><div>*गिर, उठ, चल,
<div>*हे नंदलाल.... *</div><div><br></div><div>पीछे ते आयो नंदलाल री,</div><div>मोपे रंग डार गयो री
Poem...<div><br></div><div>तू अपनी खूबियां ढूंढ,</div><div>कमियां निकालने के लिए</div><div> &n
बना लो सखी, रख लो संग।<div><br></div><div>खूब रिझाऊँगा मैं तुमको, </div><div>रचकर नये-नये नित ढ
*छलक गई गगरिया सारी, हुई बावरी राधे*<div><br></div><div>*दिवा स्वप्न में खो गई, रही गगरिया आधी*</div
आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…<div><br></div><div>दुर्योधन को मेवा त्यागो,</div><div>साग विदुर घर खायो प्य
<div><br></div><div>मैं तो जाउंगी, जाउंगी ससुराल, </div><div>
*एक बहुत ही सुंदर कविता**<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>जो कह दिया वह *शब्द* थे ;
*हे माखन चोर...*<div><br></div><div>ये बहारों का मौसम</div><div>चले आइए</div><div>न जलाने का मौसम</d
<div> </div><div>सोच -समझकर कीजिए, प्रेम नहीं आसान।</div><div>तन, मन, धन सबका यहाँ, करना
<div>*1.एक जमाना था, तन ढकने को कपड़े कम थे,*</div><div>*फिर भी लोग तन ढकने का प्रयास करते थे।*</div>
*हथेली पर रखकर नसीब*<div>*तु क्यों अपना मुकद्दर ढूँढता है*</div><div>*सीख उस समन्दर से*</div><div>*ज
*"मित्र"*<div><br></div><div>कुछ पाने की चाह नही </div><div>फिर भी अपनापन दिखता है </div><
* प्रभु से विनंती किया करो...*<div><br></div><div>*मेरे नसीब को बनाने वाला तू; है*</div><div>*मेरी त
फागुन आता देखकर, उपवन हुआ निहाल,<div>अपने तन पर लेपता, केसर और गुलाल।</div><div><br></div><div>तन हो
भेद नहीं करता, <div>परखता है सिर्फ भाव से... </div><div>जिस हाथ से माखन खाया,</div><div>उस
जगत में कोई ना परमानेंट,<div>जगत में कोई ना परमानेंट,</div><div>तेल चमेली चन्दन साबुन,</div><div>तेल
<div><br></div><div>*जीवन एक हवा का झोंका*</div><div>*इक पानी का रेला है।*</div><div><br></div><div>
*जागो हे माँ अंबे*<div>*अग्नि का संचार करो ।*</div><div>*भस्म करदो कोरोना को*</div><div>*विश्व का उद
<br><div><br></div><div>*जय श्रीराम.... *</div><div><br></div><div>राम नाम के हीरे मोती,</div><div>म
<div><br></div><div>*सुनो कान्हा !*</div><div><br></div><div>*चरण में रखना, शरण में रखना।*</div><div
<div><br></div><div>कोरोना काल में मानव से करूं पुकार</div> घर से बाहर मत निकल<div> मत निक
*गर्म पानी पीना है, गर्म खाना, खाना है ।*<div>कोरोना को हराना है ।</div><div>*गर्म से कपड़े धोने है,
*माया*रूपी संसार में<div><span style="font-size: 1em;">दिल से दिल मिलाकर देखो।</span><br></div><div>
*सभी साथियों से विनम्र आग्रह है!*<div><br></div><div>*हवा में कुछ हलचल है, थोड़े समझदार हो जाइए!*</d
*ऐ हवाओ,,*<div>*मेरा एक छोटा सा काम कर दो....* </div><div>*ये मेरा पैगाम* </div><div>*कान्
