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इन्तजार (भाग 10 )

16 मार्च 2022

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पिछले भाग में आपने पढ़ा कि ध्रुव अवनी से अपने हाल ए दिल  बयां करता है। वहीं अवनी उसकी बातों का कोई जवाब नहीं देती, और जड़वत बैठी रहती है।
अब आगे .............

"क्या हुआ अवनी  तुम खामोश क्यों हो, कुछ तो बोलो, यदि तुम मेरी जीवनसाथी नहीं बनना चाहती तो मना कर दो ,पर मुझसे नाराज मत हो।..........
अवनी कुछ तो बोलो क्या तुम्हारी जिंदगी में कोई और है।..... या कुछ और बात है ......अवनी  तुम्हारी खामोशी से मेरा सर फटा जा रहा है बहुत घबराहट हो रही है मुझे। तुम्हारी इंकार से भी इतनी तकलीफ नहीं होगी जितनी तुम्हारी खामोशी से।....... अवनी .....अवनी कुछ तो बोलो"
ध्रुव के बार बार कहने पर भी अवनी खामोश रहती है। उसकी आंखों के आगे बार-बार वही चेहरा उभरता है जिसे वह रोज सपने में देखती है ।सहसा वह तेज से अनिरुद्ध कह कर बेहोश हो कर गिर  जाती है ।अवनी को बेहोश देखकर ध्रुव भी घबरा जाता है और उसे अपनी गोद में उठाकर कुर्सी  पर लिटा देता है ।फिर पास मे खेल रहे एक बच्चे से पानी की बोतल लेकर उसके चेहरे पर पानी की छींटे मारता है ।जिससे अवनी को होश आ जाता है। अवनी तुम ठीक तो हो ध्रुव ने पूछा तब अवनी हां में सिर हिला देती है ।पर वह अभी भी खामोश रहती हैं। अवनी कमजोरी के कारण उठते समय लड़खड़ा जाती है ध्रुव उसे सहारा देकर खड़ा करता है अवनी ध्रुव  से घर चलने के लिए बोलती है ।ध्रुव अवनी को लेकर घर आ जाता है और उसे को हाल तक छोड़कर जाने के लिए वापस मुड़ जाता है ।मुड़ते समय ध्रुव की आंखें गीली हो जाती हैं जिसे अवनी देख लेती है।
" रुको ध्रुव, आज चाय पिए बिना ही चले जाओगे "
अवनी की घंटों की खामोशी टूटने पर ध्रुव उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा देता है और उसके पास आ जाता है। "अवनी यदि तुम्हें मेरी बातें बुरी लगी हो तो प्लीज मुझे माफ कर देना ,पर अब कभी भी इस तरह से खामोश मत होना. तुम जिसे अपना हमसफर चुनना चाहती हो बेझिझक चुनो ,मैं अब कभी भी तुम्हें तंग नहीं करूंगा।"
" तुम ऐसी बातें क्यों कर रहे हो ध्रुव" अवनी ने कहा
"क्योंकि मैं तुम्हारी खामोशी का कारण जान गया हूं, तुम और अनिरुद्ध हमेशा खुश रहना अब मैं चलता हूं।"

