*मस्त रहो व्यस्त रहो*
*(1) जन्म से पहले सभी समानरूप से माँ के गर्भ में ही पलते हैं .*
*(2) पैदा होने के बाद सबकी बाल्यावस्था एक जैसी होती है .*
*(3) किशोरावस्था युवावस्था सबको प्राप्त होती है .*
*(4) विवाहोपरान्त अमीर गरीब सबको अपनी सामर्थ्यानुसार परिवार को चलाने के लिये कार्य करना ही पडता है .*
*(5) चालीस साल की अवस्था में "उच्च शिक्षित" और "अल्प शिक्षित" एक जैसे ही होते हैं .*
*(6) पचास साल की अवस्था में "रूप" और "कुरूप" एक जैसे ही होते हैं . (आप कितने ही सुन्दर क्यों न हों झुर्रियां , आँखों के नीचे के डार्क सर्कल छुपाये नहीं छुपते .)*
*(7) साठ साल की अवस्था में "उच्च पद" और "निम्न पद" एक जैसे ही होते हैं . (चपरासी भी अधिकारी के सेवा निवृत्त होने के बाद उनकी तरफ़ देखने से कतराता है .)*
*(8) सत्तर साल की अवस्था में "बड़ा घर" और "छोटा घर" एक जैसे ही होते हैं . (घुटनों का दर्द और हड्डियों का गलना आपको बैठे रहने पर मजबूर कर देता है , आप छोटी जगह में भी गुज़ारा कर सकते हैं .) फिरभी रहने का एक स्थान होना ही चाहिये .*
*(9) अस्सी साल की अवस्था में आपके पास धन का "होना" या "ना होना" एक जैसे ही होते हैं . ( अगर आप खर्च करना भी चाहें , तो आपको नहीं पता कि कहाँ खर्च करना है .) फिर भी सेवा करने वाले के लिये धन अर्जित रहना ही चाहिये .*
*(10) नब्बे साल की अवस्था में "सोना" और "जागना" एक जैसे ही होते हैं . (जागने के बावजूद भी आपको नहीं पता कि क्या करना है .)*
*(11) सौ वर्ष की आयु में शरीर शव हो जाता है .*
*जीवन को सामान्य रुप में ही लें , क्योंकि जीवन कोई रहस्य नहीं है , जिसे आप सुलझाते फिरें .*
*आगे चलकर एक दिन सबकी यही गति है .*
*सदैव प्रसन्न रहिए ! जो प्राप्त है , वही पर्याप्त है ! !!*
*जिसका मन मस्त है , उसके पास समस्त है ! !!*