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इन्तजार (भाग 24)

29 मार्च 2022

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"रतन सिंह को सजा होगी न दीदी "दीपू ने अवनी से कहा
" दीपू जब तक मैं इन्हे सजा ना दिला दूं हार नहीं मानूंगी बस तुम सब विश्वास बनाए रखना। कब तक वह भाड़े के टट्टू के सहारे हमें डराएगा "
"जी दीदी हम सब आपके साथ ही हैं"
" अवनी सुबह कुछ बातें अधूरी रह गई थी यदि तुम्हे एतराज ना हो तो मैं तुमसे कुछ पूछना चाहता हूं "अनील ने अवनी से  सका ।
"हां पूछो "
"तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि तुम मुझे जानती हो।"
" मुझे ऐसा क्यों लगेगा? मैंने तो पहली बार आपसे बात की है" अवनी ने अपनी भावनाओं को छुपाते हुए कहा।
" पर मुझे लगता है जब से मैंने तुम्हें पहली बार देखा है तब से। जब तुम मुझसे पहली बार टकराई थी तब मेरी आंखों के सामने वही विजन  दिखाई दिया जो मुझे बेहोशी की हालत में दिखाई पड़ता था। हर बार धुंधली दिखने वाली तस्वीर पूरी तरह साफ थी और उसमें तुम  थी अवनीतुम । इसीलिए मैं तुम्हारा पीछा करते-करते यहां तक आ गया। और जब मैंने तुम्हें कुसुम को न्याय दिलाने के लिए अपनी परवाह न करते  हुएआतताइयों से भिडते  देखा तो मुझे पूरा विश्वास हो गया की हो ना हो मेरी तरह तुम्हें भी ऐसे ही कुछ विजन आते हैं। मैं सच कह रहा हूं ना अवनी"
अनिल की बातें सुनकर अवनी सोच में पड़ जाती है की उसे सपने में ऐसे ही दृश्य दिखाई देते थे जिनमें वह और अनिरुद्ध आग की लपटों से घिरे हुए हैं ,और मदद के लिए गुहार लगा रहे हैं। भले ही वह सपना था पर जलने का दर्द उसे महसूस होता था। तो क्या यह अनिल ही अनिरूद्ध है। जिसने पिछले जन्म में मुझे बचाते हुए अपनी जान गवा दी। क्या हमारे ऊपर हुए अत्याचारों का बदला लेने के लिए ही हमारा पुनर्जन्म हुआ है। पर मैं इसकी  बातों पर कैसे विश्वास करूं मुझे तो कुछ भी याद नहीं आ रहा।"
"क्या सोच रही हो अवनी क्या तुम्हें अभी भी मेरी बातों पर विश्वास नहीं है"
अवनी  खामोश रहती हैं इधर ध्रुव को अनिल की बातों से विश्वास हो गया कि अनिल वही है जिसका अवनी वर्षों से इंतजार कर रही थी। ध्रुव अवनी से अलग होने की कल्पना से ही तड़प उठता है। उसके सीने में दर्द उमड  पड़ता है। आंखों में भावनाओं का सागर लहराने लगता है। जिसकी लहरें सभी किनारों को छोड़कर बाहर आने के लिए बेताब थीं जिसे रोक पाना अब ध्रुव के बस में नहीं था। इसलिए वह वहां से उठकर थोड़ी दूर चला जाता है और बिना आवाज के रोने लगता है। उसके  आंसू पलकों का साथ छोड़कर उसके कपड़े भिगोने लगते हैं। उसे ऐसा महसूस होता है जैसे कोई उसके प्राण  उसके जिस्म से अलग कर दे रहा हो ।तभी कुसुम की मां सभी के लिए चाय नमकीन लेकर आ जाती हैं। अवनी ध्रुव को आवाज देकर बुलाती है वह अपने आंसू पोछ कर सबके बीच आ जाता है वह चाय  नहीं  पी पाता है।
अनिल अवनीको अपनी याद के अनुसार कुछ घटनाक्रम बताने का प्रयास करता है पर अवनी को अभी भी कुछः याद नहीं आता वह पूरी तरह से अनिल पर विश्वास नहीं कर पाती।
"अवनी लगता है तुम्हें अभी भी मेरी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा है फिर भी मैं एक मौका और चाहता हूं तुम्हें सब कुछ याद दिलाने के लिए। क्या तुम कल मेरे साथ पहाड़ी वाले मंदिर चल सकती हो ।शायद वहां तुम्हें कुछ याद आ जाए ।"
अवनी सहमति में सर हिला देती है उसके बाद सभी वहां से अपने अपने रुकने के स्थान में चले जाते हैं ।आज अवनी की आंखों से नींद कोसों दूर थी।वह इसी उधेड़बुन में थी कि
"क्या अनिल ही अनिरुद्ध है ?जिसे मैं रोज सपनों में देखती हूं। जब से उसे देखा है न जाने कैसा आकर्षण है जो मुझे उसकी ओर खिचें चले जा रहा है अगर ऐसा है तो मुझे कुछ भी याद क्यों नहीं आ रहा है।
वर्षों मैने जिसका इन्तजार किया ,जिसके लिये मेरी साँसे चलती हैं ,जिसके लिये मैने न जाने कितने रिश्ते ठुकरा दिये वो अनिल ही है ।जब से मैने उसे देखा है तब से एक अजीब सी कसक दिल में उठती है ।उसकी आखें मुझे अपनी ओर खीचती हैं ।ये दिल जो आज तक किसी के लिये बेचैन नहीं हुआ ,उसके पास होने. से बेतहाशा धडकने लगता है ।उसकी कही हर बात पर यकीन करने का मन करता है ।हे ईश्वर यदि वो ही मेरा अनिरुद्ध है तो मुझे कुछ याद क्यों नहीं आ रहा ।अब मेरा और इंतहान न ले ।मुझे सच का आईना दिखा भगवान ।"


