ध्रुव ,अवनि से मिलने के लिए और उसके सपने के रहस्य को जानने के लिए बेचैन हो जाता है ।शाम को वह अवनी के घर पहुंचता है डोर बेल बजाने पर दरवाजा शोभा खोलती है ।तीनों साथ में चाय पीते हैं फिर शोभा घर के कामों में व्यस्त हो जाती हैं। अवनी मयंक को लेकर गार्डन में आ जाती है ।
"अवनी तुम्हारा गार्डन तो बहुत खूबसूरत है, चारों तरफ रंग बिरंगे खुशबूदार फूल अत्यंत आकर्षक लग रहे हैं जो एक बार यहां आ जाए उसे यहां से जाने का मन ही न करें"
" हां ध्रुव मेरे दिन की शुरुआत भी यहीं से होती है ।मेरी दिनचर्या का अहम हिस्सा है यहां बैठना और चिडियों को चुगते हुये देखना।
चलो आओ उधर कुर्सी में बैठ कर आराम से बातें करते हैं।"
" हां तो अवनी तुम क्या बता रही थी अपने सपने के बारे।"
"मयंक तुम बहुत खूबसूरत और मिलनसार भी हो तुम्हारी जिंदगी में जो लड़की आएगी वह बहुत खुशनसीब होगी"
" वह तुम क्यों नहीं हो सकती हो अवनी ।"
"क्योंकि वर्षों से मैं किसी का इंतजार कर रही हूं ।रोज उससे सपनों में मिलती हूं, महसूस करती हूं उसके दर्द और तड़प को ।उसी के साथ रोती हूं और जीना चाहती हूं। ना जाने कैसा आकर्षण है वास्तविकता में देखा नहीं पर मेरी हर सांस चल रही है केवल उसी के लिये ।"
"अवनी आखिर सपने में तुम्हें ऐसा देखती क्या हो जिससे तुम्हें उससे प्यार हो गया"
" एक पुराने से मंदिर के पास हम दोनों साथ में खड़े हैं। शायद हमारा विवाह होने वाला था ,तभी कुछ ग्रामीण युवक मुझे उठाकर ले जाते हैं और एक पेड़ से बांध देते हैं। मैं अनिरुद्ध कह कर तेज से चिल्लाती हूं तो वह मेरे पीछे वहां आ जाता है ,तब तक गांव वालों ने मेरे आस-पास मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी होती है ।मैं खुद को बचाने के लिए चीखती रहती हूं तभी वह आग में कूद कर मुझे बचाता है।........... और कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे हम दोनों ही आग की लपटों में धिरे हुए हो और एक दूसरे को बुला रहे हो। "
"अवनी यह केवल एक सपना है, हकीकत नहीं और एक सपने के लिए तुम मेरे प्यार को ठुकरा रही हो ।
नहींध्रुव यह केवल सपना नहीं हो सकता मैइसे रोज देखती हूं........ जब से मैं ने होश संभाला है हर रात यही सपना मेरी आंखों में घूमा करता है। हर रोज वही सपना महज इत्तेफाक तो नहीं हो सकता ना मयंक।अगर यह केवल सपना ही है तो भी मैं अपना दिल उसी को अर्पण कर चुकी हूं और मैं इसी सपने के सहारे ही जी लूंगी परंतु किसी और के साथ होने के बारे में मैं सोच भी नहीं पाती हूं। ......तुम ऐसे पहले व्यक्ति नहीं हो जिसे मैंने इंकार किया है ध्रुव ३सालों में न जाने कितने रिश्ते मेरे लिए आए जिन्हें मैंने बड़ी चालाकी से तोड़ दिया ।........मैं किसी और के साथ जीने की कल्पना भी नहीं कर सकती हूं। मयंक तुम तो मेरे अच्छे दोस्त हो मुझे लगता है तुम मेरी भावनाओं को समझोगे।"
"अवनी तुम्हारी बातें तो मेरी समझ के परे हैं। पर जिस तरह तुम अनिरुद्ध का इंतजार कर रही हो मैं भी जब तक वह तुम्हें मिल नहीं जाता है ,तब तक तुम्हारा इंतजार करूंगा ।लेकिन तब तक मैं परछाई की तरह तुम्हारे साथ चलना चाहता हूं, अवनी भले तुम मेरी ना हो परंतु तुम्हें हर पल खुश देखना चाहता हूं। तुम्हारी खुशी से मेरा प्यार भी मुकम्मल हो जाएगा ।मेरी दोस्ती से इंकार तो नहीं है ना तुम्हें"
" नहीं ध्रुव यह कैसी बातें कर रहे हो। यदि मैं तुम्हें अपना दोस्त ना समझती तो क्या मैं तुम्हें अपनी बातें बताती। मैं किसी और से कहूंगी तो वो मुझे पागल समझ लेगा। मुझे पूरा यकीन है तुम तो ऐसा नहीं समझोगे।"
" पागलों जैसी बातें करोगी तो लोग पागल ही न समझेंगे। फिर भी तुम्हारे इस पागलपन मैं तुम्हारे साथ हूं ।अच्छा अब मैं चलता हूं कल कॉलेज में मिलते हैं"
ध्रुव वहां से चला जाता है कॉलेज की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं प्रारंभ होने वाली रहती है ,इस वजह से सभी पढ़ाई में व्यस्त हो जाते हैं ।दोस्तों का मिलना जुलना भी कम हो जाता है। परीक्षाएं समाप्त होने के बाद आखिरी पेपर के दिन सभी फ्रेंड्स कॉलेज के ग्राउंड मे इकट्ठा होते हैं ।
"परीक्षाएं खत्म हुई तो जान में जान आई ,अब तो ऐसा लगता है कि पंख लगा कर उड़ते हुए सारी दुनिया की सैर कर आऊ"शिखा ने कहा ।
" हां यार पढ़ाई का काफी प्रेशर था अभी तक। अब थोड़ा रिलैक्स मिला है। पेपर कैसे गए तुम्हारे?"
