*वक्त की धारा में,,,,*
*अच्छे-अच्छों को मजबूर होता देखा है*
*कर सको तो किसी को खुश करों*
*दुःख देते हुए तो हजारों को देखा है*
*जीवन को आनंंद से जीयो*
*अगर आपको लगता है कि*
*आप जिस शैली से जी रहे है*
*वह आपके लिए भारभूत हो रही हैं तो*
*आप अपने कार्य और शैली को मत बदलो*
*बल्कि अपनी मनोदशा को बदलो*
*उत्साह से किया गया कार्य*
*सफलता का सेतु बनता हैं*
*वही उदास मन से किया गया कार्य*
*सफलता के दरवाजे बन्द कर देता हैं*
*और शब्दों का ध्यान रखे*
*क्योकि शब्दों का भी*
*अपना तापमान होता है*
*ये ठंडक भी देते हैं और जलन भी*