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रचनाएँ
इन्तजार
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इन्तजार ,सच्चे प्यार की कहानी है ।जिसमें कुछ सामाजिक कुप्रथाओं पर भी प्रकाश डाला गया है।दर्द, तडप ,साहस ,विश्वास सभी इस कहानी के प्रमुख तत्व हैं ।काल्पनिक होते हुये भी जीवन्तता कीअनुभूति कराती यह कहानी आपको अवश्य पसंद आयेगी ।
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ट्रेन जयपुर स्टेशन पर पहुंचती है, अलका ,स्वीटी ,अनिल और बाकी सभी फ्रेंड से नीचे उतर कर अपना अपना सामान चेक करते हैं lऑटो स्टैंड से ऑटो लेकर वे सभी जयपुर के एक अच्छे होटल में पहुंच जाते हैं l "यार हम स

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पिछले भाग में आपने पढ़ा की अवनी का फ्रेंड्स ग्रुप अनिल का फ्रेंड्स ग्रुप दोनों एक साथ हवा महल देखने जाते हैं ।वहां का खूबसूरत दृश्य देखने के दौरान अवनी अनिल से टकरा जाती है ।जिससे दोनों के शरीर में अज

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पिछले भाग में आपने पढ़ा कि सभी टूरिस्ट सिटी पैलेस जाते हैं। और वहां की ऐतिहासिक धरोहरों का अवलोकन करते हैं। वहां से आकर सभी अपने अपने रूम में सोने चले जाते हैं। नित्य की भांति अवनी भोर में प्राकृतिक स

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"तो राजू अब कल आप हमें कहां घुमा रहे हैं ?"अलका ने बस से उतरते हुए कहा। "जयपुर में देखने के लिए अभी कई स्थान बचे हुए हैं जल महल ,नाहरगढ़, रामबाग पैलेस ,रायगढ़ किला, नाहर दुर्ग, जंतर मंतर यह सब यहां क

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इन्तजार भाग (17)

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दिन भर की थकान के बाद सभी पर्यटक अपने अपने कमरों में सोने चले जाते हैं lपरंतु ध्रुव की आंखों में नींद नहीं थी वह बालकनी में खड़े होकर आकाश में चमकते चांद को देख रहा थाl दूधिया सफेद चाँद उसके ह्रदय की

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इन्तजार भाग( 18)

