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इन्तजार (भाग 9)

16 मार्च 2022

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पिछले भाग में आपने पढ़ा की अवनी की तबीयत खराब होने की वजह से ध्रुव  उससे मिलने आता है  ।उसे सोता हुआ देखकर वहीं  उसके पास बैठ जाता है। जब अवनी की नींद खुलती है तो वह दोनों बातें करने लगते हैं।
अब आगे  ...............
शोभा रूम में चाय बिस्किट लेकर आ जाती है ।
"अब कैसी तबीयत है बेटा"
"पहले से बेहतर, पर वीकनेस लग रही है ।ध्रुव आया था तो आप ने मुझे जगाया क्यों नहीं ।"
"मैं जगाने ही जा रही थी ध्रुव  ने मना कर दिया"
" ध्रुव मैं दो-तीन दिन तक कॉलेज नहीं जा पाऊंगी तो अपने नोट्स मुझे दे देना मैं कॉपी कर लूंगी ।"
"पर मैंने तो नोट्स बनाए ही नहीं"
ध्रुव ने मन ही मन कहा
" ठीक है पहले तुम ठीक हो जाओ फिर नोट्स ले लेना। और अपना ध्यान रखना अब मैं चलता हूं।"
कह कर वो वापस घर आ जाता है ।उसे अवनी की चिंता होती रहती है। रात भर बेचैनी में वह सो नहीं पाता सुबह वह घर से कॉलेज के लिए निकलता है और उसका मन  कॉलेज में नहीं लगता वह अवनी से मिलने चला जाता है। इसी तरह 3 दिन तक ध्रुव कॉलेज नहीं जा पाता अब अवनी की तबीयत ठीक हो जाने के कारण वह कालेज जाने के लिए बोलती है तो वह परेशान हो जाता है कि अवनी  के लिए नोट्स कैसे बनाएं। फिर वह नोट्स के लिए शिखा की मदद लेता है।
" हेलो"
" हेलो शिखा मैं ध्रुव "
"हां बोलो ,और तुम 3 दिन से कहां गायब हो कॉलेज में दिखाई नहीं दे रहे। "
"अरे वह सब बाद में बताऊंगा पहले  तुम मेरी हेल्प कर दो"
" हां बोलो"
" प्लीज मुझे तुम अपनी नोट्स दे दो अवनी की तबीयत ठीक नहीं थी। तो उसके लिए कॉपी करना है ।"
"ओके ले लेना"
" ठीक है मैं आधे घंटे में घर आ रहा हूं "
ध्रुव शिखा से नोट्स ले आता है ।और अवनी के लिए नोट तैयार करने लगता है। 3 दिन का वर्क  था तो ध्रुव रात  नोट्स लिखता है सुबह के 5:00 बजे उसे नींद आ जाती है। और वह 9:00 बजे तक सोता रहता है ।उसे सोता देख कर ध्रुव की मम्मी उसे जगाती हैं। मम्मी की आवाज सुनकर वह हड़बड़ा के उठ जाता है। और सारे नोट समेट कर तैयार होकर कॉलेज के लिए निकलता है। जब वह कालेज पहुंचता है तो अवनी कॉलेज में ही मिलती है। वह उसे नोट्स दे देता है। तभी शिखा भी वहीं आ जाती है "हेलो ध्रुव मेरे नोट्स ले आए तुम "सिखा ने कहा
"तुम्हारे नोट्स" अवनी ने कहा
" हां अवनी 3 दिन से अपना हीरो कॉलेज नहीं आया तो मेरी नोट ले गया था कॉपी करने के लिए "
"हां ...हां ले आया हूं ,ज्यादा इतराने की जरूरत नहीं है। ध्रुव ने कहा
"ध्रुव तुमने क्लासेस क्यों अटेंड नहीं की "अवनी ने कहा "क्या करें बिचारा तुम्हारे बिना इसका मन ही नहीं लगता पढ़ाई में"
" शिखा तुम फिर शुरू हो गई, अपने नोट्स लो और चलो क्लास में।"
सभी क्लास में आ जाते हैं। मयंक ध्रुव को वहां देखकर मुस्कुराता है ।ध्रुव के मन में अवनी के लिये प्यार को सभी महसूस करते हैं ।परंतु अवनी उसकी  भावनाओं से बेखबर अपनी ही दुनिया में रमी रहती है ।क्लास समाप्त होने पर सभी बाहर आ जाते हैं। मयंक ध्रुव  भी कैंटीन में चले जाते हैं।
"कहां नदारद थे 3 दिन से तुम्हारे तो दर्शन ही नहीं हुए।" "क्या बताऊं यार, कॉलेज में मेरा मन ही नहीं लग रहा था" बस अवनी  के घर के चक्कर काटता रहता था ।"
"तो तुमने अवनी से कुछ कहा"
" नहीं, हिम्मत ही नहीं पड़ती। डर लगता है"
