shabd-logo

इन्तजार( भाग 1)

9 मार्च 2022

31 बार देखा गया 31

             "इंतजार "(भाग 1)

यह एक काल्पनिक कहानी है इस कहानी के माध्यम से मैंने समाज में व्याप्त अंधविश्वास और कुप्रथा पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है। यह पूर्ण रूप से काल्पनिक है  इसका किसी व्यक्ति और स्थान से समानता संयोग मात्र है।




पहाड़ी पर स्थित मंदिर, जिसमें एक युवक और युवती हाथ जोड़े खड़े हैं ।वह अत्यंत प्राचीन दिखाई पड़ता है। कुछ देर के लिए धुंधला सा छा जाता हैं , एक पेड़ पर वह रस्सी से बंधी है ,उसके चारों तरफ आग जल रही  है ,और वह जोर -जोर से अनिरुद्ध .......अनिरुद्ध चिल्ला रही है।
तभी अचानक उसकी नींद खुल जाती हैऔर वह उठ जाती है । सोचती है कि
"फिर वही सपना "
घड़ी  देखती है तो सुबह के 5:00 बज रहे हैं ।वह मन ही मन सोचती है की,
" मम्मी कहती है कि सुबह के सपने हमेशा सच होते हैं पर ये कैसा सपना है? और यह अनिरुद्ध कौन है ?जिसे मैं बार-बार बुलाती हूं"
सपने के बारे में सोचते- सोचते वह घर के बाहर बने गार्डन में चली जाती है, और साथ में कुछ चावल के दाने ले लेती है  ।वह बगीचे में रखी कुर्सी पर जाकर बैठ जाती है। वहां से उसे सूर्योदय साफ दिखाई पड़ता है ,और उसे निकलते सूरज की लालिमा देखना बहुत अच्छा लगता है।
अभी सूरज निकला नहीं है ,परंतु उसके किरणों की आभा  से सारा आकाश मंडल रक्तिम हो गया है। पंछी अपने घोसले छोड़कर दाने  की तलाश में निकल रहे हैं। चहचहाती हुई  चिड़ियों का झुंड एकाएक उसके सर के ऊपर से गुजर जाता है ,जिसे वह अपलक निहारती रहती है  ।फिर वह अपने साथ में लाएं कुछ चावल के दाने गार्डन में बिखेर देती है। तरह-तरह के पंक्षी दाने खाने के लिए बगीचे में उतर पड़ते हैं। वो वहीं  किनारे बैठ कर उन्हें दाने चुगता देखती रहती है ।
"अवनी....... अवनी रोज सुबह यह लड़की कमरे की लाइट पंखा चालू छोड़कर न जाने कहां चली जाती है।
इसे तो किसी बात की फिक्र ही नहीं।"
तभी उनकी नजरे गार्डन में बैठी अवनी की तरफ चली जाती है
"इसका रोज  का  काम हो गया है, ये नहीं कि कमरे की सफाई कर ले ,कुछ देर बैठ कर पढ़ाई कर ले ,बस सुबह से चिड़ियों को दाना चुगाना और बैठकर उन्हें खाते देखना, इतना ही काम बचा है इस लड़की के पास।
ना जाने कब बड़ी होगी "
मम्मी की आवाज सुनकर अवनी  उनके पास आ जाती है और उनके गले में बाहें डाल कर कहती है।
" कभी नहीं "
"चल दूर हट...और यह नखरे करना बंद कर जाकर  तैयार हो जा ,मैं तेरे लिए चाय और नाश्ता बनाती हूँ।
"जी मम्मी "
कह कर अवनी मुस्कुराते हुए अपने कमरे में चली जाती है, वहां पर पहले कमरा व्यवस्थित करती है फिर नहा धोकर नाश्ते की टेबल पर पहुंच जाती है ।
