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इंतजार (भाग 4)

12 मार्च 2022

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अवनि कॉलेज से लौट रही थी ,तभी रास्ते में उसकी स्कूटी खराब हो जाती है ।उसका घर शहर से दूर पहाड़ियों के पास मैदानी क्षेत्र में है, इसी वजह से वह स्कूटी से आती जाती है ।अब उसके पास यह समस्या है कि यदि वह बस से जाती है तो स्कूटी कहां रखें। वह इसी उधेड़बुन में लगी थी तभी उसके क्लास का  लड़का ध्रुव वहीं से गुजरता है। अवनी को सड़क पर स्कूटी के साथ खड़े देखकर अपनी कार रोक  देता है।
" अवनी तुम यह क्यों खड़ी हो ?"ध्रुव ने कहा।
" क्या करूं यार खटारे ने जवाब दे दिया" अवनी ने कहा।
" यदि तुम्हें कोई प्रॉब्लम ना हो तो मैं तुम्हें घर छोड़ दूं"
"प्रॉब्लम तो है, मैं घर तो चली जाऊंगी पर स्कूटी का क्या करूं ।यहां आस-पास कोई कोई गैराज भी नहीं है जहां इसे बनवा सकू।"
" हां समस्या तो है रुको मैं कुछ करता हूं।ध्रुव  फोन पर अपने ड्राइवर को अपनी लोकेशन बताता है, और एक मैकेनिक को साथ में लाने के लिए बोलता है ।थोड़ी देर में  ड्राइवर, मैकेनिक को लेकर वहां आ जाता है ।वह स्कूटी बनाने लगता है, लेकिन स्कूटी नहीं बन पाती तो वह उसे अपनी शॉप मे ले जाने की बात करता है ।ड्राइवर अपनी बाइक में स्कूटी को बांधकर लेकर चला जाता है ।
"लो स्कूटी की समस्या तो हल हो गई, क्या मैं तुम्हें घर तक छोड़ दूं ?"ध्रुव ने कहा
चलो मैं कल आकर स्कूटी ले लूंगी।  बहुत देर हो रही है मम्मी भी परेशान हो रही होंगी।"
ध्रुव कार का फाटक खोल देता है अवनी कार में बैठ जाती है रास्ते पर दोनों खामोश रहते हैं ध्रुव अवनि से बात करना चाहता तो है पर डरता है कि कहीं वह उसे गलत न
समझ ले। अवनि  रास्ता बताती  जाती है। अंततः वह घर पहुंच जाते हैं। घर पहुंच कर अवनि ,ध्रुव को अंदर आने के लिए बोलती है। लेकिन वह मना कर देता है
" तुमने मेरी हेल्प कीहै एक चाय तो बनती है "अवनी ने कहा
अवनि के द्वारा बार-बार कहने पर ध्रुव अवनी के घर के अंदर आ जाता है। अवनी की बैठक अत्यंत ही आकर्षक व करीने से सजाई गई है ।ध्रुव वहीं सोफे में बैठ जाता है और अवनी मम्मी.... मम्मी कहती हुई किचन की तरफ चली जाती है।
" आज बहुत देर लगा दी कहां रह गई थी मैं कब से परेशान हो रही थी?"
" आज स्कूटी ने धोखा दे दिया बीच सड़क पर खराब हो गई थी। तभी मेरा क्लास फेलो ध्रुव वहां आ गया उसी से लिफ्ट ले कर आई हूँ,और उसने स्कूटी बनने के लिए भी दे दी है। मैंने उसे चाय के लिए रोक लिया है ।प्लीज चाय बना दो ना।"
" मैं तो चाय ही बना रही थी तू चल कर बाहर बैठ ,मैं लेकर आती हूं।"
इधर ध्रुव वहां की हर चीज को बारीकी से देखने लगता है। वह दीवार पर लगी अवनी के बचपन की फोटो देख मुस्कुरा देता है। आधुनिक दौर में जहां लोग नए डेकोरेटिव आइटम से अपना घर से जाते हैं वहीं अवनी का ड्राइंग रूम एंटीक एवं पारंपरिक तरीके से सजाया गया था। शहर के शोर-शराबे से दूर एंटीक सजावट माहौल  को सौम्य औरशान्तिपूर्ण  बना रहा था। दिन-रात गाड़ियों और फैक्ट्रियों के शोर में रहने वालेध्रुव के लिए यह माहौल अत्यंत आनंददायक था। वह टेबल पर एक चिराग देखता है और उसे उठा लेता है ।तभी अवनी वहां आ जाती है ।
"यह जादुई चिराग है अवनी ,इसे घिसने से जिन आ जाएगा क्या ?" कहकर वह मुस्कुराने लगता है
"नहीं हमारे ऐसे नसीब कहां,जो हमें जादुई चिराग मिले हां लेकिन खोज जारी है  ।कभी न कभी मिल ही जाएगा।" "मतलब ध्रुव मुझे पुरानी चीजें इकट्ठा करना बहुत पसंद है, मुझे जहां भी एंटीक चीजें मिलती है मैं तुरंत ले लेती हूं। मुझे इन्हें देखकर सुकून मिलता है। ऐसा लगता है जैसे ये सभी मेरी ही वस्तुएँ हो जिसे मैं सदियों से यूज करती आ रही हूं।"
" पर तुम्हारी उम्र तो ज्यादा नहीं है फिर ऐसा कैसे हो सकता है"
" हां पर अजीब सा आकर्षण रहता है मैं स्वतः ही  इनकी ओर खिंची चली जाती हूं ।"
दोनों बात  कर रहे थे तभी शोभा वहां आ जाती है
"नमस्ते आंटी
" नमस्ते बेटा क्या नाम है आपका?"
" ध्रुव "
"बहुत प्यारा नाम है ,लो चाय पी लो नहीं तो ठंडी हो जाएगी ।"
