*सभी साथियों से विनम्र आग्रह है!*
*हवा में कुछ हलचल है, थोड़े समझदार हो जाइए!*
*तूफान आने का अंदेशा है, थोड़े खबरदार हो जाइए!*
*बुझ ना जाए बेवक्त कहीं, जलते चिराग़ इन हवाओं से!*
*इल्तिज़ा है सबसे यही कि, थोड़े होशियार हो जाइए!*
*हरने आई है ये बंद हवाएँ, चैन ओ सुकून जिंदगी का!*
*सब कुछ छोड़ के पहले, ख़ुद के पहरेदार हो जाइए!*
*उड़ने लगी रंगत देखो, इन कायनाती फिज़ाओं की!*
*कैद कर के ख़ुद को अब,घर में गुलज़ार हो जाइए!!*
*अजब है ये जंग जिंदगी की, जीत ना सकेंगे दौड़ के!*
*ठहर के अपने मुक़ाम पे, जीत के दावेदार हो जाइए!*