कह कर वह तेजी से अवनी का जवाब सुने बिना ही वहां से निकल आता है और तेजी से कार सड़क पर दौड़ा देता है ।थोड़ी देर बाद सुनसान रास्ते पर वह गाड़ी रोक कर उतर जाता है और दहाड़े मारकर रोने लगता है। वह अपना सारा दर्द आंसुओं के जरिए बहा देना चाहता है, ताकि कोई उसके दर्द को पहचान ना पाए ।काफी देर तक रोने के बाद जब उसका मन हल्का हो जाता है तो वह घर चला जाता है। अवनी द्वारा उसके प्यार को न स्वीकारने का दर्द उसे अंदर से कचोट रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि अवनी के बिना उसका जीवन निरर्थक है। परंतु वह उसे  परेशान नहीं देखना चाहता था वह नहीं चाहता था कि अवनी किसी भी दुविधा में रहे ।अवनी की खामोशी उसके सीने में सूल की तरह चुभ रही थी। वह रात भर करवटें बदलते रहा सुबह उसे कॉलेज जाने का मन नहीं हो रहा था ।वह अवनी के सामने नहीं पडना चाहता था। वह सारा दिन अपने कमरे में पड़ा रहा उसे ना खाने की इच्छा हो रही थी न हीं कोई दूसरा काम करने की। मम्मी के बुलाने पर भी वह तबीयत खराब होने का बहाना करके कमरे में ही चद्दर ताने लेटा रहा। इधर ध्रुव के नाराज हो जाने से अवनी को भी अच्छा नहीं लग रहा था ।पर वह खुद भी नहीं समझ पा रही थी कि उसके साथ यह क्या हो रहा था अपने साथ किसी और के नाम को जोड़कर देखना या किसी की जीवन साथी बनने की कल्पना करना भी उसके लिए नामुमकिन था इसलिए तो वह अपने लिए आए सारे रिश्तो को चालाकी से तोड़ती चली आई थी।अभी तक अपनी इन हरकतों से उसे कोई पछतावा नहीं होता था ।पर आज ध्रुव की आंखों में पानी देखकर उसे अच्छा नहीं लग रहा था। भले ही ध्रुव के लिए उसके मन में कोई फीलिंग नहीं थी ,पर वह उसका अच्छा दोस्त था। उसने कालेज में ध्रुव से बात करने का इरादा बना लिया था, परंतु वह आज कॉलेज नहीं आया। उसके कॉलेज में ना आने से उसका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था। वही मयंक भी ध्रुव के साथ में  जो बातें हुई थी उसे याद करके उसके  लिए चिंतित हो रहा था। वह बार-बार यह सोच रहा था कि कल ध्रुव अवनी को प्रपोज करने वाला था ।दोनों के बीच क्या बातें हुई वह सारा टाइम इसी विषय मेही सोचता रहा कॉलेज के बाद वह उससे  मिलने के लिए उसके घर चला गया ।वहां ध्रुव की मम्मी ने बताया कि ध्रुव की तबीयत खराब है। यह जानकर मयंक तुरंत उसके कमरे में चला गया।
" ध्रुव क्या हुआ, तुम आज कॉलेज क्यों नहीं आए" मयंक ने  पूछा
उसने देखा कि ध्रुव की आंखें सूजी हुई है। और वह बहुत उदास लग रहा है ।
"बस यूं ही ,जरा तबीयत अच्छी नहीं लग रही थी" ध्रुव ने मयंक की तरफ बिना देखे ही कहा।
" ध्रुव मेरी तरफ देख कर बोलो ,यही बात है ना कि कुछ और ,कल अवनी से क्या बातें हुई।
ध्रुव उसकी  बातों का कोई जवाब नहीं देता और यूं ही पलके झुकाए बैठा रहता है. मयंक उसके के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रख देता है मयंक के सामने वो खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाता और उसके सीने में लग कर रोने लगता है वह ध्रुव को उसे दिलासा देता है और रोने का कारण जानने का प्रयास करता है ।
"मयंक अवनि किसी और को पसंद करती है"
" किसे"
" पता नहीं ,शायद अनिरुद्ध नाम है उसका"
" तुम्हें कैसे पता चला, अवनी ने बताया "
"नहीं, वह तो हर पल खामोश रही "
"वाह भाई वाह तुम तो अंतर्यामी निकले ,बिना उसके बोले ही सारी बात जान गए "
"ऐसी बात नहीं है"
" तो क्या बात है"
मयंक के बार बार पूछने पर ध्रुव ने उसे कल की सारी घटना सुना दी ।
"तू तो बड़ा मूर्ख है यार ,हो सकता है वह उसके किसी रिश्तेदार  नाम हो अचानक से उसके मुंह से निकल गया हो ,या अचानक से तेरे इजहार ने उसे विचलित कर दिया हो। तू उसे सोचने समझने का मौका तो दे। खामखा अभी से परेशान हो रहा है। हो सकता है जिस बात को सोचकर तू परेशान हो रहा है, वैसी कोई बात ही ना हो।"
मयंक की बातों से ध्रुव को आशा की किरण दिखाई पड़ती है। वह भी अवनी के मुंह से सारी बातें जानना चाहता है ।आखिर अवनी ने अभी उसे इंकार भी नहीं किया था। परंतु अब वह अपनी तरफ से कोई पहल नहीं करना चाहता था। इसलिए वह बातों को भूलने का अभिनय  करते हुए कॉलेज जाना शुरू कर देता है एक दिन क्लासेस खत्म होने पर अवनी कैंटीन जाती है, ध्रुव भी वहीं बैठा होता है ।उसे वहां देखकर अवनी ध्रुव के नजदीक आकर बैठ जाती है।
" मुझसे नाराज हो ध्रुव"
" नहीं तो"
" फिर इस समय मुझसे बातें क्यों नहीं करते, क्यों दूर दूर रहते हो "
" नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, बस मैं  ............."
"ध्रुव मुझे माफ कर दो, मैं तुम्हें इस तरह हर्ट नहीं करना चाहती थी, परंतु मैं किसी से भी शादी नहीं करना चाहती हूं ,और ना ही किसी को अपना हमसफर बनाना चाहती हूं। "
"इसकी कोई खास वजह"
" खास तो नहीं, पर  एक वजह है"
" तो आखिर इसकी वजह क्या है"
" इंतजार "
"किसका इंतजार"
" एक ऐसे इंसान का जिसे मैंने केवल सपनों में देखा है, और शायद उसका नाम अनिरुद्ध है। क्योंकि सपने में मैं इसी नाम से उसे बुलाती हूं"
"अवनी तुम पागल तो नहीं हो गई हो, सपने भी कभी सच होते हैं "
"यह सपना केवल कल्पना नहीं हो सकता , क्योंकि बचपन से मैं इसे देखती आई हूं "
"अच्छा तुम सपने में क्या देखती हो, यह तो बताओ।
" हां जरूर ,पर लंबी कहानी है ।....शाम को घर पर आओ इत्मीनान से बताती हूँ।"
                                     .                              क्रमशः


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रचनाएँ
इन्तजार
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इन्तजार ,सच्चे प्यार की कहानी है ।जिसमें कुछ सामाजिक कुप्रथाओं पर भी प्रकाश डाला गया है।दर्द, तडप ,साहस ,विश्वास सभी इस कहानी के प्रमुख तत्व हैं ।काल्पनिक होते हुये भी जीवन्तता कीअनुभूति कराती यह कहानी आपको अवश्य पसंद आयेगी ।
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