"मम्मी जल्दी नाश्ता दो कालेज के लिए देर हो रही है" तभी शोभा जी गरमा गरम पराठे दही और आलू की सब्जी लेकर आ जाती है "
ले बेटा नाश्ता कर "
अवनी आधा अधूरा नाश्ता करके बैग उठाकर निकलने लगती है
" सुबह से तो होश रहता नहीं है, अभी नाश्ते के टेंबल पर भगदड़ मच जाती है ,नाश्ता तो अच्छे से कर ले ।"
"बस हो गया मम्मी "
कहते  हुए वह स्कूटी निकालकर कॉलेज चली जाती है
" शोभा जल्दी करो आफिस  के लिए देर हो रही है। नाश्ते के साथ टिफिन भी लेते आना, और हां तुम्हें याद है ना शाम को लड़के वाले आ रहे हैं ।
उसकी सारी तैयारी करके रखना रोहन उसकी फैमिली बहुत ही अच्छी है यह रिश्ता हाथ से जाना नहीं चाहिए।" अवनी के  पापा ने कहां "
"हां... हां सब याद है मैंने शाम के लिए नाश्ते का इंतजाम कर लिया है और अवनी को भी टाइम से घर आने के लिए कह दिया है ।"
"और अपनी लाडली को भी समझा देना,वो कोई गड़बड़ नहीं करेगी बहुत ही अच्छा परिवार है, खुद का बिजनेस है, लड़का भी सरल स्वभाव का है। मेरी बेटी को कोई परेशानी नहीं होगी वहां ।"
"पर इसके नखरे खत्म हो तब ना"
"ठीक है मैं उसे सब समझा दूंगी। अब तुम ऑफिस जाओ लेट नहीं हो रही है ।"
शोभा ने रवि को टिफिन देते हुए कहा।
"ईश्वर करे शाम को सब अच्छा हो "कहते हुए शोभा घर के कामों में लग गईl
शाम का वक्त हाल में मेहमान बैठे हुए हैं, इधर शोभा अवनी को तैयार कर रही है ,सलीके से बंधी हल्के गुलाबी रंग की साड़ी, आंखों में काजल ,कानों मे आकर्षक छोटी-छोटी झुमकी, माथे पर छोटी सी बिंदी ,सादगी में भी अवनी बहुत ही आकर्षक लग रही थी ।छरहरा  बदन, 5 फुट 2 इंच की लंबाई ,गोरा रंग,लम्बे घुघराले बाल ,जिसकी कुछ लटें चेहरे पर अटखेलियाँ कर रही थीं ।उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे ईश्वर ने स्वयं अपने हाथों से बहुत ही फुर्सत में उसे बनाया हो। वह साक्षात सौंदर्य की देवी लग रही थी।  शोभा ने अवनी के कान के पीछे काला टीका लगाते हुए कहा।
" मेरी फूल सी बेटी को किसी की नजर ना लगे ।लड़के वाले तो तुझे एक नजर में ही पसंद कर लेंगे ,पर तू अपनी बचकानी ज़िद छोड़ दे। और अब की बार कोई ऐसी वैसी बात मत करना जितना पूछा जाए बस उसी का जवाब देना ।"
अवनी ने हाँ  में  सिर हिलाया और पीछे मुड़कर मुस्कुराने लगी उसके दिमाग में तो अलग ही खिचड़ी पक रही थी। इस बार रिश्ता टूटने का ब्लेम वह अपने ऊपर नहीं लेना चाहती थी ।इसीलिए वह एक सुशील संस्कारी बेटी की तरह माँ की हां में हां मिला रही थी ।
अवनी ने नाश्ते की मेज पर चाय का ट्रे रखा तब रोहन की मां ने उसे अपने पास बुला लिया।
" बेटी इधर बैठो नाम क्या है तुम्हारा?"
" अवनी"
" बहुत ही प्यारा नाम है"
"पढ़ाई क्या कर रही हो?
" M.A . फाइनल ईयर है ।"
"खाना बनाना आता है तुम्हें?"
