मैं तो जाउंगी, जाउंगी ससुराल,
सखीरी फागुन मैं......
संग की सखी सब जाय रही हैं,
मेरेउ मनमैं आच रही हैं ।।
कब केडारूं मैं रंग नंदलाल,
सखीरी फागुन मैं....... मैं तो
अब पहोच गई अपने पिया घर,
सुनरी खबर चल्यो आयो गिरिधर ।।
याकों फेटन भर्यो है गुलाल,
सखीरी फागुन मैं.......... में तो
हस हस गाल गुलाल लगायो,
खोलके घुंघट श्याम मुसकायो ।।
मोको केसर रंग दियो डार,
सखीरी फागुन मैं....... मैं तो
घर आंगन मैं मच गई होरी,
पकड श्याम ने बैया मरोरी ।।
अरे कहा सुनाउ तुमें हाल,
सखीरी फागुन मैं...... मैं तो
गोविंद प्रभु कहे कुंवर लाडीलो,
मोपे रखीयो नजर नंदलाल ।।
मैं तो जाउंगी जाउंगी ससुराल,
सखीरी फागुन मैं........