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इन्तजार भाग 22

25 मार्च 2022

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अवनी और दीपू  मिलकर प्लान बनाते हैं जिसके तहत वे गांव में उन घरों में जहां की बहू बेटियों को डायन करार देकर जला दिया गया था वहां जाकर इस प्रथा के खिलाफ विरोध करने के लिए समझाते हैं ।गांव के बाहर दीपू के खेत के पास दीपू उन सभी को एकत्रित करता है ताकि इनके इस प्लान की खबर किसी और को न लग सके।
" मेरे प्यारे  गांव वासियों आप सभी ने यहां आकर जो प्यार व विश्वास जताया है इसके लिए मैं आप की शुक्रगुजार हूं ।आप सभी जानते हैं कि हम यहां किस  समस्या पर विचार विमर्श करने के लिए इकट्ठे हुए हैं। यह समस्या किसी एक की नहीं बल्कि पूरे गांव की है और पूरे नारी समाज की है ।इसके आड मे ये  बड़े लोग अपने गलत मंसूबों को अंजाम देते हैं, खामियाजा हमारी बहन बेटियों को भुगतना पड़ता है ।यदि हम सब एक होकर इनके खिलाफ आवाज उठाएंगे तो निश्चित ही इस प्रथा का अंत होगा ।"अवनी ने गांव वालों को संबोधित करते हुए कहा ।
"तो क्या दीदी डायन नहीं होती है "भीड़ में से एक लड़के ने कहा
" नहीं, तुम्हारी बहन को डायन कहा गया था क्या उसे जादू टोना आता था? या वह कोई गलत हरकत करती थी?"
" नहीं दीदी वह तो बहुत ही अच्छी थी सबकी मदद भी करती थी"
" फिर तुमने कैसे सोच लिया कि डायन जैसा कुछ भी होता है"
" तो गांव में बीमारियां क्यों फैलती हैं ।.....रघु का लड़का 2 दिन की बुखार में कैसे मर गया?"
" बीमारियों की वजह डायन नहीं बल्कि गंदगी और अशिक्षा है ।जगह-जगह गंदगी की वजह से मच्छर पनपते हैं वह भी कई बीमारियों की वजह बनते हैं ।गांव के लोग एक ही तालाब में नहाना धोना और अन्य घरेलू काम भी करते हैं ,जिससे संक्रामक बीमारियां भी फैलती हैं ।सच पूछो तो गांव को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ एक अच्छे अस्पताल की भी जरूरत हैः...... यह बड़े लोग सब जानते हैं परंतु वे तुम्हारी मूर्खतापूर्ण अंधविश्वास की आड़ में अपने मंसूबे को पूरा करते हैं।"
"  सही कह रही हो बहन मेरी बहन का पति मर गया उसकी जमीन के कागज जमीदार के पास गिरवी रखे थे। अच्छी खासी जमीन थी विधवा कहीं कागज छुड़ा न लेइस डर से  उन्होंने उसे डायन करार देकर जला दिया। अब उसके आगे पीछे किसी को बोलने की हिम्मत ही नहीं, जमीदारों ने सब हथिया लियाl "
"लेकिन हम कर ही क्या सकते हैं "
"हम कर सकते हैं सबसे पहले तो  हमें अपनी सोच में परिवर्तन लाना होगा ।साथ ही गांव वालों को अंधविश्वास के प्रति जागरुक करना होगा ।सबसे पहले हमें बहन बेटियों को डायन कहने  वालोंको उनके साथ गलत व्यवहार करने वालों को कठोर सजा दिलाना होगा। ताकि कोई भी ऐसा करने से पहले सौ बार सोचे ।"
"किस को और किस से सजा दिलाएंगे ।यहां तो सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं ।उनके पास बंदूक के हैं।  हम गरीब असहाय उनका सामना कैसे कर पाएंगे ।"
"एकता में बड़ी ताकत होती है एकता से बड़ा हथियार कुछ भी नहीं है ।अभी हमें सबसे पहले कुसूम के हत्यारों को सजा दिलाना है। आप सब जानते हैं कुसुम निर्दोष हैं। यह प्रथा समाज में केवल नारी का अपमानहै  मातृत्व का अपमान है ।एक तरफ तो हम देवी की आराधना करते हैं दूसरी तरफ हम उन्हें आग में झोक देते हैं ...यह कहां का न्याय है।"
"इस के लिए हमें करने क्या होगा "
आप सभी को गांव वालों को इसके बारे  में जागरूक करना होगा ।7दिन बाद सभी को शाम 4:00 बजे इसी जगह इकठ्ठा होना है। इस के आगे की योजना हम तभी बनाएंगे ।"
"यह अवनी  भी ना कमाल की लड़की है ।न जाने क्या क्या सूझती रहती है इसे ।.....सबसे अलग ,सबसे जुदा जहां सारी दुनिया अपनी लिए जीती है ,वही यह दूसरों के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रही है ।इसीलिए तो इस पर इतना प्यार आता है। तुम मुझे चाहो या ना चाहो अवनी मैं तुम्हारा साथ आखिरी सांस तक ही छोड़ूंगा।" पेड़ के पीछे छिपे हुए ध्रुवने  अवनि को देखते हुए कहा
सभी ग्रामीण अपने-अपने घर चले गए और योजना के मुताबिक अन्य ग्रामिणो को अवनी  के इरादों से अवगत कराया ।नियत  समय पर सभी गांव के लोग फिर से वहीं इकट्ठे हुए ।वहां पर सभी कुसुम को न्याय दिलाने के लिए जुलूस निकालने का निर्णय लेते हैं।

