मयंक सभी को कल के ट्रेन के समय से अवगत कराता है और अपने अपने सामान पैक करने को बोलता हैlवह ध्रुव के पास जाता है और उसे अवनी के मंसूबों के बारे में बताता है। अवनी के रुकने की बात जानकर ध्रुव भी रुकने का फैसला ले लेता है परंतु वह किसी से जाहिर नहीं करता। इधर अनिल और उसके ग्रुप के मेंबर भी वापसी की तैयारियों में जुटे हुए हैं ।उनकी ट्रेन शाम को है इसलिए वह सभी होटल के गार्डन का आनंद ले रहे थे ।तभी मयंक शिखा और सभी फ्रेंड्स स्टेशन के लिए रवाना होते हैं पर अवनी उनके साथ नहीं जाती ।अनिल बहुत देर से अवनी की गतिविधि पर नजर रखे था वह उससे बात करना चाहता था पर उसकी हिम्मत न पड़ी वह अवनी के अकेले रुकने का कारण जानना चाह रहा था। पर वह कैसे बात करें यही सोचता रह जाता है। अवनी सबको गेट तक छोड़ने आती है और उन्हें अलविदा कह कर वापस रूम में चली जाती है ।शाम को अनिल का ग्रुप भी रेलवे स्टेशन जाता है पर अनिल का मन तो वही अवनी के पास अटका हुआ था। वह अवनी के रुकने का कारण जानना चाहता था ।वह सभी को ट्रेन में बैठा कर अपना बैग लेकर जरूरी काम का बहाना कर वापस उतर जाता हैl
"भैया आपके बिना हम घर जाएंगे तो मम्मी पापा से क्या बोलेंगे ,आपको अचानक से कौन सा काम याद आ गया जो इस तरह से वापस रुक रहे हैं ।?"स्वीटी ने अनिल पर प्रश्नवाचक दृष्टि डालते हुए कहा।
"स्वीटी मैंअभी कुछ भी नहीं बता सकता ।मैं जल्द ही वापस आऊंगा । अब तो मुझे कोई सर दर्द भी नहीं होता है तुम लोग मेरी बिल्कुल भी चिंता मत करना और हां मैं तुमसे फोन पर बात करता रहूंगा मां पापा को तुम हैंडल कर लेना ......प्लीज...मेरे लिए इतना तो कर सकती हो ना ।"अनिल ने स्वीटी से कहा
"हां कोशिश करूंगी l"
अगले दिन अवनी बस स्टैंड पर जाती है ।और बरछी जाने वाली बस के बारे में जानकारी लेती है। फिर वह बस के समय पर वहां पहुंच जाती है और बरछी निकल जाती है। अनिल भी उसके पीछे बस में चढ़ जाता है ।पर अपने ख्यालों में गुम अवनी इस बात पर ध्यान नहीं दे पाती। अवनी जैसे-जैसे गांव की नजदीक आती जाती है उसे वहां की जगह पहचानी पहचानी सी लगती हैं। उसे ऐसा लगता है जैसे वह पहले भी यहां आ चुकी हो ।और इस स्थान को उसने देखा हो, पर कब उसे याद नहीं आता। वह गांव में पहुंचकर गांव की पगडंडियों पर चलने लगती है ।उसे गांव में मौजूद चेहरे अनजाने लगते हैं पर गांव पहचाना पहचाना सा लगता है। उसे कई गली रास्ते भी याद आने लगते हैं ।वह चलते-चलते एक टूटे-फूटे घर के आगे ठिठक जाती है ।उसे ऐसा लगता है इस घर के आंगन में उसने खूब उछल कूद की हो ,परंतु उसे कुछ भी याद नहीं आता ।वह पास ही एक होटल में चाय नाश्ते के लिए रुक जाती है ।और होटल के मालिक से गांव में रहने के लिए कमरे की बात करती है।