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इन्तजार (भाग 3)

10 मार्च 2022

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ग्राउंड में कुछ युवक  फुटबॉल खेल  रहे हैं।दोनों टीम के खिलाड़ी अपने अपने टीम के लिए गोल करने का भरसक प्रयत्न करते हैं ।तभी फुटबाल खेल रहे अनिल के सर में अचानक दर्द होने लगता है ।वह ग्राउंड  में गिर जाता है। सभी प्लेयर दौड़ कर उसे उठाकर हॉस्पिटल ले जाते हैं।
अनिल को बेहोश देख कर  उसे वहां एडमिट कर लेतें हैं।तब वे अनिल के पापा विजय कुमार को फोन लगा करके बुलाते हैं। विजय जैसे ही हॉस्पिटल पहुंचते हैं वे अनिल के दोस्तों से अनिल के बारे में पूछते है ।
"विक्की क्या हुआ अनिल, को तुम लोग इसे यहां क्यों ले आए?" विजय ने कहा
अंकल सर दर्द की वजह से यह खेलते खेलते ग्राउंड में गिर गया और बेहोश हो गया। तो हम लोग उसे यहां ले आए। यहां पर डॉक्टर ने अनिल को एडमिट कर लिया।
" डॉक्टर ने क्या कहा?" डॉक्टर अनिल को एम आर आई टेस्ट के लिए ले गए हैं रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ बताएंगे। विजय और अनिल के दोस्त कमरे के बाहर कुर्सियों पर बैठ जाते हैं। और डॉक्टर का इंतजार करने लगते हैं। कुछ देर बाद डॉक्टर बाहर आते हैं।
" सर मैं विजय अनिल का पिता हूं क्या हुआ है मेरे बेटे को?" विजय ने कहा  ]सर में दर्द था ब्रेन में कुछ प्रॉब्लम हो सकती है m.r.i. स्कैन के लिए भेज दिया है ,रिपोर्ट देखकर ही समस्या के बारे में पता चल पायेंंगा। फिलहाल अभी तो वह बेहोश है ,थोड़ी देर में होश आ जाएगा तब तक आप सभी बाहर वेट करिए। होश में आने के बाद एक-एक करके आप सभी उससे मिल सकते हैं।"
" ठीक है सर "कहकर सभी बाहर अनिल के होश में आने का इंतजार करने लगते हैं l,तभी अनिल की मां और बहन भी हॉस्पिटल मेंआ जाती है और अनिल को कांच के बाहर से देख कर रोने लग जाती है। अनिल बेहोश तो है पर उसका मस्तिष्क तेजी से चल रहा है और उसके आंखों के आगे कुछ घटनाएं चलचित्र की भांति घूम रही है। एक मंदिर मंदिर में गूंजती घंटियां और शंख ध्वनि ,अचानक से मंदिर की सभी घंटियां एक साथ तेजी से बजने लगती हैं। और वहीं पर एक युवक और युवती का जोड़ा दूल्हे और दुल्हन के वेश में है ।वे दोनों मंदिर के सामने दोनों  हाथ जोडे खड़े हैं ,तभी वह युवक कुछ लेने के लिए मंदिर से बाहर जाता है। वहां पहले से मौजूद अज्ञात गुंडे युवती को लेकर चले जाते हैं ।