" तू कहे तो मैं बोल दूं "
"नहीं यार आज शाम को पक्का मैं उसे बोलूंगा, क्योंकि अब उसके बिना मेरे लिए एक दिन भी चैन से रहना बहुत मुश्किलहै।"
दोनों बातें कर रहे होते हैं तभी वहां सिखा ,अवनी और रिया आ जाती  है। और सभी वहीं बैठ कर बातें करने लगती हैं ।
"अवनी कॉलेज के बाद चाय पर चलोगी मेरे साथ"
" जाना कहां है, तुम यहीं पर चाय पिला दो ना"
"अभी तुम बीमार थी....
थोड़ा सा घूम फिर लोगी अच्छा लगेगा"
" ठीक है दे देखती हूं"
" कालेज के बाद  ध्रुव अवनी को लेकर शहर से  पास वाले रेस्टोरेंट में ले जाता है। जहां रेस्टोरेंट से सटा हुआ पार्क भी था ।दोनों चाय नाश्ता करके पार्क में टहलने चले जाते हैं। थोड़ी देर टहलने के बाद दोनों वहीं कुर्सी पर बैठ जाते हैं। बहुत देर तक दोनों के बीच कोई बात नहीं होती फिर खामोशी को तोड़ते हुए ध्रुव अवनी से कहता है।
"अवनी मुझे तुमसे एक इंपॉर्टेंट बात करनी है "
"हां बोलो"
" नहीं पहले तुम्हें एक वादा करना होगा "
"क्या"
" मेरी बात सुनकर तुम नाराज नहीं होगी और हमारी दोस्ती में कोई दरार नहीं आएगी ।"
"क्या घुमा फिरा कर बातें कर रहे हो ध्रुव ,साफ-साफ बोलो तुम कहना क्या चाहते हो ।"
"अवनी क्या तुम्हें मेरे साथ अच्छा नहीं लगता ,क्या तुम्हें मैं पसंद नहीं हूं "
"ऐसा तो नहीं है"
" फिर ......फिर मेरी भावनाओं को तुम समझ क्यों नहीं पाती ।क्यों जो सब देख लेते हैं तुम्हें नहीं दिखाई देता '
"तुम क्या कहना चाहते हो मेरे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा "
"यू घुमा फिरा कर बात ना करो ध्रुव "
"अवनी एक बार मेरी आंखों में देखो क्या तुम्हें इसमें प्यार दिखाई नहीं देता ।अवनी  मैं तुमसे बेइंतहा प्यार करने लगा हूं। दोस्त से तुम कब  मेरी जिंदगी बन गई मुझे खुद ही पता नहीं चला ।पर अब तुम्हारे बिना एक पल भी चैन नहीं आता है ।जब तुम हंसती हो तो ऐसा लगता है सारी कायनात हंस रही है ।तुम उदास होती हो तो ,सारा समा मायूस हो जाता है। मेरी दुनिया में हर जगह तुम ही तुम होती हो। सोते ,जागते खाते-पीते उठते ,बैठते हर जगह में तुम्हें महसूस करता हूं और चाहता हूं कि तुम हरदम मेरे साथ रहो तुमसे दूर रहकर मैं जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता lमेरी सांसे मेरी धड़कन बस तुम्हारा नाम लेती हैl अवनी मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं ,एक बार तुम मेरा हाथ थाम लो मेरी हमसफर बन जाओ मैं दुनिया की सारी खुशियां तुम्हारे कदमों में रख दूंगाl मैं तुम्हारी आंखों में आंसू का एक कतरा भी नहीं आने दूंगा l"
अवनी खामोशी से ध्रुव की बातें सुनती रहती है ,परंतु कोई प्रतिक्रिया नहीं देती कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रहती है। अगवनी की प्रतिक्रिया क्या होगी? क्या वह उसके प्यार को स्वीकार लेगी ।यह सोच सोच कर ध्रुव की धड़कन तेज होने लगती हैं। अवनी को खामोश देखकर उसका दिल बैठा जा रहा है ।उसके मन में एक डर भी था कहीं अवनी उससे नाराज होकर उसकी जिंदगी से हमेशा के लिए दूर न हो जाये ।
                                                              क्रमशः


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रचनाएँ
इन्तजार
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इन्तजार (भाग 29 ) अंतिम भाग

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