*रिश्तों को,*
*पेपर नैपकिन मत समझो,*
*काम में लिया,*
*कूड़ेदान में फेंक दिया।*
*रिश्तों को,*
*जेवर भी मत समझो,*
*दिखाने को पहना,*
*अलमारी के लॉकर में बंद कर दिया।*
*आवश्यकता पड़ी तो,*
*याद कर लिया,*
*नहीं तो दिमाग के किसी कोने में बंद कर दिया।*
*रिश्तों को,*
*जूता भी मत समझो,*
*कई दिन नहीं पहनो तो,*
*गंदा ही पड़े रहने दो*
*पहनना हो तो,*
*पोलिश लगा कर चमका दिया।*
*काम नहीं आये तो भी, चमका कर रखो।*
*रिश्तों को,*
*सेफ्टी पिन जैसा भी मत समझो,*
*वैसे कद्र नहीं* *करो,कपड़ा फट जाए तो ढूंढते रहो।*
*रिश्तों को,*
*नाखून भी ना समझो,*
*थोड़े खराब लगने लगें तो, काट कर फेंक* *दिया।।*
*रिश्तों को,*
*हीरे की कीमती* *अंगूठी समझो,*
*गंदी हो जाए तो,साफ़* *कर के फ़ौरन पहन लो।*
*रेशम का कीमती रुमाल सा समझो,*
*कडवाहट से गंदे होने लगे तुरंत साफ़ करो।*
*अपने बालों-सा रखो*,
*बार बार संवारते रहो।*
*खुद के चेहरा सा,*
*खूबसूरत बना कर रखो।*
*ऐसा ही हम सबका परमात्मा से बहुत ही* *गहरा और प्यारा रिश्ता है*
*जिसे हम दुख आने पर तो याद करते हैं और सुख आने पर भूल जाते हैं*
*तो रिश्तो की कद्र करो तो रिश्ते हमारी कद्र करेंगे।*
*प्यार की क्रीम,*
*विश्वास का पाऊडर लगाओ।*
*अच्छे व्यवहार से उनका मेकअप करो ,*
*रिश्तों को और सुन्दर बनाओ।*