और जब वह वापस आता है तो उसे  वहां ना पाकर अवंतिका.... अवंतिका.... चिल्लाते हुए गांव की तरफ भागता है जहां वह जाकर देखता है कि युवती को एक पेड़ से बांधकर चारों तरफ से आग लगा दी गई है। वह उसे बचाने के लिए दौड़कर आग के बीच में छलांग लगा देता है ,तभी कुछ गुंडे आकर उसने पकड़ कर ले जाते हैं ।और उसे दूसरे पेड़ में बांधकर आग लगा देते हैं। वे दोनों असहाय एक दूसरे को जलतादेखतेरहतें है। और एक दूसरे को बचाने के लिए आवाज लगाते हैं। तभी वह जोर से अवंतिका..... करता हुआ होश में आ जाता है। उसकी आवाज सुनकर विजय और उसकी मां दौड़ कर कमरे की तरफ जाते हैं ।पर वहां मौजूद नर्स केवल 1 लोग को जाने के लिए बोलती है। विजय मौके की नजाकत समझते हुए अलका से कहता है, अलका जाइए पहले आप अनिल से मिल लीजिए ।
तब वह अनिल के पास चली जाती है बेटे को इस हालत में देखकर रोने लगती है मां को पास देखकर अनिल उठ कर बैठ जाता है और मां से कहता है
"मैं बिल्कुल ठीक हूं तुम रो क्यों रही हो ?"मुझे कुछ भी नहीं हुआ बस हल्का सा सर दर्द था ,।और यह विक्की कि मुझे यहां ले आया सर दर्द से कोई बेहोश हो जाता है। कितना कहती हूं खाने पीने का ध्यान रखा कर लेकिन तू सुनता ही नहीं है .। इसीलिए तो कितना कमजोर हो गया है कितना कमजोर हो गया है तू, इसी वजह से बेहोश हो गया होगा ।घर चल अब मैं तेरी एक न सुनूगी, रोज तुझे मेरे का हलवा बनाकर खिलाऊंगी।"
" हां हां ठीक है ,अब घर चले"
" अभी नहीं पहले डॉक्टर से छुट्टी ले ले फिर चलते हैं। पापा भी बाहर खड़े हैं कब से वह तुमसे मिलने के लिए परेशान थे ।अब मैं जा रही हूं वह भी आकर मिल ले बहुत बेचैन है । "
अनिल की मां बाहर आ जाती है तो एक-एक करके विजय अनिल की बहन वह उसके दोस्त अनिल से मिलने जाते हैं ।तभी डॉक्टर रिपोर्ट लेकर आ जाते हैं।
" मिस्टर विजय, आप मेरे केबिन में आईये "
"जी डॉक्टर कहिए क्या है रिपोर्ट में? मेरा बेटा ठीक तो है ना।
" मिस्टर विजय घबराने की कोई बात नहीं है ,रिपोर्ट बिल्कुल नॉर्मल है ,शायद डिहाइड्रेशन की वजह से बेहोश हो गया हो ।मैंने कुछ दवाइयां और टानिक लिख दिया है अनिल जल्दी ही  ठीक हो जाएगा अब आप उसे घर ले जा सकते हैं ।"
विजय और अलका अनिल को लेकर घर आ जाते हैं। अलका ने अनिल को रेस्ट करने के लिए सख्त हिदायत दे दी और उसने कमरे में सुला कर किचन में चली गई। अनिल की छोटी बहन स्वीटी जिसकी उम्र 18 साल के आसपास है ,वह थोड़ी चंचल और शरारती प्रकृति की है वह किचन से मेवे  का हलवा लेकर भाई के कमरे में जाती है।
" भाई उठो हलवा खा लो मॉम्स स्पेशल मेवे का हलवा" अनिल उठ कर बैठ जाता है और उसके हाथों से हलवे की प्लेट लेकर खाने लगता है ।
"मां का प्यार केवल भाई के लिए है ,मुझे तो कोई पूछता भी नहीं" स्वीटी ने कहा
