पिछले भाग में आप सब ने पढ़ा कि अवनी और उसके फ्रेंड वार्षिक उत्सव में नाटक का मंचन करते हैं। मुख्य अतिथि के द्वारा सभी कलाकारों को पुरस्कार वितरित किया जाता है। और वार्षिक उत्सव समाप्त हो जाता है। अब आगे.......
" यार अवनी तुमने तो कमाल की कहानी लिखी थी, मजा आ गया ।पर यह पुनर्जन्म वाला आइडिया कहां से आया तेरे दिमाग में" शिखा ने कहा
" बस यूं ही ,यही तो रोज देखती हूं सपने में।
" क्या कहा ?"
"कुछ नहीं, चल बाकी फ्रेंड से मिलते हैं।"
वे दोनों अपने फ्रेंड्स ग्रुप के पास चले जाते हैं। हर किसी के जबान पर अवनी और ध्रुव के किरदार का डायलॉग और बातें थी।
वहीं ध्रुव कहीं नजर नहीं आ रहा था ।
स्टेज पर एक्टिंग के दौरान बार-बार अवनी को अपने पास पाकर वह असीमानंद अनुभूत कर रहा था। उसे ऐसा लगता था ,जैसे वह और अवनी एक दूसरे के लिए बने हो। वह अवनी के लिए अपने मन में प्यार को महसूस कर रहा था । सारे घटनाक्रम को आंख बंद करके फिर से जीने का उपक्रम कर रहा था। तभी मयंक उसके पास आ जाता है।
" क्या बात है हीरो ,आज तो सचमुच का हीरो लग रहा था। क्या एक्टिंग कि तूने, मजा आ गया ।
"क्या .....क्या सच में एक्टिंग थी। मुझे लगा मैंने अपनी सारी फिलिंग अवनी सामने के बया कर दी ।"
"क्या कहा"
" कुछ नहीं ...कुछभी तो नहीं ।"
"पर मैंने तो सुना"
" क्या सुना"
"यही कि तूने अपनी फीलिंग से अवनी से बया कर दी" मुस्कुराकर
"तुझे अवनी से प्यार हो गया है ना"
" हां ,मुझे अवनी से प्यार हो गया है । पर क्या आवनी भी मुझे पसंद करती है।"
" यह तो तभी पता चलेगा जब तू उसे प्रपोज करेगा ।"
"हां ,वह तो है....... पर कैसे?"
" मेरे पास आइडिया है ,
"कैसा आइडिया"
" पहले बता, तू मुझे उसके बदले में क्या देगा?""
" अरे तू तो मेरी जान है, मांग कर तो देख तेरे लिए तो अपनी जान भी हाजिर कर दूं"
" तेरी जान लेकर क्या करूंगा, बस तेरी बाइक चाहिए। शिखा को लॉन्ग ड्राइव पर ले जाने के लिए ।"
"क्या बात है, तू भी इश्क की राह पर चलने लगा क्या ?"
"हां यार ,हम दोनों एक दूसरे को पसंद करते हैं "....
" कॉलेज से निकलकर सेटल हो जाऊँ तो मैं भी सिखा के साथ अपनी गृहस्थी बसा लूं ।बस इसीलिए तुझसे भी कह रहा हूं , कालेज में हमारा आखिरी साल है। फिर हम सब न जाने कहां होंगे, न जाने कब मुलाकात होगी ।समय रहते अवनी से अपने दिल की बात कह दे ,कहीं देर ना हो जाए ।"
"हां यार ,पहले आईडिया तो बता"
" तो सुन कल मैंने घर में अपनी बर्थडे पार्टी रखी है, जिसने अपने सभी कालेज फ्रेंड्स होगें और अवनी भी। तुम मौका पाकर अवनी से अपने दिल के हाल बयाँ कर देना ।"
"ओके अब घर चलते हैं "
"ध्रुव रात भर करवटें बदलता रहा। उसे हर जगह केवल अवनी ही दिखाई दे रही थी ।जब -जब वह सोने के लिए आंख बंद करता ,उसे लगता अवनी उसके पास बैठ कर उसे ही देख रही है। जैसे ही आंख खोलता वहां कुछ भी नहीं होता। उसे अपनी बेवकूफी पर हंसी भी आ रही थी। वह अकेले में अवनी से बातें करता और सोचता
"जब मैं उसे प्रपोज करूंगा तो उसका रिएक्शन कैसा होगा ।
कभी उसे लगता वह मुस्कुरा कर उसे गले लग जाएगी। कभी वह सोचता वह बहुत ही शालीन है वह ऐसी हरकत नहीं करेगी थोड़ा शर्माएगी, फिर सोच कर बताने को कहेगी ।धीरे-धीरे अपने प्यार के गाड़ी चलने हीं लगेगी। अगर वह नाराज हो गई तो ।कहीं हमारी दोस्ती तो नहीं टूट जाएगी ।वह मुझसे रूठ तो नहीं जाएगी ।नहीं -नहीं मैं उससे कुछ भी नहीं कहूंगा। जब तक कि उसके तरफ से कोई पहल ना हो। मैं नहीं चाहता कि वह मेरी जिंदगी से दूर जाए ।चाहे दोस्त बनकर ही रहे पर मेरी आंखों के सामने रहे ।"