" जी बहन जी यह तो बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनाती हैं। यह पकौड़ी अभी इसी ने बनाई है लीजिए ना बहनजी खाइए "
"जी बिल्कुल"
कहकर रोहन की मां पकौड़े खाने लगती है
" मम्मी भी ना ,बड़ी खूबी से सफेद झूठ बोल लेती है"
अवनी मन ही मन यह सोचकर मुस्कुराने लगी।
" और क्या-क्या शौक है तुम्हारे ?"रोहन की मां ने कहा
" पेंटिंग करना  और डांस करना"
अवनी ने बहुत ही धीरे से कहा
" बहुत संस्कारी बेटी है आपकी मुझे तो बस ऐसे ही बहु चाहिए थी। भगवान की दया से घर में पैसे की कोई कमी नहीं है, नौकर चाकर भी हैं ।बहू में नौकरी करने के शौक ना रहे तो ही अच्छा है। बुढ़ापे में अब मुझ से काम भी नहीं होता है ,बहू घर आए घर के कामकाज संभाल ले तो मैं भी गंगा नहा लूं ।"रोहन की मां ने कहा
अवनी के पापा रोहन के पापा से बिजनेस के संबंधी बातें कर रहे थे ।वही शोभा जी भी रोहन की मां से बातें करने में व्यस्त थी ।और रोहन बड़ी देर से अवनी को देख कर मुस्कुरा रहा था। उसे अवनी पसंद आ गई थी। आखिर अवनी थी ही इतनी खूबसूरत कि जो भी उसे देख ले देखता रह जाए और आज माँ ने भी उसे बहुत प्यार से तैयार किया था ।तभीअवनी ने रोहन की तरफ देखा उसे अपनी तरफ़ ही देखता हुआ देखकर अवनी ने अपनी नजरें नीचे झुका ली। तभी रोहन की मां का ध्यान उन दोनों की तरफ गया और उन्होंने कहा
"बहन जी मुझे तो अवनी बहुत पसंद है।
यदि बच्चे भी आपस में बात कर लेते , एक दूसरे के बारे में जान समझ ले तो अच्छा रहेगा ,आखिरशादी तो इन्हें ही करनी है ।" रोहन की मां ने कहा
"जी क्यों नहीं, अवनी जाओ रोहन को अपना घर दिखा लाओ" शोभा ने कहा।
"जी मम्मी "
कहकर अवनी रोहन को घर दिखाने ले गई। अवनी के रूम में बहुत सारी पेंटिंग लगी थी जिसमें उसने प्राकृतिक दृश्यों को बखूबी से उकेरा था ।उन्हें देखकर रोहन ने अवनी से पूछा
"यह सभी आपने बनाई है बहुत खूबसूरत है"
"जी मुझे प्राकृतिक सौंदर्य की पेंटिंग बनाना बहुत पसंद है चलिए मैं आपको अपना गार्डन दिखाती हूं "
यह कर कर अवनी रोहन को घर के गार्डन में ले गई घर का गार्डन अवनी को बहुत पसंद था ।वह वहां से रोज प्रकृति के नजारे देखा करती थी ।वह रोहन के साथ गार्डन में रखी कुर्सियों पर बैठ गई।
अवनी का गार्डन बहुत ही प्यारा था। तरह-तरह के खुशबूदार फूल, सजावटी पौधे शाम को खुशनुमा बना रहे थे। अवनी के रूप पर फ़िदा रोहन  रोमांटिक अंदाज में अवनी की तरफ देखते हुए कहा
"अवनी आप बहुत खूबसूरत हैं, मुझे आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा मुझे आप पसंद है ।यदि मैं आपका हमसफर बन सकू तो यह मेरे लिए बहुत खुशनसीबी की बात होगी। परंतु आपकी  राय जाने बिना यह संभव नहीं है, आपकी मेरे बारे में क्या राय है क्या आपको यह रिश्ता मंजूर है?"