" तू क्यों जल रही है, ले तू भी खा ले "
"नहीं मा ने आपके लिए बनाया है तो आप ही खाओ ।मुझे तो हलवा खाने के लिए बेहोश होना पड़ेगा ।वैसे भाई आप बेहोश कैसे हो गए थे ,भाभी को देख लिया था क्या?" कहकर वह हंसने लगती है ।
उसकी बात सुनकर अनिल को बेहोशी के समय देखे गए विजन याद आते हैं। और वह स्वीटी से कहता है।
" हां शायद "
"कौन है क्या नाम है उसका"
"अवंतिका "
"कितना बड़ा नाम है इसे तो सार्ट में अवनी होना चाहिए था कह कर वह फिर हंसने लगती है, भाभी कहां मिली आपको कुछ उनके बारे में बताओ ना भाई "
कह कर स्वीटी अनिल के बिस्तर में बैठ जाती है। और अनिल भी बिस्तर से तकिया गोद में लेकर उसके सामने बैठ जाता है ।और कहता है
"सपने में "
"क्या भाई आप भी ना मजाक करते हो मैंने सोचा सच में आपको कोई लड़की पसंद आ गई होगी ,और आपकी शादी हो जाएगी। घर में भाभी आ जाएंगे तो मैं भी उनके साथ ढेर सारी बातें करूंगी। अभी तो घर में मैं बोर हो जाती हूं।"
"
"मजाक नहीं स्वीटी सच में मैंने तुम्हारी भाभी को सपने में देखा है मेरा यकीन करो "
"अच्छा तो सपने वाली भाभी से आपकी मुलाकात कब हुई यह भी बता दो "
"मजाक नहीं मैं सच कह रहा हूं मेरा यकीन कर स्वीटी जब मैं बेहोश था तब मैंने देखा कि मैं और अवंतिका शादी करने के लिए एक मंदिर के सामने खड़े हैं। तभी कुछ लोग हमें पकड़ के पेड़ से बांध देते हैं फिर वह हम दोनों को आग लगा देते हैं। जरूर यह हमारा अतीत है या फिर हमारा भविष्य भी हो सकता है।"
" क्या भैया आप भी ,सपने की बात भी कभी सच होती है" "नहीं स्वीटी यह सपना नहीं था ,जब मैं बेहोश हुआ तो मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मुझे बुला रहा हो कोई मेरा इंतजार कर रहा हो ।"
अनिल की बातें अवनी के सर के ऊपर से गुजर जाती है।
और वह उसे अनिल का भ्रम समझ कर वहां से चली जाती है ।अनिल कमरे में अकेला रह जाता है और वह अपने 10 साल पहले के अतीत को याद करने लगता है। "यह सपना नहीं हो सकता 10 साल पहले जब मैं नानी के गांव गया था। तब वहां भी मैं खेलते खेलते अचानक से बेहोश हो गया था ।और तब भी मैंने वही सब देखा जो आज मैंने बेहोशी की हालत में देखा यह महज इत्तेफाक तो नहीं हो सकता है ।हो ना हो इस घटना के पीछे कोई रहस्य हो ,पर इसलिए मैं कैसे जानू ।"
यह सोचते हुए कमरे की खिड़की के पास आ जाता है रात हो जाने के कारण खिड़की से चांद दिखाई देने लगता है। "चंदा तुम्हें तो पता है ,मेरी अवंतिका कहां है तो उसे कह देना मैं बहुत जल्द उसे ढूंढने आऊंगा वह मेरा इंतजार करेगी "।


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रचनाएँ
इन्तजार
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इन्तजार ,सच्चे प्यार की कहानी है ।जिसमें कुछ सामाजिक कुप्रथाओं पर भी प्रकाश डाला गया है।दर्द, तडप ,साहस ,विश्वास सभी इस कहानी के प्रमुख तत्व हैं ।काल्पनिक होते हुये भी जीवन्तता कीअनुभूति कराती यह कहानी आपको अवश्य पसंद आयेगी ।
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पिछले भाग में आपने पढ़ा विजय रूपा से मिलने तालाब के किनारे आता है lऔर उससे कहता है कि वह उसके लिए कुछ उपहार लाया है lपरंतु वह उसे यहां नहीं दिखाएगा यह कह कर तालाब से उसे मंदिर के पीछे के जंगल की तरफ ल

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ट्रेन जयपुर स्टेशन पर पहुंचती है, अलका ,स्वीटी ,अनिल और बाकी सभी फ्रेंड से नीचे उतर कर अपना अपना सामान चेक करते हैं lऑटो स्टैंड से ऑटो लेकर वे सभी जयपुर के एक अच्छे होटल में पहुंच जाते हैं l "यार हम स

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पिछले भाग में आपने पढ़ा कि सभी टूरिस्ट सिटी पैलेस जाते हैं। और वहां की ऐतिहासिक धरोहरों का अवलोकन करते हैं। वहां से आकर सभी अपने अपने रूम में सोने चले जाते हैं। नित्य की भांति अवनी भोर में प्राकृतिक स

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इन्तजार (भाग16 )

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"तो राजू अब कल आप हमें कहां घुमा रहे हैं ?"अलका ने बस से उतरते हुए कहा। "जयपुर में देखने के लिए अभी कई स्थान बचे हुए हैं जल महल ,नाहरगढ़, रामबाग पैलेस ,रायगढ़ किला, नाहर दुर्ग, जंतर मंतर यह सब यहां क

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इन्तजार भाग (17)

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दिन भर की थकान के बाद सभी पर्यटक अपने अपने कमरों में सोने चले जाते हैं lपरंतु ध्रुव की आंखों में नींद नहीं थी वह बालकनी में खड़े होकर आकाश में चमकते चांद को देख रहा थाl दूधिया सफेद चाँद उसके ह्रदय की

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इन्तजार भाग( 18)

23 मार्च 2022
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हफ्ते भर जयपुर घूमने के बाद सभी वापस जाने का निर्णय लेते हैं तभी मयंक सुबह का पेपर पढ़ते हुए अवनी के रूम में आ जाता है "अवनी आज का समाचार पढ़ा तुमने?" नहीं, क्यों? कोई खास बातहै" " हां यार पास के ही ए

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मयंक सभी को कल के ट्रेन के समय से अवगत कराता है और अपने अपने सामान पैक करने को बोलता हैlवह ध्रुव के पास जाता है और उसे अवनी के मंसूबों के बारे में बताता है। अवनी के रुकने की बात जानकर ध्रुव भी रुकने क

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अवनी बरछी में रुक कर ग्रामीणों से उस महिला के बारे में जानकारी एकत्र करना चाहती थी। जिसके लिए उसे किसी घर में पेइंग गेस्ट की तरह कुछ दिन रहना था। अवनी इस गांव में किसी को ना जानती थी ।उसे होटल क

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इन्तजार भाग 22

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अवनी और दीपू मिलकर प्लान बनाते हैं जिसके तहत वे गांव में उन घरों में जहां की बहू बेटियों को डायन करार देकर जला दिया गया था वहां जाकर इस प्रथा के खिलाफ विरोध करने के लिए समझाते हैं ।गांव के बाहर

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भोला ने अवनी को अतीत की कुछ घटनाएं बताना प्रारंभ कर दी " गरीब घर की बेटी थी। बेचारी न जानेकैसे ठाकुर के चंगुल में फंस गई। उसकी कुछ ख्वाहिशों को पूरी न करने के कारण किसी बहाने से ठाकुर ने उसे डाय

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जुग जुग जिए हो ललनवा अगनवाँ के भाग जागल हो ललना लाला होइयेहैं कुलवा के दीपक मनवाँ में आस लागल हो आजु के दिनवाँ सुहावन रतिया लुभावन हो ललना दिदिया के होरिला जनमें होरिलवा बडा सुंदर हो सासु

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इन्तजार (भाग 27)

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इन्तजार (भाग 28)

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अवंतिका नियमित रूप से हवेली में काम करने लगी ।उसे नवप्रसूता और नवजात से दूर रखा जाता लेकिन उसके मन में नवजात को देखने की उत्सुकता बलवती होती जा रही थी ।हरिसिंह भी अवंतिका के रूप सौंदर्य से मोहित होकर

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इन्तजार (भाग 29 ) अंतिम भाग

30 मार्च 2022
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अगले दिन अवनी ,अनिल ध्रुव और दीपू सभी गाव वालो को लेकर थाने के सामने आमरण अनशन करने लगती है ,मीडिया को भी घटना कवर करने के लियें बुला लेती है। बरछी की घटना सभी न्यूज चैनलों में दिखाई देने से क्षेत्र व

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