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इन्तजार भाग 8

15 मार्च 2022

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पिछले भाग में आप सभी ने पढ़ा की पार्टी समाप्त होने के बाद अवनी स्कूटी से घर जाने के लिए तैयार होती है। लेकिन  ध्रुव उसे स्कूटी से जाने के लिए मना कर देता है। और उसे अपने साथ कार से घर छोड़ने का प्रस्ताव रखता है ।अब आगे

ध्रुव कार का फाटक खोल कर अवनी को बैठने का इशारा करता है ।अवनी  स्कूटी मयंक के घर में रखकर कार में बैठ जाती है । दोनों घर के लिए रवाना हो जाते हैं। सड़क पर चारों तरफ सन्नाटा दिखाई दे रहा है ,वही कार के अंदर भी खामोशी का आलम है ।ध्रुव कार के कांच से अवनी को बीच-बीच में देख रहा था, परंतु उससे बात करने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था। कार की खामोशी तोड़ने के उद्देश्य से म्यूजिक सिस्टम चला देता है।  रोमांटिक क्लासिकल सॉन्ग चल रहा होता है ।
"चांद सी महबूबा हो मेरी
कब ऐसा मैंने सोचा था
हां तुम बिलकुल वैसी ही हो
जैसा मैंने सोचा था".............
गाने के दौरान ध्रुव बार-बार अवनी की आंखों में झांककर अपने लिए फिलिंग्स देखने का प्रयास करता है। पर अवनी निर्विकार सी सड़कों की विरानियाँ निहारने में व्यस्त रहती है ।ध्रुव अवनी के घर पहुंचने से पहले ही हाल-ए-दिल बयां करना चाहता था। पर अवनी के तरफ से कोई प्रतिक्रिया ना देखकर वह हताश हो जाता है ।थोड़ी देर में अवनी का घर आ जाता है। और वह ध्रुव से गुड नाईट बोल कर घर के अंदर चली जाती है।  ध्रुव अवनी  से अपने मन की बात ना कर पाने के कारण पछताता है ।।  उसे बेचैनी होने लगती है। वह अनमनासा घर वापस आ जाता है ।अवनी का चेहरा और व्यक्तित्व उसे हर पल अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था। वह पार्टी की स्मृतियों के साथ नींद के आगोश में समा जाता है ।अवनी के प्रति अथाह प्रेम होने के बावजूद उसे खो देने के डर से वह उससे कुछ भी नहीं कह पाता। धीरे-धीरे अवनी उसके जीवन का अहम हिस्सा बन गई ।जिस तरह से साँसों केपल भर  रुक जाने से बेचैनी छा जाती है ।उसी तरह अवनी के बारे में सोचे बिना उसे देखे बिना उसे चैन नहीं आता था। एक दिन अवनी  को बुखार आ जाने की वजह से वह कॉलेज नहीं आती है। ध्रुव अवनी के इंतजार में कॉलेज के गेट के पास ही बैठा था तभी मयंक वहां आ जाता है।
" क्या बात है आज क्लासेस अटेण्ड नहीं करना है ।चलना यहां क्या कर रहा है "मयंक ने कहा
"तू चल मैं आता हूं" ध्रुव ने कहा
"क्यों तू नहीं चलेगा "
"चलता हूं बस अवनी आ जाए "
"वह नहीं आएगी तो तू नहीं जाएगा "
"क्यों नहीं आएगी ,आती ही होगी। आज शायद किसी कारण से लेट हो गई "मयंक तू जाना मैं आ जाऊंगा थोड़ीदेर से "
" जल्दी आना नहीं तो लेक्चर मिस हो जाएगा ।
अब परीक्षाएं भी नजदीक छोड़ पढ़ाई में ध्यान देना पड़ेगा।"
" हां ठीक है ,मैं अभी आता हूं"
ध्रुव टकटकी  लगाए गेट की तरफ देखता
रहा। पर अवनी नहीं आई ।लेक्चर शुरू हो गया पर वो वहीं बैठा रहा ।
"जब हम किसी का इंतजार कर रहे होते हैं तो पल भर का समय भीवर्षों के  सामान लगने लगता है। ध्रुव उठकर  चहल कदमी करता हुआ गेट तक जाता है और बाहर की तरफ देखता है, कि शायद अवनी आ जाए । उसे वहां न देखकर वापस आकर बैठ जाता है। अवनी  के ना आने के कारण वह बेचैन हो उठा और तरह-तरह की संकल्पनायें करने लगा। अवनीआज अभी तक क्यों नहीं आई ।कहीं उसकी स्कूटी तो नहीं खराब हो गई। या फिर ............नहीं नहीं हो सकता है वह किसी कार्यक्रम में गई हो ।पर उसने ऐसा कुछ बताया तो नहीं था। ध्रुव ने मन ही मन कहा। लेक्चर खत्म हो जाने के बाद में मयंक ध्रुव के पास आता है ,और पीछे से उसके कंधे पर हाथ रख देता है। अवनी के ख्यालों में गुम ध्रुव अचानक से चौक जाता है और उसके तरफ देखने लगता है।