अवनी का क्या जवाब होगा पढ़ते हैं हैं अगले भाग में।
                                                                क्रमशः
    


8 अप्रैल 2022

30
रचनाएँ
इन्तजार
0.0
इन्तजार ,सच्चे प्यार की कहानी है ।जिसमें कुछ सामाजिक कुप्रथाओं पर भी प्रकाश डाला गया है।दर्द, तडप ,साहस ,विश्वास सभी इस कहानी के प्रमुख तत्व हैं ।काल्पनिक होते हुये भी जीवन्तता कीअनुभूति कराती यह कहानी आपको अवश्य पसंद आयेगी ।
1

इन्तजार( भाग 1)

9 मार्च 2022
2
1
1

"इंतजार "(भाग 1) यह एक काल्पनिक कहानी है इस कहानी के माध्यम से मैंने समाज में व्याप्त अंधविश्वास और कुप्रथा पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है। यह पूर्ण

2

इन्तजार (भाग 2)

10 मार्च 2022
1
1
0

अभी तक आपने पढ़ा, अवनी एक स्वप्न देखती है फिर वह कॉलेज चली जाती है ।शाम को उसके घर में लड़की वाले उसे देखने आते हैं, जो कि लगभग उसे पसंद ही कर लेते हैं । अवनी और रोहन बगीचे में एक दूसरे से बात करने के

3

इन्तजार (भाग 2)

10 मार्च 2022
0
0
0

<div align="left"><p dir="ltr">अभी तक आपने पढ़ा, अवनी एक स्वप्न देखती है फिर वह कॉलेज चली जाती है ।शाम को उसके घर में लड़की वाले उसे देखने आते हैं, जो कि लगभग उसे पसंद ही कर लेते हैं । अवनी और रोहन बग

4

इन्तजार (भाग 3)

10 मार्च 2022
0
0
0

<div align="left"><p dir="ltr">ग्राउंड में कुछ युवक फुटबॉल खेल रहे हैं।दोनों टीम के खिलाड़ी अपने अपने टीम के लिए गोल करने का भरसक प्रयत्न करते हैं ।तभी फुटबाल खेल रहे अनिल के सर में अचानक

5

इंतजार (भाग 4)

12 मार्च 2022
1
1
1

अवनि कॉलेज से लौट रही थी ,तभी रास्ते में उसकी स्कूटी खराब हो जाती है ।उसका घर शहर से दूर पहाड़ियों के पास मैदानी क्षेत्र में है, इसी वजह से वह स्कूटी से आती जाती है ।अब उसके पास यह समस्या है कि यदि वह

6

इन्तजार भाग 5

14 मार्च 2022
1
1
1

<div align="left"><p dir="ltr">पिछले भाग में आपने पढ़ा ,अवनी कॉलेज में होने वाले वार्षिक उत्सव के लिए मंचन हेतु कहानी लिखने का प्रयास करती हैl परंतु आप कुछ भी लिख नहीं पातीl थक हारकर वह सो जाती है ,सो

7

इन्तजार भाग 6

14 मार्च 2022
1
1
0

पिछले भाग में आपने पढ़ा विजय रूपा से मिलने तालाब के किनारे आता है lऔर उससे कहता है कि वह उसके लिए कुछ उपहार लाया है lपरंतु वह उसे यहां नहीं दिखाएगा यह कह कर तालाब से उसे मंदिर के पीछे के जंगल की तरफ ल

8

इन्तजार भाग 7

14 मार्च 2022
0
0
0

पिछले भाग में आप सब ने पढ़ा कि अवनी और उसके फ्रेंड वार्षिक उत्सव में नाटक का मंचन करते हैं। मुख्य अतिथि के द्वारा सभी कलाकारों को पुरस्कार वितरित किया जाता है। और वार्षिक उत्सव समाप्त हो जाता है। अब आ

9

इन्तजार भाग 8

15 मार्च 2022
0
0
0

पिछले भाग में आप सभी ने पढ़ा की पार्टी समाप्त होने के बाद अवनी स्कूटी से घर जाने के लिए तैयार होती है। लेकिन ध्रुव उसे स्कूटी से जाने के लिए मना कर देता है। और उसे अपने साथ कार से घर छोड़ने का प

10

इन्तजार (भाग 9)

16 मार्च 2022
0
0
0

पिछले भाग में आपने पढ़ा की अवनी की तबीयत खराब होने की वजह से ध्रुव उससे मिलने आता है ।उसे सोता हुआ देखकर वहीं उसके पास बैठ जाता है। जब अवनी की नींद खुलती है तो वह दोनों बातें करने लग

11

इन्तजार (भाग 10 )