डायन प्रथा बंद करो
कुसुम को न्याय दो

हमें भी जीने का अधिकार
बंद करो ये अत्याचार

नारे के साथ जुलूस गांव में घूमता  हुआ स्टेशन के सामने धरना देकर बैठ गया अभी ने योजना की मुताबिक मीडिया वालों को घटनाको कवर करने  के लिए बुला लिया था। ताकि समाचार चैनल में  इस घटना का सीधा प्रसारण हो सके और यह खबर ऊपर तक पहुंच जाए। मीडिया की वजह से पुलिस भी गाँव वालों पर सख्ती  नहीं बरत  पाती है ।तभी पुलिसस्टेशन की फोन की घंटी बजती है।
" हेलो इस्पेक्टर तुम्हारे  रहते यह सब क्या हो रहा है"
" सर मीडिया की वजह से हमारे हाथ बंधे हुए हैं हम कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं"
" हमारे खिलाफ जाने की हिम्मत कैसेहुई इन गवाँरों की,  कौन है इसके पीछे"
सर इन गवारों में इतनी हिम्मत कहां..... शहर से कोई लड़की आई है ,अवनी  नाम है उसका ।वही इन गांव वालों को उकसा आ रही है।........ सर आप उस का बंदोबस्त कर दीजिए सब अपने आप शांत हो जाएंगे।"
"सही कहा, तुम ऊपर वालों को संभाल लेना  , मैं इस लड़की का बंदोबस्त करता हूं।"
शाम तक नारे और धरने के बाद सभी वापस अपने-अपने घरों में चले जाते हैं ।इधर अवनी दीपू के साथ उसके घर आ जाती है।
" रामू अब जब तक ऊपर से अपराधियों को पकड़ने व सजा देने का आदेश नहीं आ जाता है तब तक हमें अपना प्रदर्शन जारी रखना होगा ।जब रोज समाचार मे खबर प्रसारित होगी तब मंत्रीयों व बड़े नेताओं का  ध्यान  जरूर जाएगा। और तब निश्चित  इन सभी के खिलाफ कार्रवाई होगी।"
" ईश्वर करे ऐसा ही हो दीदी अब कल का क्या प्रोग्राम है"
" कल 12:00 बजे से फिर रैली और पुलिस स्टेशन का घिराव करना है ।कल भी  मैंने मीडिया वालों को बुला लिया है।"
"दीदी गांव के बाहर एक मंदिर है। रैली के पहले मैं आपको वहां ले चलूंगा ।कल ईश्वर का आशीर्वाद लेकर काम शुरु करते हैं ।"
"ठीक है दीपू मैं कल 10:00 बजे  आ जाऊंगीं , अब मैं भी चलती हूं।"
" बेटा तुम जिन लोगों के खिलाफ यह सब कर रही हो वो बड़े ही खतरनाक लोग हैं। तुम्हारी जान को खतरा हो सकता है ।क्यूँ तुम दूसरों के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रही हो।" शोभा ने अवनी से कहा
" अपनी जान सबको प्यारी होती है आंटी ,पर यही सोच कर   हम अन्याय  से आंख मूँद ले यह तो उचित नहीं है ना। किसी न किसी को तो आवाज उठानी ही पड़ेगी। सरहद  पर जवान हमारे लिए ही तो शहीद होते हैं ,अगर हम सरहद के भीतर के दुश्मनों को सजा दिलाने में अपनी जान भी गवाँ  दे तो हमें कोई गम नहीं ।फिर आप सब भी तो मेरे अपने ही हो ।........... यदि आज इन्हें सजा ना मिली तो कल यह फिर किसी और कुसुम पर अत्याचार करेंगे ।"
"तुम बहुत बहादुर हो बेटी ,मुझे तुम पर गर्व है ।ईश्वर करे तुम अपने इरादों में जरूर कामयाब हो ।"
"अच्छा आंटी मुझे नींद आ रही है मैं सोने जा रही हूं,
गुड नाइट"
" गुड नाईट बेटा"
सुबह अवनी भोला के पास गार्डन में  जाती है इस बार वह अवनी को देखकर चौकता नहीं बल्कि मुस्कुराकर उसका स्वागत करता है ।
" आओ बेटा,.... आजकल सारे गांव में तुम्हारी चर्चे हो रहे हैं तुमने कुसुम को न्याय दिलाने के लिए जो साहस किया है। पूरे  गांव में किसी की हिम्मत न थी जमीदार के विरोध में खड़े होने की।"
" एकता में बड़ी ताकत होती है काका, ये आप सभी के सहयोग का नतीजा है नहीं तो मैं अकेले क्या कर पाती" "कुछ काम था बेटी"
" काका आप उस दिन मेरी हमशक्ल के बारे में बता रहे थे ना "
"हां बेटा बहुत पुरानी दास्तान है। पर गांव का रिवाज आज भी वही पर कायम है ।पहले बाप दादा का अत्याचार चलता था अब बेटा भी बाप के नक्शे कदम पर चल रहा है।"
" काका मुझे उसकी पूरी कहानी बताओ ना"
" ज्यादा तो मुझे पता नहीं पर जितना भी पता है वह मैं तुम्हें जरूर बताऊंगा"
                                                                 क्रमशः


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रचनाएँ
इन्तजार
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इन्तजार ,सच्चे प्यार की कहानी है ।जिसमें कुछ सामाजिक कुप्रथाओं पर भी प्रकाश डाला गया है।दर्द, तडप ,साहस ,विश्वास सभी इस कहानी के प्रमुख तत्व हैं ।काल्पनिक होते हुये भी जीवन्तता कीअनुभूति कराती यह कहानी आपको अवश्य पसंद आयेगी ।
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इन्तजार (भाग 29 ) अंतिम भाग

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