लौट आयेगी खुशियाँ, अभी कुछ गमो का शोर है..* <div>*केरोना का दौर*</div><div>*जरा संभलकर रहो मेरे
कविता <div><br></div><div>अक्सर कहते हैं कि उम्मीद पर दुनिया क़ायम है। इसी भावना से वर्तम
<div>*सब-कुछ" लॉक-डाउन नहीं हुआ* !!</div><div><br></div><div><br></div><div>"सूरज" की किरणें कहां ल
<br><div>*कभी सोचा नहीं था,*</div><div> *ऐसे भी दिन आएँगें।* ....</div><div><br><
<div>*भज ले जीव.... *</div><div><br></div><div>भज मन कृष्ण कन्हैया,</div><div>नैया पार हो जाए,</div>
<div> मै आत्मा हंस बन गई </div><div>
<div> कहा गये चकरी जिन जीता</div><div> भरत खन्ड सारा</div><d
<div> <span style="font-size: 1em;">है प्रभू</span></div><div> तेरी छवि पर म
जो *पिता* के पैरों को छूता है<div> वो कभी *गरीब* नहीं होता।<
<br><div><br></div><div>*"कोशिश करे कि* </div><div>*जिँदगी का हर लम्हा*</div><div>*अपनी तरफ से*
*पता ही नहीं चला <div>अरे यारों कब साठ के हो गये </div><div> &n
<div> मेरा मन ही भटक गया</div><div> </div><div>&
<div> तेरी छवि पर मेरे भग्वन</div><div> ये दुनिय
<div>*हे कृष्ण.... *</div><div><br></div><div>आजा कलयुग में लेके</div><div>अवतार ओ गोविन्द</div><div
<div>*प्रेम.... *</div><div><br></div><div>झूठा क्या, सच्चा क्या</div><div>दोतरफा, एकतरफा क्या</div>
<div><div>अपनी समृद्ध परंपराओं का,आओ मिलकर मान बढ़ाएंगे।*</div><div>*आर्यवर्त के वासी हैं हम , अब अप
<div>*हे मेरे श्याम सुंदर ....*</div><div><br></div><div>तुझे देखकर श्याम हमारा</div><div>मन वश में
*'मधुर कहानियां"*<div><br></div><div><br></div><div>*आपके घर की दीवारें सब सुनती हैं और सब सोखती हैं
*एक बहुत ही सुंदर कविता**<div><br></div><div>दो बार पढें.......</div><div>और आनंद ले इस कविता का...<
*रिश्तों को,*<div>*पेपर नैपकिन मत समझो,*</div><div>*काम में लिया,* </div><div>*कूड़ेदान में फें
<div><div>जैसा भी आता है गाओ</div><div>जो आता है गाओ साथी।</div></div><div><br></div>मृत्यु गीत से क
<div><span style="font-size: 1em;">बड़ा वही बन सकता है..!!</span><br></div><div>जिसे छोटा होने में क
*सुन्दर प्रस्तुति* <div>जो *पिता* के पैरों को छूता है</div><div> &nb
*हे परमात्मा*, *अगर आप का कुछ तोड़ने का मन करे*, तो मेरा ग़रूर तोड़ देना..*अगर आप का कुछ जलाने का मन करे*, तो मेरा क्रोध जला देना.. *अगर आप का कुछ बुझ
भगवान शंकर के स्वरूप में इतनी विचित्रता क्यों है ?कुंद इंदु सम देह उमा रमन करुना अयन।जाहि दीन पर नेह करउ कृपा मर्दन मयन॥भावार्थ:-जिनका कुंद के पुष्प और चन्द्रमा के समान (गौर) शरीर है, जो पार्वतीजी के
गोरे गोरे अंग पै, चटख चढि गये रंग,रंगीले आंचर उडैं, जैसें नवल पतंग ।आज न मुरलीधर बचें राधा मन मुसकायं,दौड़ी सुध बुध भूलकर, मुरली दी बजायचेहरे सारे पुत गये, चढे सयाने रंग,समझ कछू आवै नहीं, को