16 मार्च 2022
0
0
0

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि ध्रुव अवनी से अपने हाल ए दिल बयां करता है। वहीं अवनी उसकी बातों का कोई जवाब नहीं देती, और जड़वत बैठी रहती है। अब आगे ............. "क्या हुआ अवनी तुम खामोश क्यों

12

इन्तजार भाग 11

17 मार्च 2022
0
0
0

"डॉ अनिल अनिल की बेहोशी और सर दर्द की वजह क्या है? मेरे बेटे को कब इस परेशानी से मुक्ति मिलेगी। आप जहां कहेंगे मैं वहां उसका इलाज करा लूंगा। बस वह ठीक हो जाए।" विजय ने कहा "देखिए सर मैंने हर तरह

13

इन्तजार भाग 12

18 मार्च 2022
0
0
0

ध्रुव ,अवनि से मिलने के लिए और उसके सपने के रहस्य को जानने के लिए बेचैन हो जाता है ।शाम को वह अवनी के घर पहुंचता है डोर बेल बजाने पर दरवाजा शोभा खोलती है ।तीनों साथ में चाय पीते हैं फिर शोभा घर

14

इन्तजार भाग 13

18 मार्च 2022
0
0
0

ट्रेन जयपुर स्टेशन पर पहुंचती है, अलका ,स्वीटी ,अनिल और बाकी सभी फ्रेंड से नीचे उतर कर अपना अपना सामान चेक करते हैं lऑटो स्टैंड से ऑटो लेकर वे सभी जयपुर के एक अच्छे होटल में पहुंच जाते हैं l "यार हम स

15

इन्तजार (भाग 14)

19 मार्च 2022
0
0
0

पिछले भाग में आपने पढ़ा की अवनी का फ्रेंड्स ग्रुप अनिल का फ्रेंड्स ग्रुप दोनों एक साथ हवा महल देखने जाते हैं ।वहां का खूबसूरत दृश्य देखने के दौरान अवनी अनिल से टकरा जाती है ।जिससे दोनों के शरीर में अज

16

इन्तजार( भाग15)

19 मार्च 2022
0
0
0

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि सभी टूरिस्ट सिटी पैलेस जाते हैं। और वहां की ऐतिहासिक धरोहरों का अवलोकन करते हैं। वहां से आकर सभी अपने अपने रूम में सोने चले जाते हैं। नित्य की भांति अवनी भोर में प्राकृतिक स

17

इन्तजार (भाग16 )

19 मार्च 2022
0
0
0

"तो राजू अब कल आप हमें कहां घुमा रहे हैं ?"अलका ने बस से उतरते हुए कहा। "जयपुर में देखने के लिए अभी कई स्थान बचे हुए हैं जल महल ,नाहरगढ़, रामबाग पैलेस ,रायगढ़ किला, नाहर दुर्ग, जंतर मंतर यह सब यहां क

18

इन्तजार भाग (17)

19 मार्च 2022
0
0
0

दिन भर की थकान के बाद सभी पर्यटक अपने अपने कमरों में सोने चले जाते हैं lपरंतु ध्रुव की आंखों में नींद नहीं थी वह बालकनी में खड़े होकर आकाश में चमकते चांद को देख रहा थाl दूधिया सफेद चाँद उसके ह्रदय की

19

इन्तजार भाग( 18)

23 मार्च 2022
0
0
0

हफ्ते भर जयपुर घूमने के बाद सभी वापस जाने का निर्णय लेते हैं तभी मयंक सुबह का पेपर पढ़ते हुए अवनी के रूम में आ जाता है "अवनी आज का समाचार पढ़ा तुमने?" नहीं, क्यों? कोई खास बातहै" " हां यार पास के ही ए

20

इन्तजार (भाग 19 )

23 मार्च 2022
0
0
0

मयंक सभी को कल के ट्रेन के समय से अवगत कराता है और अपने अपने सामान पैक करने को बोलता हैlवह ध्रुव के पास जाता है और उसे अवनी के मंसूबों के बारे में बताता है। अवनी के रुकने की बात जानकर ध्रुव भी रुकने क

21

इन्तजार (भाग 20)

