बड़ा वही बन सकता है..!!
जिसे छोटा होने में कोई ऐतराज ना हो
यही प्रकृती का नियम है..!!
और शायद माँग तथा ज़रुरत भी
अतीत की
अनंत गहराईयों से लेकर ...
भविष्य की
असीम सम्भावनाओं तक का
लेखा-जोखा यही है...!!!
कि बिना अपने मरे स्वर्ग नहीं मिलता
यानी अगर आप पानी पी रहे हो तो
निश्चित ही किसी ने
कुआँ खोद रखा होगा
अगर आज आप फल खा
रहे हो तो
पहले ज़रूर किसी ने पेड़
लगाया होगा
इसीलिये हमें चाहिये कि
हम भी अपने हिस्से का
कुआँ खोदें और
वृक्ष लगायें ताकि आने
वाली पीढ़ियाँ
इन चीजों का
रसास्वादन कर सकें
संघर्ष के बिना जीवन
अधूरा आधारहीन लक्ष्य रहित
और सूना सा होता है..!!
लक्ष्य बड़ा बनाओ और
उसको पूरा करने के लिये
दिन-रात एक करो
_______ फिर देखो _______
★ करिश्मा कुदरत का ★
_______देखो_______
★ रूमानियत ज़िन्दगी की ★
सरल बनो स्वछंदता छोड़ो
क्योंकि जितना विराट व्यक्तित्व
उतने ज्यादा चाहने वाले
और जितने ज्यादा चाहने वाले होंगे
आपके लिये आशिर्वाद देने में
उतने ज्यादा हाथ उठेंगे.
वर्तमान समय में
लोभ और स्वार्थ
अपने चरम पर है..!!
लोग कुछ इस तरह
स्वार्थ साधना में जुट गये हैं..!!
कि खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी
चलाना उन्हें महसूस ही नहीं होता
प्रकृति ने जीवन को
सहभागिता के आधार पर रचा है..!!
जैसे एक नारी के बिना
नर का जीवन अधूरा है..!
वैसे अन्य जीवों के बिना
मनुष्य जीवन अधूरा ही नहीं
बल्कि असम्भव है..!!
वृक्ष हमारे जीवन दाता हैं..!!
उन्हें नष्ट करके
हम अपने पैरों पर ही तो
कुल्हाड़ी मार रहे हैं..!!
ये वृक्ष कितने परोपकारी
और नि:स्वार्थ सेवी हैं..!!
जाड़ा गर्मी बरसात सहते हुए
यहाँ तक कि ईंट पत्थर का भी
आघात झेलते हुए नम्र बनकर
हमें मीठे स्वादिष्ट फल
प्रदान करते रहते हैं..!!
यदि ये अपनी
अनवरत क्रिया को बंद कर दें तो
मनुष्य का जीवन ही नष्ट हो जाएगा
फिर भी हम इन पर
कुल्हाड़ी चलाने से नहीं चूकते
कहने को तो हम लोग
आज बहुत शिक्षित विद्वान और
धार्मिक हैं..!!
_______पर आचरण_______
पाखंडियों और अंधविश्वासियों जैसा
और कर्तव्य कालीदास जी जैसा है..!!
________कब हम_______
जिस डाल पर बैठे हैं..!!!
उसी का अस्तित्व मिटाना बंद करेंगे
कब श्रद्धा और विश्वास की
डोर पकड़कर
पाखंड और अंधविश्वास से
पल्ला झाड़ेंगे
*किसी शब्दों का अन्यथा ना लें आगे हरि इक्षा नारायण की जय सियाराम हर हर महादेव*