" क्या हुआ अवनीं नहीं आई "
"नहीं "
"और तुमने उसके लिए अपना लेक्चर ही मिस कर दिया। अब आगे क्या इरादा है ,इसी तरह मजनू की तरह गलियों गलियों में उसे ढूंढते रहने का ।"
"कहना क्या चाहता है तू "
"यही की कब तक तू अपनी भावनाओं ,अरमानों का गला घोटता रहेगा। उसे सामने ना पाकर इतना बेचैन है तब क्या होगा जब वह तेरी जिंदगी से हमेशा के लिए चली जाएगी।"
"नहीं मैं उसे अपनी जिंदगी से कहीं नहीं जाने दूंगा"
" कैसे, ऐसे इन्तजार करते हुए "
"ध्रुव मैं तेरा दोस्त हूं तेरे भले के लिए कह रहा हूं ,एक बार तू उसे अपनी फीलिंग के बारे में बता शायद उसके मन में भी तेरे लिए ऐसे ही फीलिंग हो  पर वह तेरे इजहार का इंतजार कर रही हो।"
" नहीं वह मुझे सिर्फ अपना दोस्त मानती है और कहीं मैंने इजहार कर दिया तो हमारी दोस्ती टूट ना जाए। मैं उसके बिना जी नहीं पाऊंगा "
एक दिन तुम्हारी आंखों के सामने कोई दूसरा उसे ब्याह कर ले जाएगा, तब जी लोगे ना उसके बिना.....
  मैं तुम्हारा दोस्त हूं तेरी ऐसी हालत मुझसे देखी नहीं जाती .अब कॉलेज में हमारे एक ही महीने बचे हैं ।मेरी बात मान कर एक बार तू उससे कह कर तो देख कहीं ऐसा ना हो कि फिर जिंदगी भर तेरे हाथ पछतावा ही लगे।"
" ठीक है कोशिश करूंगा ,पर पहले यह तो पता चले कि आज वह कॉलेज क्यों नहीं आई"
" तो पता कर ना फोन तो तेरे हाथ में ही हैं"
" हां यार मैं तो भूल ही गया था, बस इंतजार ही करता रहा, पहले ही पूछ लेना चाहिए था "
"तो अब किस बात की देर है, अब लगा लेफोन "
ध्रुव अवनी को फोन लगाता है उधर से कॉल शोभा रिसीव करती है
" हेलो कौन"
" नमस्ते आंटी मैं ध्रुव"
"हां बेटा बोलो"
" आंटी आज अवनी कॉलेज क्यों नहीं आई थी ।
"बेटा उसकी तबीयत ठीक नहीं है, रात से ही बुखार है "
"डॉक्टर को दिखाया आपने"
" हां बेटा बस मामुली कोल्ड है एक-दो दिन में आराम हो जाएगा।
" ठीक है अभी फोन रखता हूं"
" ठीक है बेटा "
अवनी की तबीयत खराब जान कर वह उसके लिए चिंता करने लगता है। फिर बाइक उठाकर अवनी के घर की तरफ रवाना हो जाता है, रास्ते में उसे फूलों की दुकान दिखाई देती है ।वहां से व पीले गुलाब का बुके  लेकर अवनी के घर पहुंच जाता है। वहां पहुंचकर डोरबेल बजाता है । शोभा दरवाजा खोलती हैं
"नमस्ते आंटी"
" नमस्ते बेटा आओ अंदर आ जाओ"
आंटी अवनी की तबीयत अब कैसी है
" पहले से बेहतर है दवाइयां दे दी है  अपने कमरे में आराम कर रही है। तुम बैठो मैं उसे बुलाती हूं ।आन्टी उसे परेशान मत करिए हम ही उसके पास चलते हैं । दोनों अवनी के कमरे में जाते हैं। अवनी अभी सो रही थी। शोभा अवनी को जगाने लगती है। तो ध्रुव उसे जगाने से मना कर देता है ।
"आंटी उसे सोने दीजिए मैं उसके उठने का वेट कर लूंगा"
" जैसा तुम ठीक समझो"
वो.वही कुर्सी पर बैठ जाता है शोभा रसोई में चाय बनाने चली जाती है। सोते हुए अवनी बहुत प्यारी लग रही थी। मासूम चेहरे पर कुछ लटें  आ जाती है। जिसे ध्रुवअपनी उंगलियों से हटा देता है ।वह उसे अपलक निहारते रहता है तभी अचानक से अवनी की आंख खुल जाती है।वह उठ कर बैठ जाती है।
" ध्रुव तुम यहां"
" हां आंटी जी से बात हुई थी तो बताया कि तुम्हारी तबीयत नहीं ठीक है ,इसलिए तुमसे मिलने चला आया. साथ में लाया हुआ बुके अवनी को पकड़ा देता है।

                                                                    क्रमशः


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रचनाएँ
इन्तजार
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इन्तजार ,सच्चे प्यार की कहानी है ।जिसमें कुछ सामाजिक कुप्रथाओं पर भी प्रकाश डाला गया है।दर्द, तडप ,साहस ,विश्वास सभी इस कहानी के प्रमुख तत्व हैं ।काल्पनिक होते हुये भी जीवन्तता कीअनुभूति कराती यह कहानी आपको अवश्य पसंद आयेगी ।
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