24 मार्च 2022
0
0
0

अवनी बरछी में रुक कर ग्रामीणों से उस महिला के बारे में जानकारी एकत्र करना चाहती थी। जिसके लिए उसे किसी घर में पेइंग गेस्ट की तरह कुछ दिन रहना था। अवनी इस गांव में किसी को ना जानती थी ।उसे होटल क

22

इन्तजार भाग 21

25 मार्च 2022
0
0
0

,नाश्ता करने के बाद सुधा और राधेश्याम अपने अपने कामों में लग गएl अवनी भी गांव में घूम घूम कर जानकारी एकत्रित करना चाहती थी ।इसके लिए उसे किसी ऐसे व्यक्ति के साथ की जरूरत थी जो इस गांव के बारे मे

23

इन्तजार भाग 22

25 मार्च 2022
0
0
0

अवनी और दीपू मिलकर प्लान बनाते हैं जिसके तहत वे गांव में उन घरों में जहां की बहू बेटियों को डायन करार देकर जला दिया गया था वहां जाकर इस प्रथा के खिलाफ विरोध करने के लिए समझाते हैं ।गांव के बाहर

24

इन्तजार (भाग 23)

29 मार्च 2022
0
0
0

भोला ने अवनी को अतीत की कुछ घटनाएं बताना प्रारंभ कर दी " गरीब घर की बेटी थी। बेचारी न जानेकैसे ठाकुर के चंगुल में फंस गई। उसकी कुछ ख्वाहिशों को पूरी न करने के कारण किसी बहाने से ठाकुर ने उसे डाय

25

इन्तजार (भाग 24)

29 मार्च 2022
0
0
0

"रतन सिंह को सजा होगी न दीदी "दीपू ने अवनी से कहा " दीपू जब तक मैं इन्हे सजा ना दिला दूं हार नहीं मानूंगी बस तुम सब विश्वास बनाए रखना। कब तक वह भाड़े के टट्टू के सहारे हमें डराएगा " "जी दीदी हम सब आपक

26

इन्तजार (भाग 25 )

30 मार्च 2022
0
0
0

मंदिर की सीढ़ियों पर अनिल बेसब्री से अवनी का इंतजार कर रहा था। एक मिनट उसे युगों के बराबर लग रहा था तभी उसकी नजर मंदिर की ओर आती हुई अवनी पर पड़ती है, गुलाबी सूट में वह किसी गुड़िया की तरह दिख रही थी

27

इन्तजार (भाग 26)

30 मार्च 2022
0
0
0

जुग जुग जिए हो ललनवा अगनवाँ के भाग जागल हो ललना लाला होइयेहैं कुलवा के दीपक मनवाँ में आस लागल हो आजु के दिनवाँ सुहावन रतिया लुभावन हो ललना दिदिया के होरिला जनमें होरिलवा बडा सुंदर हो सासु

28

इन्तजार (भाग 27)

30 मार्च 2022
0
0
0

उस लड़की ने वहां की सजावट को देखकर अंदाजा लगा लिया कि यहां पर कोई भव्य आयोजन होने वाला है। जहां तरह-तरह पकवान बने थे जिनकी सुगंध उसकी व्याकुलता को और बढ़ाने का कार्य कर रहे थे ।पर उस

29

इन्तजार (भाग 28)

30 मार्च 2022
1
1
0

अवंतिका नियमित रूप से हवेली में काम करने लगी ।उसे नवप्रसूता और नवजात से दूर रखा जाता लेकिन उसके मन में नवजात को देखने की उत्सुकता बलवती होती जा रही थी ।हरिसिंह भी अवंतिका के रूप सौंदर्य से मोहित होकर

30

इन्तजार (भाग 29 ) अंतिम भाग

30 मार्च 2022
0
0
0

अगले दिन अवनी ,अनिल ध्रुव और दीपू सभी गाव वालो को लेकर थाने के सामने आमरण अनशन करने लगती है ,मीडिया को भी घटना कवर करने के लियें बुला लेती है। बरछी की घटना सभी न्यूज चैनलों में दिखाई देने से क्षेत्र व

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए