पिछले भाग में आपने पढ़ा कि सभी टूरिस्ट सिटी पैलेस जाते हैं। और वहां की ऐतिहासिक धरोहरों का अवलोकन करते हैं। वहां से आकर सभी अपने अपने रूम में सोने चले जाते हैं। नित्य की भांति अवनी भोर में प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठा रही होती है, तभी उससे अनिल दिखाई पड़ता है जो एकटक उसे देख रहा होताहै ।जिसे देखकर वह संकोचवश अपने कमरे में चली जाती है। अब आगे ।
सभी पर्यटक सुबह तय समय पर टूरिस्ट बस के पास आ जाते हैं ।सभी बस में बैठ कर के आम्बेर महल पहुंचते हैं, जो कि राजू के द्वारा पहले से निर्धारित था। वहां पहुंचकर सब महल की सुंदरता देखकर हतप्रभ रह जाते हैं।
"तो लीजिए हम सब अंबेर महल पहुंच गए ,आइए अब मैं आपको इसके इतिहास और नाम के विषय में बताता हूं, ताकि इसे घूमने का आनंद थोड़ा बढ़ जाए ।"राजू ने उत्साहित होते हुए कहा ।........
आमेर किले का निर्माण राजा एलान सिंह के द्वारा कराया गया था। जो कि समय के साथ क्षतिग्रस्त हो गया था ।बाद में राजा मानसिंह ने 1592 में इसका पुनर्निर्माण कराया। अंबेर किले का नाम पहाड़ी पर स्थित अंबिकेश्वर मंदिर के कारण पड़ा। इस मंदिर का यह नाम शिव द्वारा दुर्गा का रूप धारण करने के कारण पड़ा ।इसके नामकरण में भी कई बातें प्रचलित है, कुछ भक्तों के अनुसार विष्णु भक्त अंबरीश के नाम के कारण इस मंदिर का नाम अंबिकेश्वर पड़ा।........... 1975 तक मंदिर में भैसे और बकरे की बलि भी दी जाती थी ।जिस पर सरकार के द्वारा रोक लगा दी गई परंतु राजकीय लोग चोरी छुपे बलि देने का कार्य करते रहे थे ।बाद में पूरी तरह से इस पर रोक लगा दी गई। और मंदिर में केवल शाकाहारी प्रदान प्रसाद ही चढ़ाए जाते हैं ।"राजू ने किले के अंदर जाते हुए कहा।
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"आइए अब आपको हम इसके अंदर की खूबसूरती दिखाते हैं।"
"अमेजिंग .....कितना खूबसूरत है यह ,जी करता है इसे देखती ही रह जाऊं "स्वीटी ने हाथ मटकाते हुए कहा
"हां ना अगर मैं यहां ना आती तो अपने लाइफ की ब्यूटीफुल मोमेंट्स मिस कर देती"
"स्वीटी यह तो देख कितना खूबसूरत फूल है "अलका ने फूल की तरफ इशारा कर करते हुए कहा ।
"इसमें अलग-अलग जानवरों की आकृतियां बनी हुई है "
"हां ना चल देखते हैं कौन-कौन से जानवर है"
" सांप ,बिच्छू ,केकड़ा ,हाथी, खरगोश, मछली ,मधुमक्खी, तितली कुल 8 जानवर"
"पर फूल में तो 9 पंखुड़ियां है"
"हां सांप के चित्र दो बार उकेरे गये हैं ।"
" अपने बिजली से चलने वाला एसी तो देखा होगा आइए मैं आपको राजा महाराजाओं के द्वारा यूज किए जाने वाला एसी दिखाता हूं।" राजू ने आगे बढ़ते हुए कहा...ये है शीतकक्ष ।इन्हें ठंडा रखने के लिए खिडकियों को नम रखा जाता था , और ठंडी हवा बाहर न निकल सके इसलिए खिड़कियों पर खस की घास लगाए जाती थीजो हमेशा गीली रहती थी । इससे यह कमरा हमेशा ठंडा रहता था।......... किले में मानसिंह की 12 रानियों के लिए 12 अलग-अलग कमरे थे। यह सभी कमरे राजा मानसिंह के कमरे से गुप्त रास्ते द्वारा जुड़े रहते थे। इन्हीं गुप्त रास्तों की मदद से राजा अपनी रानियों के कमरे में जाया करते थे। रानियों के महल में काम करने वाले सभी सेवक ट्रांसजेंडर रहा करते थे।........ चलिए आगे चलते हैं यह देखिए यह शाही झूला। यह महल की रानियों के लिए बनवाया गया था ।यह छत से चार कुंदों के माध्यम से बंधा हुआ है कुन्दों के पास दर्पण भी लगा हुआ है ,जिसमें रानियां झूलते समय अपना चेहरा देखती थीं।...... आपको पता है ......यहां की रानियों के लिए व्हीलचेयर की भी व्यवस्था थी ।पहले जमाने में रानी महारानीयाँ इतने सारे गहने और भारी-भरकम कपड़े पहना करती थी कि जिन्हें पहनकर महल में इधर-उधर घूमना मुश्किल भरा होता था ।अतः वह महल में इधर से उधर जाने के लिए व्हीलचेयर का इस्तेमाल करती थीं।.......चलिए आपको मैं वह भी दिखाता हूं। यह देखिए यह मुग़ल स्टाइल चिमनी , जिसका उपयोग नहाने के लिए पानी गरम करने के लिए किया जाता था।....... इसका सिस्टम भी बहुत अद्भुत है लकड़ियां जलाकर तांबे की चद्दर को गर्म किया जाता था। जिसका दूसरा सिरा पानी की टंकी से जुड़ा रहता था, जिसकी वजह से टंकी का पानी भी गर्म हो जाता था।...... महल में 99 शौचालय भी है ,जो लगभग एक ही तरीके से बनाए गए हैं ।आपको पता है...... यहां पर कई फिल्में मुग़ल-ए-आज़म, बाजीराव मस्तानी, जोधा अकबर,भूल भुलैया की शूटिंगभी हुई थी।.......
इस किले की छत पर कई जगह सोने के पानी से पेंट भी किया गया है, जहां पर सूरज की थोड़ी सी रोशनी पडते ही सारा छत जगमगा उठता है।......।
इस महल का सबसे खूबसूरत हिस्सा तो अभी हमने देखा नहीं चलिए अब हम शीश महल चलते हैं जो अपने आप में ही एक नायाब कारीगरी है।
शीश महल आमेर किले की सबसे खूबसूरत इमारत है ।इसे दर्पण महल भी कहते हैं ,जिसे कांच के टुकड़ों से बहुत ही खूबसूरती से सजाया गया है। शीशे के टुकड़े प्रकाश पड़ने पर प्रतिबिंबित होते हैं और वह प्रकाश पूरे महल में फैल जाता है। राजा जयसिंह ने इसका निर्माण अपने विशेष अतिथियों के लिए कराया था। 40 कमरे वाले इस महल में माचिस की तीली भी जलाने पर सारा महल दीपावली की तरह आलोकित होने लगता है। शीशे की बारीकी कामवाली खूबसूरती की वजह से इसे शीश महल कहा जाता है।........
मुगलेआजम का "जब प्यार किया तो डरना क्या" गाना यहीं पर फिल्माया गया था। जिसमें इसकी खूबसूरती उभरकर निखरती है। इसकी नक्काशी इतनी खूबसूरत है कि इसे लफ्जों में बयां करना आसान नहीं है ।"
राजू महल के बाकी सभी हिस्सों को भी दिखाता जा रहा था। वहां की अलौकिक खूबसूरती देखकर सबकी आंखें फटी की फटी रह गई। अवनी,शिखा उनके दोस्त इधर अलका ,स्वीटी और उनके साथ आए हुए फ्रेंड्स सभी महल की खूबसूरती को देखते हुए आगे बढ़ते रहें ।बीच-बीच में अवनी, अनिल की तरफ निगाहे डालती थी तो ऐसा उसे ऐसा आभास होता था कि वह उससे ही देख रहा है। जिससे वह मुंह फेर कर दूसरे रास्ते निकल जाती थी। पर बार-बार उसका मन अनिल की तरफ खींचता चला जा रहा था। ध्रुव भी उन दोनों की हरकतों को देख रहा था। अवनी का इस तरह से अनिल को देखना उसे बहुत तकलीफ दे रहा था। परंतु अवनी की बातों का मान रखते हुए वह उन्हें इग्नोर कर रहा था ।आमेर किला घूमने के बाद सभी वापस होटल में चले आते हैं। तथा अगले दिन के लिए प्लानिंग बनाते हैं।
क्रमशः