"जी आंटी "कहकर चाय का कप ले लेता है ।
"और कौन-कौन है घर में"
" मम्मी पापा एक छोटी बहन और मेरी दादी "
"ठीक है आंटी अब मैं चलता हूं "
जाते-जाते अवनी ने उसे थैंक्यू कहा तो ध्रुव ने कहा "दोस्ती में थैंक यू और सॉरी नहीं बोलते"
इतना कहकर वह चला जाता है। अगले दिन अवनी बस से कालेज जाती है। और वहीं से अपनी स्कूटी ले जाती है। कॉलेज में एनुअल फंक्शन की तैयारियां चल रही थी। सभी फाइनल ईयर स्टूडेंट काफी उत्साहित थे ।क्योंकि कॉलेज में उनका आखिरी साल था ।यहां से निकलने के बाद यहां की मस्ती को वह हमेशा मिस करें, इसलिए वे कुछ अनोखे प्ले करना चाहते थे ,परंतु सब्जेक्ट ही नहीं सूझ रहा था।
" क्यों ना हम लोग सलीम अनारकली प्ले करें "मयंक ने कहा
" ना यार उनका प्यार मुकम्मल ना हुआ हमें तो मुकम्मल प्यार की कहानी प्ले करनी चाहिए "अरुण ने कहा
"क्यों ना हम राधा कृष्ण ही प्ले करें "
"ना जी ना यह तो हम बचपन में करते थे। फिर प्यार तो उनका भी मुकम्मल ना हुआ।"शिखा ने कहा
" सच यार प्यार होना तो आसान है ,लेकिन प्यार को पा लेना कितना मुश्किल है ।कभी-कभी सालों इंतजार करना पड़ता है। और कभी कभी दूसरे जन्म तक ,....फिर भी हमें हमारा प्यार मिल ही जाए इसका भी भरोसा नहीं रहता। किसी किसी के नसीब में केवल इंतजार होता है ,ताउम्र इंतजार, राधा की तरह।" अवनी ने कहा
" क्या बात है अवनी ,बड़ी सीरियस बातें कर रही है। किसकी जोगन बन बैठी है तू"
कहकर सीखा व बाकी स्टूडेंट हंसने लगते हैं उनकी बातें सुन अवनी झेंप  गई और कहा
"किसी की भी नहीं बस ऐसे ही "
सभी अपने प्ले के लिए सब्जेक्ट डिसाइड कर रहे थे वहीं ध्रुव दूर से ही अवनी को अपलक निहार रहा था। अवनि के बालों की लट जो बार-बार उसकी आंखों में आ रही थी, उसे वह हाथों से पीछे कर देती थी ।ध्रुव उस की इस हरकत को देख कर मुस्कुरा रहा था ।एक अजीब सा आकर्षण था ,जो उसे बार-बार अवनि  की तरफ देखने को मजबूर कर देता था ।लेकिन अपने भीतर मच रहे इस तूफान से व अनजान निर्णय नहीं कर पा रहा था कि अवनि के प्रति उसका झुकाव क्यों हो रहा था ।
"हम यहां प्ले के लिए दिमाग खपा  रहे हैं, और  ध्रुव को देखो क्या मजे से एक किनारे जाकर बैठा है।" मयंक ने कहा
" ध्रुव... इधर आकर हमारी हेल्प करो ,तुम्हें  प्ले नहीं करना क्या ?यार आखरी साल है कालेज में ,फिर तो सब अपनी अपनी जिंदगी में व्यस्त हो जाएंगे।"
अरुण ने कहा
उनकी बातें सुनकर ध्रुव पास आ जाता है वह सभी उससे प्ले के लिए विषय चुनने को कहते हैं।
" पुराने प्रेमियों के प्ले करते-करते हम बोर हो गए हैं क्यों ना हम किसी नये  विषय पर प्ले करें क्यों ठीक कहा ना मैंने।"ध्रुव ने कहा
" हां बात तो ठीक है पर कहानी और डायलॉग कौन लिखेगा?" शिखा ने कहा
" यह काम हम अवनी पर छोड़ देते हैं मयंक ने कहा "
"ठीक है मुझे एक-दो दिन का समय दो मैं जल्द ही कोई कहानी लिख कर लाती हूं"
" ठीक है, पर जल्दी करना कोई अच्छी सी कहानी लिखना"
अवनि  कॉलेज से घर आ जाती है और फ्रेश होकर स्टडी टेबल पर बैठकर  कहानी सोचने लगती है ।परंतु उसे कुछ समझ नहीं आता है। वह कहानी में कुछ नयापन लाना चाहती है ताकि उनकी कहानी सबसे अलग हो।
थक हार कर वह सो जाती है ।सोते समय वह फिर से वही सपना देखने लगती है। पर इस बार सपने में वह चीखती नहीं है ।वह उस युवक से नदी के किनारे स्वयं को बातें करते देखती है ।जहां वह दोनों दूर-दूर बैठकर नदी में पत्थर फेंक रहे हैं। सहसा उसकी नींद खुल जाती है वह घड़ी देखती है तो रात के 1:00 बज रहे थे ।यह सपना भोर का सपना नहीं था सपने के बारे में सोचते सोचते उसे प्ले की कहानी का आईडिया मिल जाता है।
वह कहानी लिखीनी शुरू कर देती है।

अवनी प्ले के लिए क्या कहानी लिखती है जानते हैं अगले भाग में ।।                                       
                                                                  क्रमशः


8 अप्रैल 2022

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रचनाएँ
इन्तजार
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