कविता
अक्सर कहते हैं कि उम्मीद पर दुनिया क़ायम है। इसी भावना से वर्तमान हालात पर मेरे माध्यम से एक कविता लिखी गई है।
शुभ भाव
*उम्मीद*
वक़्त आख़िर यह भी गुज़र जाएगा,
समय फिर से वही लौट आएगा ...
महामारी के दुःख भरे इस दौर में,
गए समा कितने मौत की गोद में,
जाना सबको है इक दिन परलोक में,
सोचो, जाते हुए संग क्या जाएगा ...
घड़ी मुश्किल थी, अपने मजबूर थे,
हौसले फिर भी जिनके मजबूत थे,
डॉक्टर नर्स स्वीपर सब मौजूद थे,
उनका संघर्ष सदा याद आएगा ...
खेल अब इस दौर में चल रहा भावों का,
कहीं उच्च भावों का कहीं नीच भावों का,
दौर स्वार्थ लोभ का रुक जाएगा,
घटता आत्मबल नज़र जब आएगा...
आओ रक्षा करें अपनी औरों की भी,
दें दुआएं सभी को लें औरों से भी,
रखें हिम्मत सदा और विश्वास भी,
दौर आया है, चला भी जाएगा ...
वक़्त आख़िर यह भी गुज़र जाएगा।