" पेपर तो सभी अच्छे गए हैं। फेल होने से रही ,मार्क्स कम भी आएंगे तो टेंशन नहीं है। अब तो घर गृहस्ती बसानी है।"
"अच्छा जी फ्यूचर प्लानिंग चल रही है"
" हां यार शादी तो करनी है और चाहने वाला यदि साथ में हो तो देर क्यों करना। कॉलेज खत्म होते ही मयंक भी पापा का बिजनेस हैंड ओवर कर लेगा, उसके के मम्मी-पापा को भी मैं पसंद हूं ,फिर लेट करने का कोई फायदा नहीं है।"
" अवनीतुम कब सेटल हो रही हो हो?"
"यार सेटल होने के लिए कोई चाहने वाला भी तो होना चाहिए"
"क्यों ?ध्रुव में क्या कमी है। उसकी आंखों में जो तुम्हारे लिए प्यार दिखाई देता है क्या वह तुम्हें नजर नहीं आता "
"ये सब बातें छोड़ो ना, चलो यह बताओ घूमने के लिए क्या प्लानिंग करनी है ।कॉलेज के बाद हम सब साथ में घूम कर कुछ यादें सहेज लेते ।"
"हां वह तो ठीक है पर चलना कहां है? तुमने कुछ सोचा है"
"नहीं तुम ही डिसाइड कर लो, वैसे भी तुम्हारी फ्रेंड सर्कल में चलती भी खूब है ।तुम्हारी बातों को कोई टाल भी नहीं पाएगा।"
" ऐसा तो नहीं है ,फिर भी यदि मेरी राय जानना चाहती हो तो मैं राजस्थान घूमने जाना चाहती हूँ। बहुत समय से वहां जाने की इच्छा हो रही थी।"
" क्यों कोई खास वजह"
" नहीं कई दिनों से उस एरिया में घूमने की इच्छा थी"
"गर्ल्स में क्या प्लानिंग हो रही है "मयंक ने कहा।
" परीक्षाओं से बोर होने के बाद अब कहीं घूमने जाने की प्लानिंग कर रहे हैं हम सब" शिखा ने कहा
"तो कहां जा रहे हो सब "
"जहां तुम ले चलो तुम्हारे साथ तो दुनिया का हर कोना ही जन्नत होगा। "शिखा ने रोमांटिक होते हुए कहा
"अच्छा जनाब आज बहुत खुश नजर आ रही हैं आप "
"हां वह तो हूं ,अब पढ़ाई की टेंशन छोड़ कर रहती बसाने की प्लानिंग जो चल रही है।
" अवनी तुमने कहां जाने का डिसाइड किया है।"
"मुझे तो राजस्थान एरिया घूमने की इच्छा है मयंक"
" हां भाई मैं भी काफी दिनों से पिंक सिटी घूमना चाह रहा था ,चलो ध्रुव से भी पूछते हैं। उसकी क्या राय है।"
" वैसे जनाब है कहां?"
" खोया होगा कहीं अपने स्वप्न सुंदरी के ख्यालों में, आजकल हकीकत के दोस्त को लोग नगर नजरअंदाज कर देते हैं ।और सपनों को ज्यादा महत्व देते हैं। खैर सबकी अपनी अपनी मर्जी ।किसी को सपनों के राजकुमार का इंतजार है तो किसी को राजकुमारी के प्रेमी के मिलने का। हम बीच में बोलने वाले होते ही कौन हैं"
" मयंक ऐसा क्यों कह रहे हो"अवनी ने कहा।"
" छोड़ो इन सब बातों को चलो ध्रुव को ढूंढते हैं "
तभी वो ग्राउंड में आ जाता है और सभी दोस्त मिलकर के टूर की प्लानिंग करने लगते हैं। फाइनली वे सभी राजस्थान जाने का निर्णय लेते हैं ।सभी दोस्त नियत समय पर रेलवे स्टेशन पर पहुंचते हैं ।और अपनी अपनी सीट कंफर्म करते हैं ।काफी समय तक वे सभी बात करते हैं और रात होने पर सब सो जाते हैं।अंततः वे सभी जयपुर स्टेशन में पहुंचकर उतर जाते हैं। बाहर उन्हें ऑटो मिल जाती है। जिससे वे सभी एक अच्छे से होटल में पहुंच जाते हैं।। क्रमशः