23 मार्च 2022
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हफ्ते भर जयपुर घूमने के बाद सभी वापस जाने का निर्णय लेते हैं तभी मयंक सुबह का पेपर पढ़ते हुए अवनी के रूम में आ जाता है "अवनी आज का समाचार पढ़ा तुमने?" नहीं, क्यों? कोई खास बातहै" " हां यार पास के ही ए

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इन्तजार (भाग 19 )

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मयंक सभी को कल के ट्रेन के समय से अवगत कराता है और अपने अपने सामान पैक करने को बोलता हैlवह ध्रुव के पास जाता है और उसे अवनी के मंसूबों के बारे में बताता है। अवनी के रुकने की बात जानकर ध्रुव भी रुकने क

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अवनी बरछी में रुक कर ग्रामीणों से उस महिला के बारे में जानकारी एकत्र करना चाहती थी। जिसके लिए उसे किसी घर में पेइंग गेस्ट की तरह कुछ दिन रहना था। अवनी इस गांव में किसी को ना जानती थी ।उसे होटल क

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अवनी और दीपू मिलकर प्लान बनाते हैं जिसके तहत वे गांव में उन घरों में जहां की बहू बेटियों को डायन करार देकर जला दिया गया था वहां जाकर इस प्रथा के खिलाफ विरोध करने के लिए समझाते हैं ।गांव के बाहर

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भोला ने अवनी को अतीत की कुछ घटनाएं बताना प्रारंभ कर दी " गरीब घर की बेटी थी। बेचारी न जानेकैसे ठाकुर के चंगुल में फंस गई। उसकी कुछ ख्वाहिशों को पूरी न करने के कारण किसी बहाने से ठाकुर ने उसे डाय

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इन्तजार (भाग 24)

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"रतन सिंह को सजा होगी न दीदी "दीपू ने अवनी से कहा " दीपू जब तक मैं इन्हे सजा ना दिला दूं हार नहीं मानूंगी बस तुम सब विश्वास बनाए रखना। कब तक वह भाड़े के टट्टू के सहारे हमें डराएगा " "जी दीदी हम सब आपक

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इन्तजार (भाग 25 )

30 मार्च 2022
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मंदिर की सीढ़ियों पर अनिल बेसब्री से अवनी का इंतजार कर रहा था। एक मिनट उसे युगों के बराबर लग रहा था तभी उसकी नजर मंदिर की ओर आती हुई अवनी पर पड़ती है, गुलाबी सूट में वह किसी गुड़िया की तरह दिख रही थी

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इन्तजार (भाग 26)

30 मार्च 2022
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जुग जुग जिए हो ललनवा अगनवाँ के भाग जागल हो ललना लाला होइयेहैं कुलवा के दीपक मनवाँ में आस लागल हो आजु के दिनवाँ सुहावन रतिया लुभावन हो ललना दिदिया के होरिला जनमें होरिलवा बडा सुंदर हो सासु

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इन्तजार (भाग 27)

30 मार्च 2022
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उस लड़की ने वहां की सजावट को देखकर अंदाजा लगा लिया कि यहां पर कोई भव्य आयोजन होने वाला है। जहां तरह-तरह पकवान बने थे जिनकी सुगंध उसकी व्याकुलता को और बढ़ाने का कार्य कर रहे थे ।पर उस

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इन्तजार (भाग 28)

30 मार्च 2022
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अवंतिका नियमित रूप से हवेली में काम करने लगी ।उसे नवप्रसूता और नवजात से दूर रखा जाता लेकिन उसके मन में नवजात को देखने की उत्सुकता बलवती होती जा रही थी ।हरिसिंह भी अवंतिका के रूप सौंदर्य से मोहित होकर

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इन्तजार (भाग 29 ) अंतिम भाग

30 मार्च 2022
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अगले दिन अवनी ,अनिल ध्रुव और दीपू सभी गाव वालो को लेकर थाने के सामने आमरण अनशन करने लगती है ,मीडिया को भी घटना कवर करने के लियें बुला लेती है। बरछी की घटना सभी न्यूज चैनलों में दिखाई देने से क्षेत्र व

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