अगले दिन कॉलेज के बाद सभी फ्रेंड्स मयंक के घर में इकट्ठे होते हैं पर शिखा ,रिया और अवनी अभी नहीं आई। सभी केक काटने के लिए उसका इंतजार कर रही हैं।
"यह लड़कियां भी ना, तैयार होने में कितना टाइम लगाती है ।बर्थडे पार्टी के लिए भी ऐसे तैयार होती है जैसे बस डोली में बैठने जा रही हों"अरुण ने कहा
" हां मैं देर हो रही है, तू फोन तो लगा"
"शिखा को मैंने अभी आधे घंटे पहले ही फोन लगाया था। सब चल दिए हैं घर से ।आते ही होंगी सब ।"
वे हाल में इंतजार कर रहे हैं तभी तीनों आ जाती है रिया, सिखा, अवनी तीनों ही बहुत खूबसूरत लग रही थी ।उन्होंने पार्टी गाउन पहन रखा था। शिखा ने सुंदर रेड कलर का गाउन पहना था ।कानों में मैचिंग डिजाइनर इयररिंग्स ,चेहरे पर काली जुल्फे, स्मोकी आंखें और गुलाबी रंगत लिए ओठ उसकी खूबसूरती को चार चांद लगा रहे थे। रिया ने डार्क ब्लू कलर का गाउन पहना था। जो उसके दूधिया रंग पर खूब जच रहा था ।वही अवनी ने गोल्डन गाउन पहना था ।जिसकी डिजाइन कुछ पारंपरिक तरीके से की गई थी ।कानों में उसने एंटीक इयररिंग्स पहनी थी, एंटीक नेकलेस, एंटीक ब्रेसलेट्स उसकी शालीनता का बखान कर रहे थे ।वह किस स्टेट की राजकुमारी लग रही थी। बस सर पर ताज की कमी थी।
उन सबके आते ही बोझिल सा लगने वाला सामा रंगीन हो गया।
" हेलो फ्रेंड, हमें देर तो नहीं हो गई ना "शिखा ने कहा "आप आए बहार आई ,आइए आइए बस आप ही का इंतजार था" मयंक ने कहा
उन दोनों की बातें सुनकर सब हंसने लगे
सब के आ जाने पर मयंक ने केक काटा और सबने बर्थडे सॉन्ग गाकर खूब मस्ती की तभी अरुण फुल साउंड में गाने लगा दिया। सभी ने डांस किया। अब सब थक कर चूर हो चुके थे। रात के 10:00 बज रहे थे ।सब लड़कियां घर जाने के लिए तैयार हो गई तभी मयंक ने कहा
"यार मम्मी नहीं है तो खाना मैंने होटल से मंगाया है ,बस आता ही होगा सब खाना खा कर जाना ।"
"आंटी अंकल कहां गए मयंक ?"अवनि ने कहा
"गांव में एक रिश्तेदार के घर शादी में ,आज मैं उन्हें बहुत मिस कर रहा हूं। मम्मी होती तो रेसिपी की लाइन लगा देती डाइनिंग टेबल पर ।
पर उनका जाना जरूरी था"
" कोई बात नहीं ,आंटी जी के आने के बाद फिर पार्टी दे देना" शिखा ने कहा
"जी हुजूर, क्यों नहीं "
तभी डोरबेल बजती है और होटल से डिलीवरी ब्वॉय खाना लेकर आ जाता है। सभी खाना खाते हैं ।मयंक ध्रुव को इशारों से अवनी को प्रपोज करने के लिए बोलता है ।पर ध्रुवकी हिम्मत नहीं पड़ती ।
खाना खाकर सब घर केलियें निकल जाते हैं ।अवनी भी अपनी स्कूटी उठाकर जाने वाली होती है तभी
" अवनी रात ज्यादा हो गई है तो स्कूटी से मत जाओ" ध्रुव ने कहा
" कोई बात नहीं, मैंने मम्मी से फोन करके बता दिया था कि मुझे आने में थोड़ी देर हो जाएगी" अवनी ने कहा
" मेरा मतलब यह नहीं था अवनी तुम्हारे घर का रास्ता सुनसान रहता है अगर तुम्हें कोई आपत्ति ना हो तो मैं कार से तुम्हें घर छोड़ दूं।"
तभी अवनी का फोन बजने लगता है
"हेलो"
" हेलो अवनी ,कहां हो बेटा। रात ज्यादा हो रही है अकेले मत आना ,मैं पापा को भेज रही हूं तुम उनके साथ आ जाना ।"
"नहीं मम्मी ,आप परेशान मत हो। आप पापा को मत भेजो मैं आ जाऊंगी। आप घबराओ मत।
" अवनी फोन पर आंटी जी हैं" ध्रुव ने कहा
"हां"
" मुझसे बात कराओ "
"नमस्ते आंटी मैं ध्रुव "
"नमस्ते बेटा"
" आंटी यदि आप कहे तो मैं अवनी को घर छोड़ दूं ?स्कूटी से जाना रिस्की हो सकता है।"
"ठीक है बेटा मैं वेट कर रही हूं"
क्रमशः